आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
भारत में निजी बैंकों ने बीते पांच वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में अपनी पकड़ को मज़बूत किया है, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि मार्च 2019 में सार्वजनिक बैंकों के पास कुल जमा राशि का 63.2 प्रतिशत हिस्सा था, जो मार्च 2025 तक घटकर 56.3 प्रतिशत रह गया है. यह लगभग 600 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट दर्शाता है.
इस अवधि में निजी बैंकों की हिस्सेदारी 28.6 प्रतिशत से बढ़कर 34.8 प्रतिशत हो गई है. अन्य बैंकों की हिस्सेदारी लगभग स्थिर रही है और यह 8.1 प्रतिशत से 8.8 प्रतिशत के बीच बनी रही. खास बात यह रही कि निजी बैंकों ने न केवल शहरी इलाकों में बल्कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी अपने जमा खातों की संख्या में बढ़ोतरी की है, जो अब तक सार्वजनिक बैंकों के गढ़ माने जाते थे.
हालांकि 2024-25 में कुल जमा राशि में बढ़ोतरी की गति धीमी रही, फिर भी पीएसबी ने इस वर्ष में कुछ हद तक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बरकरार रखी. क्षेत्रीय आधार पर देखा जाए तो महानगरीय क्षेत्रों में अब निजी बैंकों की हिस्सेदारी सार्वजनिक बैंकों के लगभग बराबर हो चुकी है. ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में अभी भी सार्वजनिक बैंकों का दबदबा है, खासकर चालू और बचत खातों (CASA) के मामले में, लेकिन यहां भी निजी बैंक अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं.
निजी बैंकों ने महानगरों में CASA डिपॉजिट का बड़ा हिस्सा अपने नाम कर लिया है और अब वे शहरी इलाकों में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि पीएसबी ने जहां मेट्रो क्षेत्रों में चालू खातों में बेहतर वृद्धि दर्ज की है, वहीं समग्र जमा वृद्धि में निजी बैंक बाज़ी मारते नज़र आ रहे हैं, खासकर टर्म डिपॉजिट के चलते.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निजी बैंकों का CASA अनुपात सभी क्षेत्रों में सार्वजनिक बैंकों की तुलना में तेज़ी से गिर रहा है. इसके बावजूद, निजी बैंक साल-दर-साल जमा में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. मार्च 2024 में जहां निजी बैंकों की जमा वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत रही, वहीं सार्वजनिक बैंकों की वृद्धि 9.4 प्रतिशत दर्ज की गई। मार्च 2025 तक यह ट्रेंड जारी रहा, जिसमें निजी बैंकों ने 12 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई जबकि पीएसबी 9.3 प्रतिशत और सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की औसत वृद्धि दर 10.3 प्रतिशत रही. ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र में निजी बैंकों की पकड़ मज़बूत होती जा रही है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक धीरे-धीरे अपनी पारंपरिक बढ़त खो रहे हैं.