अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी
अधिकांश लोगों की यह गलतफहमी है कि मदरसे के छात्र केवल हाफ़िज़ या मौलाना ही बन सकते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि कई छात्रों ने मदरसे की शिक्षा के साथ सामान्य शिक्षा लेकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है. असम के दो हाफ़िज़-ए-कुरआन ने भी ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है.
दोनों हाफ़िज़ ने हाल ही में हुई नीट परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अब वे डॉक्टर बनने के अपने सपने को साकार करने की राह पर हैं. हाफ़िज़ मुमताज़ुल हसन चौधरी और हाफ़िज़ हुजैफ़ा लस्कर ने यह साबित कर दिया कि कोई भी हाफ़िज़ होकर भी डॉक्टर बन सकता है.
मुमताज़ुल हसन चौधरी ने कहा, “मैं अपने शिक्षकों का आभारी हूं. सबसे पहले मैं अपने माता-पिता को धन्यवाद देना चाहता हूं. अगर किसी की सबसे बड़ी भूमिका बच्चों की सफलता में है, तो वे माता-पिता ही हैं. जब मैं पढ़ाई में बहुत कमजोर था, गणित के मूल फॉर्मूले भी नहीं जानता था, तब मेरे भाइयों नूर अहमद और अनवर हुसैन लस्कर ने मेरी बहुत मदद की.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं और आगे बढ़ना चाहता हूं. मैं उच्च स्तरीय परीक्षाएं पास करना चाहता हूं. मेरे लिए दुआ करें. मैं लगातार मेहनत करूंगा. कामयाबी हासिल करूंगा.”
मुमताज़ुल हसन चौधरी ने होजाई (मध्य असम) स्थित अनफ़र सुपर 50 कोचिंग सेंटर से नीट की तैयारी की थी. यह कोचिंग सेंटर लगातार दूसरे साल नीट के लिए छात्रों को मार्गदर्शन दे रहा है.. 2024 से यहां के छात्र नीट परीक्षा में भाग ले रहे हैं. इस साल मुमताज़ुल हसन चौधरी समेत 8 छात्रों ने यहां से नीट परीक्षा पास की है.
हाफ़िज़ मुमताज़ुल हसन को अनफ़र सुपर 50 में मुफ्त कोचिंग की सुविधा मौलाना मुश्ताक अनफ़र ने दी थी.वहीं दूसरी ओर, कछार ज़िले के कटिगोरा क्षेत्र स्थित गनीरग्राम शांतिपुर निवासी हाफ़िज़ हुजैफ़ा लस्कर ने होजाई स्थित अजमल सुपर 40 कोचिंग सेंटर से नीट की तैयारी की थी.
अब्दुल्ला लस्कर और फातिमा बिलकीस लस्कर के बेटे हुजैफ़ा ने नीट परीक्षा में 547 अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण किया है. हुजैफ़ा के भाई मुईज़ लस्कर ने हाल ही में जेईई परीक्षा पास की है. फिलहाल एनआईटी सिलचर में पढ़ाई कर रहे हैं.
"आवाज़ - द वॉयस" से बात करते हुए इस्लामी विद्वान मौलाना नुरुल अमीन क़ासिमी ने कहा, “कोई भी व्यक्ति मदरसे की शिक्षा के साथ सामान्य शिक्षा भी प्राप्त कर सकता है.
लोग शायद इस सच्चाई को पहले नहीं समझते थे. जो छात्र हाफ़िज़ की पढ़ाई करना चाहते हैं, वे आमतौर पर कक्षा 5 या 6 तक सामान्य स्कूल की पढ़ाई करने के बाद मदरसे में दाखिला लेते हैं. एक अच्छा छात्र तीन साल में हाफ़िज़ की पढ़ाई पूरी कर लेता है.
इस दौरान वह कक्षा 9 तक की सामान्य पढ़ाई भी करता रहता है. हाफ़िज़ बनने के बाद उसे सीधे कक्षा 9 में प्रवेश दिया जाता है और वह हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (HSLC) परीक्षा की तैयारी करता है और फिर सामान्य शिक्षा में पूरी तरह जुट जाता है.”
उन्होंने आगे कहा, “ऐसे कई उदाहरण हैं. मदरसे में पढ़े छात्रों ने अच्छी नौकरियां पाईं या समाज में अच्छे पदों पर पहुंचे. आजकल लोग इसे समझ रहे हैं. हाफ़िज़ या मौलाना कोर्स के बाद डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि बनने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं.”
इस साल नीट यूजी परीक्षा के लिए पूरे भारत से कुल 22,76,069 छात्रों ने आवेदन किया, जिनमें से 22,09,318 छात्रों ने परीक्षा दी. इनमें से 12,36,531 छात्र सफल घोषित हुए.
असम के मोहम्मद मूसा कलीम ने नीट 2025 परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 509 हासिल कर राज्य में टॉप किया है. उन्होंने 99.97 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.असम से कुल 44,497 छात्रों ने नीट 2025 परीक्षा के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 41,848 छात्रों ने परीक्षा दी और 19,809 छात्र इसमें सफल रहे.