ईद-उल-अधाः विद्वानों और बुद्धिजीवियों की अपील,कानून और भावनाओं का करें सम्मान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 20-07-2021
ईद-उल-अधाः विद्वानों और बुद्धिजीवियों की अपील,कानून और भावनाओं का करें सम्मान
ईद-उल-अधाः विद्वानों और बुद्धिजीवियों की अपील,कानून और भावनाओं का करें सम्मान

 

 मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

दुनिया अभी भी कोरोना के साए में है इस महामारी ने दुनिया में बहुत कुछ बदल दिया है. इसने सामाजिक जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है,क्योंकि महामारी के दौरान सामाजिक दूरी समय की जरूरत बन गई है. इसलिए लगातार दूसरे साल मुसलमानों का दूसरा सबसे अहम त्योहार ईद-उल-अधा बड़ी शांति और सावधानी के साथ मनाया जाएगा. कोरोना के चलते हज पर भी पाबंदी है.मकसद साफ है कि ‘‘जिंदगी है तो दुनिया है.‘‘ इंसान की जान से बढ़कर कुछ नहीं.
 
इसमें कोई शक नहीं कि इस तरह के त्योहार इस तरह की महामारी से प्रभावित होते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि धर्म ने खुद इस बात पर जोर दिया है कि सावधानी जरूरी है. मानव जीवन का कोई विकल्प नहीं है.
 
यही कारण है कि इस साल हज प्रवचन में इस पर जोर दिया गया है. इस्लाम के पैगंबर के मार्गदर्शन और सलाह का उल्लेख किया गया है कि उस क्षेत्र से न जाएं या बाहर न आएं जहां महामारी फैल गई है. हज के दौरान इस्लाम की दुनिया को भी इस संदेश के साथ याद दिलाया गया है कि महामारी में स्वयं सुरक्षित रहें और दूसरों को रखें सुरक्षित.
 
ईद-उल-अधा कैसे मनाएं और क्या सावधानियां बरतें आवाज-ए-वॉयस ने इस बारे में जाने-माने विद्वानों और बुद्धिजीवियों से बात की और इस संबंध में उनके विचार जाने. उन्होंने मुसलमानों से बकरीद के अवसर पर महामारी के मद्देनजर सभी सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया. उन्होंने कानून के साथ भाइयों की भावनाओं का ख्याल रखने की भी बात कही.
 
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद का कहना है कि ईद-उल-अजहा के मौके पर हर संभव एहतियात बरती जाए, क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी भी सिर पर मंडरा रहा है. इस धमकी के चलते कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई है.बाजार बंद किए जा रहे हैं.पुलिस और प्रशासन दिन-रात इसकी निगरानी में लगे हुए हैं. मुसलमानों को कानून का सम्मान करना चाहिए. ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे.
 
 मुफ्ती मुकर्रम ने आगे कहा कि ईद की तरह हमें भी ईद-उल-अजहा में नमाज को लेकर सरकारी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए. मौलाना मुफ्ती के मुताबिक मुसलमानों को कुर्बानी को लेकर बेहद सावधान रहना चाहिए. पर्दे में कर्बानी करना बेहतर है. इस संबंध में पुलिस का सहयोग करें. सफाई का प्रबंधन सबसे अच्छा होना चाहिए. गंदगी  नहीं फैलानी चाहिए.
 
ईद-उल-अजहा के मौके पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस्लामी विद्वान मुफ्ती मंजूर जिया ने मुसलमानों से आधिकारिक गाइडलाइन का सम्मान करने और जारी निर्देशों का पालन करने की अपील की है. मुफ्ती जिया ने कहा कि सरकार को सहयोग करना हमारा धर्म  है.
 
उन्होंने कहा कि सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह मुसलमानों की भावनाओं का ख्याल रखे. उन्हें जो सुविधाएं उपलब्ध हैं. उन्हें मुहैया कराएं. महाराष्ट्र सरकार ने मुसलमानों को कुर्बानी देने की इजाजत तो दी लेकिन यह नहीं बताया कि कुर्बानी कहां होगी.
 
सरकार ने बकरियों की ऑनलाइन खरीद का रास्ता तो दिखाया है,लेकिन यह नहीं बताया है कि कुर्बानी कहां होगी.  ऑल इंडिया मुस्लिम एडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष नवीद हामिद ने आवाज-ए-वॉयस से बात करते हुए कहा कि ईद-उल-अजहा की तीसरी लहर को देखते हुए सावधानी जरूरी है. क्योंकिमहामारी से छुटकारा पाना किसी बड़ी जिम्मेदारी से कम नहीं है.इसलिए सरकारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें. सरकारी निर्देशों के अनुसार ही नमाज अदा करें.
 
नवीद हामिद ने आगे कहा कि ऐसी हरकत से बचना चाहिए जिससे शरारती तत्वों को कोई मौका मिले.साथ ही भाइयों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यही धर्म का संदेश है.