
आज के समय में, जब समाज धर्म, वर्ग और पृष्ठभूमि के आधार पर बँटा हुआ महसूस करता है, तब कुछ लोग अपने कर्मों से यह साबित करते हैं कि बदलाव न केवल संभव है बल्कि ज़रूरी भी है। ऐसे ही लोगों में से एक हैं शिराज़ खान, जिनका गैर-लाभकारी संगठन ‘यस वी कैन’ (Yes We Can) उम्मीद, एकता और सशक्तिकरण की नई परिभाषा गढ़ रहा है। यह संगठन समाज के हाशिये पर खड़े लोगों को न केवल मदद देने बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और समर्थ बनाने के उद्देश्य से काम कर रहा है। ‘यस वी कैन’ का मकसद आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ मानसिक, नैतिक और भावनात्मक मज़बूती प्रदान करना है। इसके अंतर्गत दिव्यांग बच्चों की विशेष देखभाल के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाती है ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।आवाज द वाॅयस के स्पेशल सीरिज द चेंज मेकर्स के लिए हमारी साथी विदुषी गौर ने नई दिल्ली से शिराज़ खान पर यह विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
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संगठन युवाओं को सकारात्मक दिशा देने के लिए खेलों और रचनात्मक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करता है। क्रिकेट और फुटबॉल के लिए खोले गए कोचिंग सेंटर बच्चों और युवाओं को न केवल अपनी प्रतिभा पहचानने का अवसर देते हैं, बल्कि उन्हें अनुशासन और टीम भावना भी सिखाते हैं। शिराज़ खान का मानना है—“सपने देखना आसान है, लेकिन जब कोई रास्ता न दिखे तो वही सपना भारी लगने लगता है। ‘यस वी कैन’ का उद्देश्य उन लोगों को रास्ता दिखाना है, ताकि वे समझ सकें कि उनकी पृष्ठभूमि उनके भविष्य को तय नहीं करती।”
पुरानी दिल्ली की गलियों से निकलकर यह सोच पनपी, जहाँ शिराज़ खान का जन्म हुआ। एक धर्मनिष्ठ मुस्लिम परिवार में पले-बढ़े शिराज़ ने आधुनिक शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल से प्राप्त की और साथ ही मदरसे में जाकर कुरान को याद कर हाफिज़ बनने का गौरव भी हासिल किया।
यह यात्रा उनके भीतर अनुशासन, धैर्य और आत्मनियंत्रण का भाव भर गई। लेकिन इस धार्मिक और पारंपरिक पृष्ठभूमि के बावजूद, उनके भीतर एक बेचैनी थी,कुछ अलग करने की, खुद को तलाशने की, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की। अपने पिता की आय पर निर्भर रहने के बजाय उन्होंने अपनी राह खुद बनाने का निर्णय लिया।
शिराज़ की पहली नौकरी एक कॉल सेंटर में थी—एक ऐसा क्षेत्र जो समाजसेवा से बिल्कुल अलग लगता है, लेकिन यही उनके जीवन का पहला प्रशिक्षण मैदान बना।
यहाँ उन्होंने संवाद, आत्मविश्वास और लोगों से जुड़ने की कला सीखी। बाद में उनकी रचनात्मकता ने उन्हें एक डांस स्टूडियो की ओर खींचा, जहाँ से मॉडलिंग और अभिनय की दुनिया के दरवाजे खुले। अपनी महत्वाकांक्षा को पंख देने के लिए वे मुंबई पहुँचे ,सपनों के शहर में। लेकिन यह सफर आसान नहीं था। संघर्ष, आर्थिक कठिनाइयाँ और अनिश्चितता उनके साथी थे।
कई बार उन्होंने बिना किराये के दोस्तों के घरों में रातें बिताईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने टीवी सीरियल्स और रियलिटी शो में काम करना शुरू किया, और ऐसा लगा जैसे पुरानी दिल्ली का यह युवा अपने सपनों को साकार कर रहा हो।
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फिर आया कोविड-19 महामारी का दौर—जब सारी दुनिया थम गई। यह समय शिराज़ के लिए आत्ममंथन का दौर था। अभिनय के ग्लैमर से दूर, उन्होंने खुद से सवाल किए—“जीवन का असली उद्देश्य क्या है?” इसी दौरान एक दोस्त के सुझाव पर उन्होंने पॉडकास्टिंग शुरू की, जहाँ वे आम लोगों की कहानियाँ सुनते और साझा करते थे।
इस प्रक्रिया में उन्हें एहसास हुआ कि सफलता का अर्थ प्रसिद्धि नहीं, बल्कि दूसरों को प्रेरित और सशक्त करना है। इसी सोच से जन्म हुआ ‘यस वी कैन’ का—एक ऐसा मंच जो लोगों को जोड़ने, उनकी कहानियाँ सुनने और उनमें आत्मविश्वास जगाने के लिए बनाया गया।
हालाँकि यह संगठन आधिकारिक रूप से महामारी के दौरान सक्रिय हुआ, लेकिन इसकी नींव 2015 में ही रखी जा चुकी थी। उस समय शिराज़ और उनके साथी नंदीश ने महसूस किया था कि लोगों को केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि प्रेरणा, मार्गदर्शन और अपनत्व की आवश्यकता है।
धीरे-धीरे यह पहल एक आंदोलन में बदल गई। आज ‘यस वी कैन’ विभिन्न समुदायों, स्कूलों और युवा समूहों के साथ मिलकर मेंटरशिप प्रोग्राम, वर्कशॉप और जागरूकता अभियानों के माध्यम से आत्मविश्वास और सहयोग की भावना फैला रहा है। शिराज़ कहते हैं—“यह संगठन दान नहीं, सशक्तिकरण की बात करता है। हमारा लक्ष्य लोगों में निर्भरता नहीं, बल्कि जुझारूपन पैदा करना है।”
शिराज़ खान की अपनी ज़िंदगी उनके मिशन की सबसे बड़ी प्रेरणा है। हाफिज़ से मॉडल, मॉडल से अभिनेता, और फिर अभिनेता से सामाजिक सुधारक बनने तक की यात्रा में हर पड़ाव ने उन्हें नया दृष्टिकोण दिया।
उन्होंने सीखा कि जीवन में बदलाव केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी लाना चाहिए। उनके अनुभवों ने उन्हें यह सिखाया कि हर कठिनाई हमें किसी बड़े मकसद की ओर ले जाती है—और वह मकसद है दूसरों को उठाना, प्रेरित करना और उनमें यह विश्वास भरना कि “हाँ, हम कर सकते हैं।”
आगे चलकर शिराज़ का सपना है कि ‘यस वी कैन’ पूरे भारत में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में फैले। वे स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर युवाओं के लिए सशक्तिकरण का नेटवर्क बनाना चाहते हैं।
साथ ही, वे अपने पॉडकास्टिंग कार्य को भी आगे बढ़ाना चाहते हैं ताकि समाज की अनसुनी आवाज़ों को एक मंच मिल सके, जहाँ हर कहानी किसी के लिए प्रेरणा बन सके।उनका दृढ़ विश्वास है—“परिवर्तन किसी बड़े मंच या संसाधन से नहीं, बल्कि एक छोटे से विश्वास से शुरू होता है—कि हाँ, हम कर सकते हैं।”

शिराज़ खान की कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस हर इंसान की है जो सपने देखने और उन्हें साकार करने की हिम्मत रखता है। ‘यस वी कैन’ इसी विश्वास का प्रतीक है—एक ऐसा आंदोलन जो हर आवाज़ को सुनता है, हर कहानी को महत्व देता है, और हर सपने को उड़ान देने की कोशिश करता है।

शिराज़ खान यह साबित करते हैं कि जब नीयत साफ़ और मकसद बड़ा हो, तो कोई भी दीवार इतनी ऊँची नहीं होती जिसे पार न किया जा सके। यही उनकी यात्रा का सार है—“सपनों को हकीकत में बदलने का साहस, और दूसरों को भी यह विश्वास दिलाने की शक्ति कि सच में, Yes We Can!”