गुलाम कादिर / भोपाल
नवाबों के शहर भोपाल का इतिहास अब कलमबंद किया जाएगा. मध्य प्रदेश की राजधानी के शहर के एक वर्ग को लगता है कि कुछ लोग पुराने इतिहास को गलत ढंग से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. बाद में यह कोई बड़ा विवाद न बन जाए, इसके लिए भोपाल के कुछ इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने शहर के इतिहास पर पुस्तकंे प्रकाशित करने का निर्णय लिया है.
इसे सिरे चढ़ाने के लिए भोपाल इतिहास मंच का गठन कर कई तरह की योजनाएं बनाई गईं. इसमें समय की मांग को देखते हुए भोपाल इकबाल पुस्तकालय में एक बैठक आयोजित किया गया, जिसमें मुस्लिम इतिहासकारों, बुद्धिजीवियों सहित इतिहास के जानकारों ने भाग लिया. बैठक के दौरान भोपाल के प्रामाणिक एवं संपूर्ण इतिहास लेखन को परिभाषित किया गया.
भोपाल हिस्ट्री फोरम के अहम सदस्य एडवोकेट शाहनवाज खान ने बातचीत में कहा कि भोपाल हिस्ट्री फोरम की स्थापना भोपाल के गुनौरी में हुई बैठक में हुई. आज इसी सिलसिले में इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों की बैठक हुई.
भोपाल का संपूर्ण एवं प्रामाणिक इतिहास लिखने के लिए आयोजित बैठक में नवाब भोपाल का संपूर्ण इतिहास, उनकी सेवाएं, भोपाल में स्वतन्त्रता आंदोलन, भोपाल राज्य के विलय का आंदोलन, अठारह 1857 का सिपाही बहादुर इतिहास, साझा भोपाल की सभ्यता को ऐतिहासिक तथ्यों के आलोक में पूर्ण रूप से प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया.
बैठक में कहा गया कि कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए नवाब भोपाल की छवि को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. भोपाल के इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है. इसके लिए जरूरी है कि भोपाल और देश की जनता भोपाल के सच्चे और सच्चे इतिहास को जानेे. इतिहास को सभी तथ्यों के आलोक में प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पुस्तक के प्रकाशन के लिए आने वाले लेखों के विषय और सामग्री पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. उसकी स्वीकृति के बाद लेख पुस्तक का हिस्सा बन सकता है.
इसका खर्च सभी लोग मिलकर उठाएंगे. पैसे के अभाव में किताबों का प्रकाशन बंद नहीं होगा. प्रमुख इतिहासकार रिजवान अंसारी ने कहा कि इतिहासलेखन एक महत्वपूर्ण विषय है. इसे सबूत के साथ बात पेश करने के लिए तथ्यों की आवश्यकता होती.
एक वर्ग झूठी कहानी बिना किसी साक्ष्य के प्रस्तुत कर रहा है. त्रासदी यह है कि इतिहास को धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है जो कि एक गलत दृष्टिकोण है. इतिहास को हमेशा तथ्यों के आईने में देखना चाहिए तभी हम किसी चीज की सच्ची तस्वीर पेश कर सकते हैं.
भोपाल इकबाल लाइब्रेरी में हुई बैठक में प्रो. अशर कदवई, डॉ. रजिया हामिद, मुमताज बेग, अलीम बज्मी, खालिद गनी, आसिफ हसन, इकबाल मसूद, रिजवान अंसारी, कुश खुश नूर, कलीम अख्तर ने भी इतिहास के पुनर्लेखन की बात कही. भोपाल के सही इतिहास पर बल दिया और उपयोगी सुझाव दिए.