महात्मा गांधी पलायन से नहीं रोकते तो मेवातियों को पाकिस्तान से बेहतर जिंदगी नहीं मिलती

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 19-12-2022
यादगार 19 दिसंबर: आज के दिन महात्मा गांधी ने मेवात के लोगों को पाकिस्तान जाने से रोका था
यादगार 19 दिसंबर: आज के दिन महात्मा गांधी ने मेवात के लोगों को पाकिस्तान जाने से रोका था

 

यूनुस अल्वी / नूंह (हरियाणा )

हरियाणा, यूपी और राजस्थान के सीमावर्ती इलाके  में  बसे मेव मुसलमानों के लिए 19 दिसंबर खास है. देश के बटवारे के बाद मेवात के मुसलमान आज ही के दिन पाकिस्तान जाने को बोरिया बिस्तर बांधकर तैयार थे, पर महात्मा गांधी ने यहां से पलायन करने से रोक दिया. इसके बाद लाखों मेवातियांे ने हिंदुस्तान छोड़कर पाकिस्तान जाने का इरादा हमेशा के लिए तर्क कर दिया.तब महात्मा गांधी ने मेवातियों की जान माल की हिफाजत तथा पूरा सम्मान देने का भरोसा दिया था.
   
स्वतंत्रता मिलने के बाद देश का जब बटवारा हुआ तो एक समय ऐसा आया कि मेवात के मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के लिए षड़यंत्र रचा जाने लगा. जबकि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके के मेव मुसलमान पाकिस्तान के लिए कतई पलायन को तैयार नहीं थे.
 
उस समय हरियाणा के मेवात, गुड़गांव और फरीदाबाद पर अंग्रेज और राजस्थान के अलवर, भरतपुर पर राजाओं की हुकूमत थी. बंटवारे के समय देश के अन्य हिस्सों की तरह मेवात में भी फसाद मचा हुआ था.
 
मेवातियों पर होने वाले अत्याचार और जबरदस्ती पाकिस्तान भेजने की बात जब महान स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई, हिम्मत खां सहित अन्य मुस्लिम नेताओं को पता चली तो वे महात्मा गांधी से मिले और मेवात आने का न्योता दिया.

तब महात्मा गांधी 19 दिसंबर 1947 को मेवात के गांव घासेड़ा पहुंचे. उनके साथ पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा सहित कई नेता भी थे.

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महात्मा गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को गांव घासेड़ा में इकट्ठे हुए लाखों मेवातियों के बीच अपना ऐतिहासिक भाषण दिया. गांधी जी ने कहा, ‘‘आज मेरे कहने में वह शक्ति नहीं रही जो पहले हुआ करती थी.
 
मगर मेरे कहने में पहले जैसा प्रभाव होता तो आज एक भी मुसलमान भारतीय संघ को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं करता न ही किसी हिंदू-सिख को पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़कर भारतीय संघ में शरण लेने की जरूरत पड़ती’’
   
महात्मा गांधी ने अपने संबोधन में दुख प्रकट करते हुए कहा, ‘‘यहां जो कुछ हो रहा है, उसे सुनकर मेरा दिल रंज से भर गया है. चारों ओर आगजनी, लूटपाअ, कत्ल-ए-आम, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और औरतों का अपहरण मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे को तोड़ना एक पागलपन है. इसे रोका नहीं गया तो दोनों समुदाय का सर्वनाश होगा.’’
   
मेवात के इतिहास पर करीब 10 किताब लिख चुके सिद्दीक अहमद मेव बताते हैं, गांधी जी ने अपने भाषण में मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए शिकायत पत्र की प्रति लाखों लोगों को पढ़कर सुनाई.
 
उन्होंने मेवातियों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पूरा मान सम्मान दिलाया जाएगा. अगर किसी सरकारी अधिकारी ने मेवातियों के साथ कोई अत्याचार किया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. गांधी जी ने कहा, ‘‘मेरे शब्द आपके दुख में थोड़ा ढांढस बधां सके तो मुझे खुशी होगी.’’ उन्होंने अलवर और भरतपुर की रियासतों से निकाले गए मुसलमानों पर दुख प्रकट किया.

  गांधी जी ने अपने भाषण में कहा,‘‘ भारत में एक समय आएगा जब सारी नफरत जमीन में दफना दी जाएगी और अमन चैन से दोनों समाज रह सकेंगे.’’ गांधी के आश्वासन और विचारों का मुसलमानों पर इतना असर हुआ कि उन्होंने पाकिस्तान जाने का अपना इरादा मुल्तवी कर दिया.
   
मेवात के समाज सेवी फजरुद्दीन बेसर कहते हैं, गांधी जी के सुरक्षा आश्वासन के बाद यहां के मुसलमान रुक गए. अगर उस समय नहीं रूकते तो हरियाणा और राजस्थान में एक भी मुसलमान नहीं होता. मुसलमानों पर गांधी जी का सबसे बड़ा अहसान है, जिन्हांेने उन्हें पाकिस्तान जाने से रोका. आज हिंदुस्तान में मुसलमान पाकिस्तान से ज्यादा अमन और सम्मान की जिंदगी गुजार रहे हैं.पाकिस्तान में तो हमेशा मुसलमानों के बीच ही मार-काट मची रहती है

 बता दें, मुख्यमंत्री रहते भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसी वजह से 2 अक्तुबर 2007 को घासेड़ा का नाम गांधी ग्राम घासेड़ा रखकर आर्दश गांव घोषित किया था और करीब 10 करोड़ रूपये विकास कार्यों के लिए जारी किए थे.
 
मेवाती हर साल 19 दिसंबर को ‘मेवात दिवस’ के तौर पर मनाते हैं. इस बार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के चलते इसे 22 दिसंबर को घासेड़ा गांव में मनाया जा रहा है. जिसमें राहुल गांधी बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे.