क्या भारत की सबसे पुरानी मस्जिद केरल की चेरामन नहीं गुजरात के घोघा की बरवाड़ा मस्जिद है

Story by  एटीवी | Published by  onikamaheshwari | Date 23-01-2023
क्या भारत की सबसे पुरानी मस्जिद केरल की चेरामन नहीं गुजरात के घोघा की बरवाड़ा मस्जिद है
क्या भारत की सबसे पुरानी मस्जिद केरल की चेरामन नहीं गुजरात के घोघा की बरवाड़ा मस्जिद है

 

गुुलरूख जहीन  / नई दिल्ली
 
सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां के शाह सलमान को दोनों देशों के बीच प्राचीन व्यापार संबंधों की यादगार के तौर पर केरल की चेरामन मस्जिद की सोने की परत चढ़ी हुई प्रतिकृति भेंट की थी. कहा गया कि यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिद है. हालांकि, भारत की सबसे पुरानी मस्जिद चेरामन नहीं है, बल्कि मोदी के गृह राज्य गुजरात की एक मस्जिद है.

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि संभवतया यह मस्जिद पैगंबर मोहम्मद की समकालीन है.
 
11वीं सदी में चेरामन मस्जिद का पुनर्निर्माण किया गया था, लेकिन प्राचीन बंदरगाह शहर घोघा, जो खंभात की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित है का जूनी मस्जिद या बरवाड़ा मस्जिद अभी भी अपने मूल रूप में पर जर्जर हालत में है. चेरामन मस्जिद की तरह बरबाड़ा मस्जिद (गुजराती में इसका अर्थ बाहरियों की मस्जिद है) कोई सूचीबद्ध स्मारक नहीं है और ऐसे में इसकी किसी संरक्षण योजना के तहत देखभाल भी नहीं की जाती है.
 
इसका निर्माण कब हुआ था और किसने कराया था इसकी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह चेरामन मस्जिद से पहले का है और इसका निर्माण 629 ईस्वी में कराया गया था.
 
इसके साथ ही तमिलनाडु की एक मस्जिद जिसे पालैय्या जुम्मा पल्ली या पुराना जुमा मस्जिद कहा जाता है और जो किलाकरिया में स्थित है उसे 628 से 630 ईस्वी के बीच निर्मित किया गया था.
 
15x40 फुट की इस संरचना को भारत की सबसे पुरानी मस्जिद मानने का कारण यहां पैगंबर मोहम्मद के समय में नमाज अदा करने का मुस्लिम रिवाज है. एक रिवाज कहता है कि मुस्लिम इस्लाम की शुरुआत के पहले 13 साल तक यानी 610 से 623 ईस्वी के बीच अपनी नमाज येरुशलम के बैतूल मुकद्दस की तरफ मुंह करके अदा करते थे.
 
एक अन्य परंपरा किब्ला को बनाए रखने की अवधि से जुड़ी है. यानी किब्ला को सलत के दौरान येरुशलम की तरफ रखना. जो हिजरा (जब पैगंबर मोहम्मद मक्का से मदीना चले गए थे) के 17 महीने बाद तक का समय था.
 
623 ईस्वी में, मदीना में नमाज अदा करते हुए मोहम्मद को ‘नाजिल’ हुआ कि मुस्लिमों को नमाज अदा करते वक्त काबा की तरफ रुख करना चाहिए. उसके बाद से, मुस्लिमों ने येरुशलम की तरफ रुख करना बंद कर दिया और किब्ला अब काबा की तरफ हो गया.
 
घोघा के बरवाडा मस्जिद में किब्ला, जिसकी स्थिति उसके मेहराब से पता चलती है (अर्धवृत्त संरचना) येरुशलम की तरफ है. और यह मक्का की तरफ किब्ला होने से करीब 20 डिग्री उत्तर की तरफ है. इससे स तथ्य की ओर रोशनी पड़ती है कि पत्थरों का यह ढांचा पैगंबर साहब के इस ऐलान से पहले ही बना होगा कि किब्ला का रुख काबा की तरफ होना चाहिए.
 
केरल और तमिलनाडु की ऐतिहासिक मस्जिदों में किब्ला काबे की तरफ है. घोघा के बरवाडा मस्जिद में कंपास की रीडिंग प्रवेश द्वार से 295 डिग्री पश्चिमोत्तर की तरफ है, जबकि इसी के आसपास थोड़ी नई मस्जिदों में यह करीबन 275 डिग्री पश्चिमोत्तर की तरफ है. इतिहास के जानकारों का कहना है कि अगर पैंगंबर मोहम्मद ने एक बार काबा की तरफ किब्ला निर्धारित कर दिया तो फिर कोई मुसलमान येरुशलम की तरफ रुख रखने वाले किब्ला वाली मस्जिद नहीं बना सकता. 
 
इतिहासकार कहते हैं ऐसी दूसरी कोई भी मस्जिद का अस्तित्व नहीं है, जिसमें मेहराब का रुख येरुशलम की तरफ हो. इतिहासकारों का दावा है कि घोघा की मस्जिद अरब की कई प्राचीन मस्जिदों से भी अधिक प्राचीन हो सकती है. मदीना या केरल या तमिलनाडु में बनी कोई भी मस्जिद अपने मूल रूप में नहीं है.
 
हालांकि, चेरामन मस्जिद को 11वीं सदी में दोबारा बना गया था, बाकी के अन्य मस्जिदों ने 20वीं सदी में अपना आकार बदल लिया. तब बेहद समृद्ध रहे बंदरगाह घोघा में अरब व्यापारियों द्वारा बनाई गई यह पत्थर की मस्जिद किब्ला बदल जाने के बाद नमाजियों ने छोड़ दी. इसकी आधी छत गिर चुकी है और इसके खंभों को सहारे की दरकार है.
 
मस्जिद के दरवाजे पर लगे बोर्ड में नमाजियों को आगाह कराया गया है कि यहां नमाज अदा न करें क्योंकि इसकी मेहराब का रुख काबे की ओर नहीं है. इस बोर्ड में यह भी लिखा है कि इस ढांचे को नुक्सान न पहुंचाएं क्योंकि यह एक धरोहर है.