फजल पठान
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा हुई और राज्य में आचार संहिता लागू है. हर जगह चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. आचार संहिता से पहले महाराष्ट्र में कई बड़े और अहम फैसले लिए गए. इसमें पिछले चार साल से रुका राज्यपाल नियुक्त विधायकों का फैसला भी है. आचार संहिता से पहलेही महायुति ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त बारह विधायकों में से सात विधायकों की सूची राज्यपाल को भेजी थी.
विधान परिषद में बीजेपी को तीन, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को दो-दो सीटें दी गई हैं. बीजेपी से चित्रा वाघ, विक्रांत पाटिल और बाबूसिंह महाराज राठौड़ को मौका दिया गया. शिवसेना से मनीषा कायंदे, हेमंत पाटिल और एनसीपी से पंकज भुजबल और इदरीस नायकवाडी को मौका मिला है. विधान परिषद के एकलौते मुस्लिम सदस्य होने के नाते इदरीस नायकवडी का नाम आज कल चर्चा में है.
कौन हैं इदरीस नायकवडी ?
नायकवाड़ी परिवार शुरुआत से ही राष्ट्रवादी कांग्रेस यानी एनसीपी के साथ है. नायकवाड़ी के पिता इलियास नायकवाड़ी शरद पवार के सहयोगी और एनसीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. उन्होंने पार्टी निर्माण के लिए राज्य का चप्पा चप्पा छान मारा था. इदरीस नायकवडी कई सालों से राजनीति में सक्रिय हैं. मिराज में उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में जाना जाता है.
उन्होंने सांगली की जमीन पर राष्ट्रवादी विचारों का बीजारोपण किया. सांगली मिराज में नगर सेवक के रूप में काम किया. वह सांगली मिराज और कुपवाड सिटी नगर निगम के पूर्व मेयर भी रहे हैं. इदरीस नायकवादी ने लगातार अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को उठाने का काम किया है। वर्तमान में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक प्रभाग के क्षेत्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं.
विधान परिषद में मुस्लिम प्रतिनिधि
लोकसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के चुनाव हुए. इतिहास में पहली बार इस चुनाव में कोई भी मुस्लिम प्रतिनिधि विधान परिषद के लिए नहीं चुना गया. इसकी राज्य भर में आलोचना और चर्चा हुई. साथ ही कई सवाल उठाए गए. लेकिन अब एनसीपी ने सांगली मिराज नेता इदरीस नायकवडी को मौका दिया है. नायकवाडी ने एनसीपी से विधान परिषद विधायक के रूप में शपथ ली. शपथ के कारण मुस्लिम समुदाय को विधान परिषद में फिर से प्रतिनिधित्व मिल गया.
इदरीस नायकवडी को मौका देकर एनसीपी ने क्या हासिल किया?
लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस में फूट पड़ गई थी. बगावत के बाद 40विधायक अजित पवार के साथ चले गए. लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों ने राज्य में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा. कहा गया कि इससे मुस्लिम समुदाय नाराज है.
अब विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसलिए एनसीपी के अजित पवार गुटने मुस्लिम समुदाय से आने वाले इद्रिस नायकवडी को विधान परिषद में मौका दिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि एनसीपी ने नायकवाड़ी को मौका देकर अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समुदाय की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है.
विधान परिषद के लिए चुने बोले नायकवाड़ी
विधायक के रूप में शपथ लेने के बाद मीडिया से बातचीत में इदरीस नायकवडीने कहा, ''अजित पवारजी की भूमिका निष्ठावान कार्यकर्ताओं को न्याय दिलाने की है. उनके फैसले से पता चलता है. मेरा परिवार पिछले 20-25वर्षों से राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ है. मैं दादा का आभारी हूं. उन्होंने मेरे काम को ध्यान में रखते हुए मुझे विधान परिषद का सदस्य बनने का मौका दिया.'
उन्होंने आगे कहा, ''आगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय को राष्ट्रवादी पार्टी के साथ एकजुट करने के लिए जो भी करना होगा करूंगा. महाराष्ट्रभर घुमुंगा और अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं से मुलाकात करूँगा.”इदरीस नायकवडी के रूप में विधान परिषद में एक बार फिर मुस्लिम समाज को प्रतिनिधित्व मिल पाया है.
लोकतंत्र में समाज का सर्वांगीण विकास तभी होता है जब हर समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है. यदि अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व मिले, तो यह स्वस्थ राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा. इद्रिस नायकवडी का चुनाव उसी दिशा में की गई सकारात्मक पहल कही जा सकती है.