G20 के साथी : बांग्लादेश में भारतीय संस्कृति

Story by  फिरदौस खान | Published by  [email protected] | Date 04-09-2023
 Bangladesh have cultural similarities with India
Bangladesh have cultural similarities with India

 

-फ़िरदौस ख़ान 
 
हमारा पड़ौसी मुल्क बांग्लादेश कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था. साल 1947 में देश की आज़ादी के बाद हुए विभाजन में यह पाकिस्तान के पास चला गया. चूंकि पाकिस्तान दो हिस्सों में विभाजित था. इसका एक हिस्सा मौजूदा पाकिस्तान था, जो पश्चिमी पाकिस्तान कहलाता था तो दूसरा हिस्सा मौजूदा बांग्लादेश देश था, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था.

इन दो हिस्सों के दरम्यान भारत था. ऐसे में पाकिस्तान अपनी राजधानी इस्लामाबाद से बांग्लादेश पर ठीक से हुकूमत नहीं कर पा रहा था. उसे न तो यहां के लोगों की फ़िक्र थी और न उनसे कोई हमदर्दी थी. ऐसे में बांग्लादेश की अवाम ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी.
 
नतीजा यह हुआ कि साल 1971 में पाकिस्तान को न चाहते हुए भी बांग्लादेश को आज़ाद करना पड़ा. फिर इस आज़ाद देश का आधिकारिक नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ बांग्लादेश रखा गया. यहां के बाशिन्दों को आज़ाद देश में सांस लेने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी. उन्होंने पहले अंग्रेज़ों से आज़ादी हासिल की. फिर उसके बाद पाकिस्तान से ख़ुद को आज़ाद करवाया.
 
बांग्लादेश के पाकिस्तान से जुदा हो जाने पर पाक के अदीबों ने बहुत अफ़सोस जताया था. एक शायर ने कहा था-  
 
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देश में कोयल की सदायें नहीं आतीं 

उमड़ी हुई घनघोर घटायें नहीं आतीं 

बंगाल के जाने से ये क्या हाल हुआ है

भीगी हुई मस्ताना हवायें नहीं आतीं...   

बांग्लादेश का मुख्य धर्म इस्लाम है. बांग्लादेश की तक़रीबन 90 फ़ीसद आबादी मुसलमानों की है. यह दुनिया का तीसरा सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है. यह दुनिया का आठवां सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश भी है.
 
इसकी राजधानी ढाका मस्जिदों के लिए मशहूर है. इसे मस्जिदों का शहर भी कहा जाता है. ढाका की मलमल दुनियाभर में मशहूर है. कहते हैं कि इस मुलायम मलमल के दुपट्टे को अंगुली के छल्ले में से आसानी से गुज़ारा जा सकता है. नमाज़ के लिए इन दुपट्टों का ख़ूब इस्तेमाल होता है. रंग-बिरंगे फूलों की छपाई वाले मलमल के ये दुपट्टे हल्के और आरामदेह होते हैं. ये सिर से फिसलते भी नहीं हैं. 
 
बांग्लादेश में सूफ़ियों ने इस्लाम को फैलाया. सिलहट में हज़रत शाह जलाल रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह है. वे बंगाल के मशहूर सूफ़ी थे. उनका पूरा नाम हज़रत शेख़ जलालुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह है. वे मुस्लिम साम्राज्य लखनौती के सुल्तान शम्सुद्दीन फ़िरोज़ शाह की फ़ौज के साथ यहां आए थे.
 
यहां के राजा गौर गोविन्दा ने स्थानीय व्यक्ति बुरहानुद्दीन के दोनों हाथ काट दिए और उसके बेटे को क़त्ल करवा दिया. इस पर बुरहानुद्दीन ने सुल्तान से इंसाफ़ की गुहार लगाईं. सुल्तान ने अपने भतीजे सिकंदर ख़ान ग़ाज़ी की अगुवाई में एक फ़ौज भेजी, जिसे राजा ने हरा दिया.
 
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फिर सुल्तान ने अपने सिपहसालार नसीरुद्दीन को जंग का हुक्म दिया. उसी दौरान हज़रत शाह जलाल रहमतुल्लाह अलैह अपने 360 मुरीदों के साथ बंगाल पहुंचे और फ़ौज में शामिल हो गए. इस बार सुल्तान की फ़ौज की जीत हुई और गौर गोविन्दा देश छोड़कर भाग गया. इस तरह सिलहट पर मुस्लिम हुकूमत क़ायम हो गई. हज़रत शाह जलाल रहमतुल्लाह अलैह ने यहां इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया.  
 
बांग्लादेश हमारे बंगाल से अलग हुआ था. भारत के बंगाल को पश्चिम बंगाल कहा जाने लगा और इसका पूर्वी हिस्सा आज का बांग्लादेश है. यहां की आधिकारिक भाषा बांग्ला है. यहां के लोगों को अपनी मातृभाषा पर बहुत गर्व है.
 
बांग्लादेश की संस्कृति भी वही है, जो हमारे देश जी संस्कृति है, हमारे पश्चिम बंगाल की संस्कृति है. बांग्लादेश की संस्कृति बहुत ही समृद्ध है. साहित्य, कला और संगीत यहां की माटी में रचा-बसा हुआ है. यहां के लोग कला प्रेमी हैं.
 
उनकी जितनी दिलचस्पी लोकसंगीत और लोकगीतों में है उतनी ही रुचि साहित्य में भी है. वे ख़ास मौक़ों पर तोहफ़े के तौर पर किताबें देना पसंद करते हैं. इसीलिए यहां का साहित्य भी बहुत ही समृद्ध है. बांग्लादेश में भारतीय नृत्य कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी और मणिपुरी आदि लोकप्रिय हैं. यहां के लोग सूफ़ी संगीत के भी दीवाने हैं. 
 
बांग्लादेश के लोगों का रहन-सहन, खानपान और पहनावा भी भारतीयों जैसा ही है. यहां का मुख्य भोजन चावल है. लोग चावल के साथ मछली खाना ज़्यादा पसंद करते हैं. यहां बहुत से घरों में पानी के हौज़ बने होते हैं, जिनमें मछलियां होती हैं. जब मछली पकानी हो, हौज़ से निकालो और पका लो.
 
यहां के लोग कटहल भी बहुत शौक़ से खाते हैं. इसलिए इसे राष्ट्रीय फल का दर्जा दिया गया है. भारत के पूर्वी और दक्षिणी राज्यों के लोगों का मुख्य भोजन भी चावल ही है. फलों में आम को सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है.
 
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आम के पत्ते पवित्र माने जाते हैं. मान्यता है कि आम के पत्तों के तोरण द्वार पर लगाने से बलायें घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं. इसलिए इसे राष्ट्रीय वृक्ष बनाया गया है. यहां का राष्ट्रीय पुष्प जल में खिलने वाला सफ़ेद लिली भी पवित्रता का प्रतीक है.
 
पश्चिम बंगाल की तरह ही बांग्लादेश में भी पवित्रत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है. पीरियड के दौरान श्रमिक महिलाएं पान के खेतों में नहीं जातीं. उनका मानना है कि ऐसा करने पर सांप डंस लेता है. बंगाल का जादू भी दुनियाभर में मशहूर है. इस बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं.
 
यहां का पुरुषों का पारम्परिक पहनावा कुर्ता-क़मीज़ और धोती है. महिलाओं का पारम्परिक पहनावा साड़ी है. यहां की मुस्लिम महिलाएं भी साड़ी बांधती हैं. यहां के तीज-त्यौहार भी वही हैं, जो भारत में मनाए जाते हैं. पहला वैशाख यहां का प्रमुख ऋतु पर्व है, जो अप्रैल की पहली तारीख़ को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है.
 
उत्तर भारत में इस त्यौहार को बैसाखी कहा जाता है, जबकि दक्षिण भारत के केरल में यह विशु और तमिलनाडु में पुथंडु के नाम से जाना जाता है. पश्चिम बंगाल की तरह ही बांग्लादेश में भी देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है और विजयदशमी का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है. 
 
बांग्लादेश को क़ुदरत ने अपनी बेशुमार नेअमतों से नवाज़ा है. यहां तक़रीबन सात सौ नदियां बहती हैं, जिनमें गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना आदि शामिल हैं. इन नदियों की वजह से यहां की ज़मीन बहुत उपजाऊ है. इतना ही नहीं, बंगाल की खाड़ी दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है.
 
यहां का कॉक्स बाज़ार समुद्र तट दुनिया के सबसे लम्बे तटों में शामिल है. यहां का सुंदरवन डेल्टा दुनिया का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है. सुंदरवन एक मैंग्रोव जंगल है, जहां रॉयल बंगाल टाइगर पाया जाता है. यह यहां का राष्ट्रीय पशु है.
 
कहा जाता है कि इसकी दहाड़ की आवाज़ तीन किलोमीटर दूर भी सुनाई देती है. सुंदरवन स्थलीय और जलीय मैंग्रोव वनस्पतियों और जीवों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है. यूनेस्को ने साल 1997 में इसे एक प्राकृतिक विश्व विरासत स्थल के तौर पर अंकित किया था.
 
यहां की प्राकृतिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक विरासत भी बेमिसाल है. यहां के बागेरहाट में मस्जिद शहर है, जहां ब्रह्मपुत्र और गंगेल नदी का संगम होता है. उलुग ख़ान जहां ने पन्द्रहवीं सदी में इस शहर की बुनियाद रखी थी.
 
अब यह शहर खंडहर हो चुका है, लेकिन इसके अवशेष इसकी भव्यता की गवाही देते हैं. अब यह एक पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता है. इसकी पूर्व संरचनाओं में मस्जिदें, मक़बरे, सड़कें, पुल और इमारतें आदि शामिल हैं. यूनेस्को ने साल1985 में इसे सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया था. 
 
देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पहाड़पुर में बौद्ध विहार के खंडहर भी विश्व विख्यात हैं. इस बौद्ध विहार को धर्मपाल विक्रमशिला ने 770-810 ईस्वी के बीच एक मठ के तौर पर बनवाया था. यहां साठ पत्थर की मूर्तियां हैं,  जो हिन्दू धर्म की आस्था और वास्तुकला का प्रतीक हैं. 
 
महास्थलगढ़ यहां का सबसे पुराना शहर माना जाता है. यहां हर साल बाढ़ का ख़तरा बना रहता है. इसके कारण बहुत नुक़सान होता रहता है. बाढ़ ने देश की अनेक ऐतिहासिक धरोहरों को तबाह व बर्बाद कर दिया है.
बाढ़ से किसानों की ख़ून-पसीने से उगाई हुई फ़सल भी बर्बाद हो जाती है. इसलिए यहां के किसान सदियों पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
 
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यह आधुनिक तकनीक हाइड्रोपॉनिक खेती से मिलती-जुलती है. इसमें पानी में खेती की जाती है. भारत में भी पानी में सब्ज़ियां उगाई जा रही हैं.भारत की ही तरह बांग्लादेश में भी कबड्डी बहुत लोकप्रिय है. कबड्डी यहां का राष्ट्रीय खेल है. इसके अलावा लोग अन्य पारम्परिक और आधुनिक खेलों को भी काफ़ी पसंद करते हैं. अब तो क्रिकेट का जादू सबके सिर चढ़कर बोल रहा है.    
 
विकास के मामले में भी बांग्लादेश की हालत बेहतर है. बांग्लादेश ने साल 2023-24 में 71 अरब डॉलर का बजट पेश किया है, जिससे इसकी विकास दर 7.5 फ़ीसद तक पहुंच गई है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र के पूर्वानुमान पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद विकास दर के मामले में वियतनाम के बाद बांग्लादेश दूसरे पायदान पर होगा.
 
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की क्षेत्रीय आर्थिक आउटलुक का अनुमान है कि बांग्लादेश साल 2024 में विकास के मामले में चीन से आगे निकल सकता है.बांग्लादेश ही संस्कृति किसी भी तरह से भारत से अलग नहीं है. भारत की ही तरह बांग्लादेश भी अपनी प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को संजोये हुए विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है.    
 
(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)