ईरान-इज़राइल तनाव से भारत का चालू खाता घाटा 0.3% तक बढ़ सकता है: ICRA रिपोर्ट

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-06-2025
Iran-Israel tensions may widen India's current account deficit by 0.3%: ICRA report
Iran-Israel tensions may widen India's current account deficit by 0.3%: ICRA report

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव का असर अब वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है और इसका सीधा प्रभाव भारत के चालू खाता घाटे (CAD) पर पड़ सकता है.  
 
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इस क्षेत्र में तनाव के चलते कच्चे तेल की औसत कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ जाती हैं, तो भारत का शुद्ध तेल आयात सालाना आधार पर करीब 13-14 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है, जिससे चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.3% तक बढ़ सकता है. ICRA ने कहा कि यदि वित्त वर्ष 2026 में कच्चे तेल की औसत कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहती हैं, तो चालू खाता घाटा 1.2-1.3% से बढ़कर 1.5-1.6% तक पहुंच सकता है. इससे रुपये पर भी दबाव बढ़ेगा और डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट आ सकती है.
 
गौरतलब है कि ईरान और इज़राइल के बीच 13 जून 2025 से शुरू हुए संघर्ष के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है. शुरुआती स्तर पर जो कीमतें 64-65 डॉलर प्रति बैरल थीं, वे अब 74-75 डॉलर तक पहुंच चुकी हैं. इस बीच अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की चेतावनी दी है, जिससे वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति पर संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है.
 
होरमुज जलडमरूमध्य वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख केंद्र है, जहां से विश्व की लगभग 20 प्रतिशत तरल ऊर्जा और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का व्यापार होता है। भारत अपने कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा – लगभग 45 से 50 प्रतिशत – इराक, सऊदी अरब, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से आयात करता है, और ये सभी आपूर्ति इसी मार्ग से होती हैं.
 
ICRA ने यह भी बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की तुलना में कहीं अधिक तेजी से पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, अगर कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो WPI महंगाई दर में 80 से 100 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि CPI पर यह असर 20 से 30 बेसिस पॉइंट्स तक सीमित रहेगा, बशर्ते पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में भी समान रूप से वृद्धि हो.
 
प्राकृतिक गैस के मामले में भारत अपनी कुल आयातित गैस का लगभग 54 प्रतिशत उसी मार्ग से प्राप्त करता है. इनमें से अधिकतर दीर्घकालिक अनुबंध कतर और यूएई के साथ हैं. यदि होरमुज जलडमरूमध्य में आपूर्ति बाधित होती है तो भारत को स्पॉट मार्केट से महंगी गैस खरीदनी पड़ सकती है, जिससे घरेलू ऊर्जा कीमतों में और इज़ाफा हो सकता है. कुल मिलाकर, ICRA की रिपोर्ट यह स्पष्ट संकेत देती है कि पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव केवल कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक स्थिरता और मुद्रास्फीति पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है.