मुंबई
फ्रांसीसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी अमुंडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अपनी हालिया न्यूट्रल पॉलिसी स्टैंड से हटकर अगले 12 महीनों में अतिरिक्त 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करनी चाहिए।
आर्थिक विकास पर असर: रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2026 में अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। हालांकि, घरेलू मांग अब भी विकास का प्रमुख इंजन बनी हुई है।
घरेलू मांग और सरकारी समर्थन: रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू मांग, जीएसटी में बदलाव, आयकर में कमी और आठवीं वेतन आयोग की जनवरी 2026 में लागू होने वाली सिफारिशें, उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देंगी।
निजी निवेश की स्थिति: निजी निवेश का सुधार अभी असमान और धीमा है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण प्रभावित रहा है। डिरेगुलेशन प्रयास निवेश चक्र को पुनर्जीवित कर सकते हैं, लेकिन बाहरी जोखिम अभी भी सबसे बड़ा खतरा है।
मुद्रास्फीति का अनुमान: रिपोर्ट के अनुसार, 2026 में मुद्रास्फीति औसतन 4-5% रहने की संभावना है, जिसके पीछे सुखद मानसून, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा कीमतों में नरमी, और जीएसटी बदलाव का असर है।
शेयर बाजार का दृष्टिकोण: अमुंडी ने भारतीय इक्विटी मार्केट के लिए हल्का सकारात्मक रुख अपनाया है। आकर्षक अवसर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, वैश्विक सप्लाई-चेन से जुड़ी मैन्युफैक्चरिंग, और वित्तीय समावेशन बढ़ाने वाली तकनीकें हैं।
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि RBI को नीतिगत दरों में कटौती कर आर्थिक विकास को गति देने और घरेलू मांग को सहारा देने की जरूरत है।