इजिप्ट 6 : एक महारानी जिसके किस्से आज भी याद किए जाते हैं

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
 एक महारानी जिसके किस्से आज भी याद किए जाते हैं
एक महारानी जिसके किस्से आज भी याद किए जाते हैं

 

हरजिंदर

उनके बारे में जितनी जानकारियां हैं उससे ज्यादा किस्से हैं और उससे भी ज्यादा किवदंतियां.मिस्र के पूरे इतिहास का सबसे चर्चित और सबसे विवादास्पद नाम है- क्लियोपेट्रा.वे प्राचीन मिस्र के इतिहास की पहली महिला फैरो ही नहीं एक ऐसी महारानी भी हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी. क्लियोपेट्रा से जुड़े किस्से कहानियों में अक्सर उन्हें या तो बहुत क्रूर बताया जाता है या फिर बहुत अय्याश.हालांकि इतिहाकार जो हकीकत बताते हैं वह इससे काफी अलग है.

क्लियोपेट्रा एक कुशल शासक थीं.वे कईं भाषाओं की जानकारी रखती थीं.कहा जाता है कि वे सैन्य जानकारी भी रखती थीं और उन्हें उस दौर की कीमियगिरी का भी अच्छा खासा ज्ञान था.शासन चलाने और सत्ता को हथियाने के मामले में वे उतनी ही क्रूर थीं जितने उस जमाने के शासक होते थे.बल्कि हम उनसे भी ज्यादा क्रूर शासकों के बारे में जानते हैं.

इतिहास में अधिकतर यही देखने में आया है कि जब कोई महिला शासक होती है तो क्रूरता और अय्याशी को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है जबकि पुरुष शासकों के मामले में इसे सामान्य चीज मान लिया जाता है.दो हजार साल से भी पहले मिस्र टोलमी राजवंश में जन्म लेने वाली क्लियोपेट्रा अपने पिता की सबसे बड़ी संतान थीं.

उनके पिता यानी उस दौर के फैरो या सम्राट टोलमी-12 अपने बेटी से इतना प्यार करते थे कि उसे हमेशा अपने पास ही रखते थे.बाद में उन्होंने अपनी बेटी को सत्ता के बहुत से महत्वपूर्ण काम भी सौंप दिए.टोलमी-12 का जब निधन हुआ उसके पहले उन्होंने अपनी 18 साल की बेटी और अपने 10 साल के बेटे को अपना वारिस घोषित कर दिया.

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सत्ता के नए दावेदार न पैदा हों उस समय मिस्र के राजवंशों में भाई-बहन की आपस में शादी कर दी जाती थी.कहा जाता है कि क्लियोपेट्रा के माता पिता भी भाई बहन ही थे.दोनों की शादी कर दी गई और अब उसका भाई कहलाया टोलमी-13.भाई छोटा था इसलिए पूरा शासन खुद क्लियोपेट्रा ही चलाती थीं.

यह चीज बहुत से लोगों को खटकने लगी.वह ऐसा दौर था जब फैरो को लोग भगवान का प्रतिनिधि मानते थे.एक औरत को भगवान को प्रतिनिधि माना जाए ऐसा बहुत से लोगों को स्वीकार नहीं था.इसलिए दरबार और महल में षड़यंत्र होने लगे.षड़यंत्र में उसके भाई को भी शामिल कर लिया गया जो अब उसका पति भी था.

इसकी भनक क्लियोपेट्रा को लग गई और उसने वहां से भाग कर सीरिया में शरण ले ली.मिस्र पर फिर से कब्जा करने के लिए उसने वहां एक सेना भी बनानी शुरू कर दी.लेकिन जल्द ही उसकी समझ में आ गया कि मिस्र जैसे बड़े देश पर जीत हासिल करने के लिए उसकी यह सेना बहुत उपयोगी नहीं होगी.इसलिए उसने दूसरी योजना पर विचार शुरू किया.

उसे समझ में आया कि मिस्र पर कब्जा अब सिर्फ रोम के शासक ज्यूलियस सीज़र की मदद से हो सकता है.लेकिन एक निर्वासित रानी के लिए इतने बड़े सम्राट से मिलना आसान नहीं था.दोनों की मुलाकात कैसे हुई इसके बारे में एक काफी दिलचस्प कहानी कहीं जाती है.

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क्लियोपेट्रा का एक सेवक कालीन बेचने वाले का वेश धारण करके सीज़र के दरवार पहंुचा.वहां उसने बताया कि उसके पास एक बेशकीमती कालीन है जो सम्राट के सामने ही खोली जाएगी.दरअसल,इसी कालीन में क्लियोपेट्रा को लपेटा गया था.सीजर के सामने जब कालीन खुली तो उसमें से क्लियोपेट्रा निकली और कहा जाता है कि सीज़र उस पर मोहित हो गया.

ठीक इसी जगह यह बात भी अक्सर कह दी जाती है कि क्लियोपेट्रा थी ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी उस पर मोहित हो जाता था.हालांकि ग्रीक इतिहासकार प्लोटाॅर्क ने लिखा है कि वह बहुत ख्ूाबसूरत नहीं थी.यह भी मुमकिन है कि यूरोपीय लोगों को अपने पूर्वाग्रहों के कारण एक अफ्रीकी लड़की में सौंदर्य नजर न आया हो.

लेकिन यह बात तय है कि क्लियोपेट्रा की जो प्राचीन तस्वीरें और मूर्तियां मिलती हैं वह उनमें कम से कम उतनी खूबसूरत तो नहीं लगती जितनी कि 1963 में बनी फिल्म क्लियोपेट्रा में उसकी भूमिका निभाने वाली एलिजाबेथ टेलर लगी थीं.कहा जाता है कि ज्यूलियस सीज़र क्लियोपेट्रा पर मोहित हुआ यह सिर्फ खूबसूरती का मामला नहीं था.सीज़र पहली बार किसी इतनी जहीन औरत से मिला था.

उस समय तक रोम में महिलाओं को पढ़ाने लिखाने की परंपरानहीं थी.जबकि क्लियोपेट्रा हर तरह से दीक्षित और प्रशिक्षित थी.सीज़र ने जल्द ही मिस्र पर हमला किया और टोलमी-13 को मार गिराया.सत्ता फिर से क्लियोपेट्रा के हवाले कर दी गई.हालांकि सत्ता पर बैठने के बाद उसे अपने सबसे छोटे भाई से शादी करनी पड़ी जो कहलाया टोलमी-14.

कहा जाता है कि इस विजय के बाद सीज़र और क्लियोपेट्रा ने एक क्रूज़ पर सवार होकर कईं दिनों तक नील नदी की यात्रा की.कुछ लोग कहते हैं कि इसी दौरान दोनों में संबंध भी बने.हालांकि सीज़र की उम्र क्लियोपेट्रा से बहुत ज्यादा थी, दुगनी से भी ज्यादा.दोनों के एक संतान भी हुई.जिसका नाम रखा गया टोलमी सीज़र.

दरबार के षड़यंत्र फिर शुरू हो गए.इस बार भी क्लियोपेट्रा को इसकी खबर लग गई.इस बार षड़यंत्र में उसकी छोटी बहन भी शामिल थी.क्लियोपेट्रा ने दोनों को ही मरवा दिया.लेकिन कुछ ही समय बाद रोम में ज्यूलियस सीज़र की भी हत्या हो गई.
अब क्लियोपेट्रा को एक ऐसे संरक्षक की जरूरत थी जो मुश्किल वक्त में काम आए.सीज़र के बाद के रोम में उसका दामाद मार्क एंटनी सबसे ज्यादा प्रभावशाली हो गया था.

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क्लियोपेट्रा ने उससे संपर्क साधा और वह भी उस पर सीज़र की तरह ही मोहित हो गया.दोनों के संबंध बने और कहा जाता है कि उनके तीन बच्चे भी हुए.क्लियोपेट्रा अब अपने बेटे को रोम की तख्त पर बिठाना चाहती थी.मार्क एंटनी इसी के लिए युद्ध में लगा था और यह युद्ध भी वह अपने परिवार वालों से ही लड़ रहा था.

इस जंग के दौरान ही किसी ने मार्क को यह झूठी खबर दी कि क्लियोपेट्रा का निधन हो गया है.अचानक उसे लगा कि जिसके लिए उसने अपने लोगों से लड़ाई मोल ली वही नहीं रही तो वह क्या करेगा। मार्क एंटनी ने वहीं आत्महत्या कर ली.
यह खबर जब क्लियोपेट्रा को मिली तो उसे समझ आ गया कि जल्द ही वह दुशमन की पकड़ में आ सकती है.

उसने भी आत्महत्या कर ली.कुछ लोग कहते हैं कि उसने अपने पालतू सांप से अपने को कटवा लिया जबकि कुछ का कहना है कि उसने जहर पी लिया.सच जो भी हो लेकिन अपनी शर्तों पर पूरी जिंदगी जीने वाली क्लियोपेट्रा ने अपनी मौत भी खुद ही चुनी.

क्लियोपेट्रा के इस जीवन पर कईं कहानियां बनी, कईं उपन्यास लिखी गए, फिल्में बनीं जो बहुत हिट हुईं.बेशक इनमें उसके बारे में बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया गया.किसी के बारे में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाए ऐसा नसीब भी हर किसी का नहीं होता.लेकिन क्लियोपेट्रा को ऐसा ही नसीब मिला. 

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( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं @herhj)