शुभम कुमार : मां ने दिया सफलता का मंत्र

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
शुभम कुमार
शुभम कुमार

 

सुल्ताना परवीन / कटिहार /  पूर्णिया ( बिहार )

यूपीएससी 2020 के टॉपर शुभम कुमार के पिता देवानंद सिंह अपने बेटे की सफलता से बेहद गदगद हैं. उन्हें यह स्वीकार में थोड़ी भी झिझक नहीं कि शुभम सफलता में इनकी मां पूनम सिंह की अहम भूमिका रही है. 
 
शुभम के पिता आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहते हैं, जब वह स्कूल में थे तो पैरेंट्स मीटिंग में ज्यादातर उनकी मां ही जाती थीं. पिता होने के नाते उनका ज्यादा वक्त घर खर्च जुटाने में जाता था. लेकिन शुभम की मां ने हर जगह उनका साथ दिया. हौसला बढ़ाया.
 
वह कहते हैं कि जब छठी कक्षा में पूर्णिया के विद्या विहार स्कूल में शुभम का नामांकन कराया गया तो पहले साल क्लास के 110 बच्चों में उनका स्थान 40 वां  था. उसके बाद मैं शुभम के स्कूल गया. वहां कैंपस में चादर बिछा कर दिन भर शुभम को समझाया.
 
उसका हौंसला बढ़ाया. उसकी मां उसके पसंद का खाना साथ ले गई थी. हम लोग उसे खिलाते भी रहे और समझाते भी रहे. उसे क्लास में कम नंबर भी आया तो हमने उसका हौंसला बढ़ाया. यह सिलसिला कई बार चला. उसके बाद नौंवी तक आते आते वह टॉप थ्री में आने लगे.
 
यूपीएससी के रिजल्ट के बारे में वह कहते हैं कि उनके परिवार को उम्मीद थी कि शुभम इस बार टॉप 50 में जरूर आएंगे. लेकिन लगनशीलता और मेहनत ने अपना रंग दिखाया. वह हमारी शान बन गए. वह देश के लिए काम करना चाहते हैं. अपने राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं.
 
शुभम की बड़ी बहन अंचिता कुमारी डिपार्टमेंट ऑफ एटामिक एजर्जी बेंगलुरू में साइंटिफिक अधिकारी हैं. आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहती हैं कि शुभम बचपन में भी अपने लक्ष्य के प्रति डेडिकेटेड रहते थे. पढ़ाई को लेकर हमेशा संजीदा होते थे. कभी किसी काम को करने में कोताही नहीं की. डेडिकेशन की आज शुभमक के काम आया.
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शिक्षकों को याद नहीं आत शुभम की गलतियां 

शुभम कुमार ने मैट्रिक की परीक्षा पूर्णिया के रेसिडेंशियल स्कूल विद्या विहार से पास की है. इस स्कूल में उनका दाखिला छठी कक्षा में हुआ था. शुभम कुमार स्कूल के जिस छात्रावास में रहते थे उसके अधीक्षक थे डॉ. गोपाल झा.
 
डॉ. गोपाल कहते हैं कि शुभम जब यूपीएससी टॉपर बने तो हम सभी शिक्षक बात कर रहे. हम कोशिश करके भी शुभम की एक भी गलती याद नहीं कर पाए. कारण हममें से किसी ने उसे उसकी गलती की सजा नहीं थी. समय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हम सब को चैकाती थी.
 
कभी उसे सुबह में जगाने की जरूरत नहीं पड़ी. समय से पहले ही  जगह पर सबसे पहले तैयार मिलते थे. पीटी में जाना हो, ब्रेक फास्ट या लंच के लिए जाना हो, आफ्टरनून स्टडी हो या कोई और मौका, हर जगह सबसे पहले और समय से पहले पहुंचता था.
 
कभी उसने शिकायत का मौका नहीं दिया. गेम्स हो या प्रेयर , हर जगह समय पर मिलते थे. डॉ. गोपाल झा कहते हैं कि शुभम में एक बहुत अच्छी आदत है. वह लिखते बहुत अच्छा हैं. वह सिर्फ पढ़ते अच्छे नहीं थे, पढ.ने के साथ लिखता भी अच्छा थे.
 
इस बार यूपीएससी की लिखित परीक्षा में शुभम 23 नंबर से सबसे आगे रहे. इंटरव्यू में कई परीक्षार्थियों से पीछे रहने के बाद भी वह टॉपर बने, क्योंकि लिखित परीक्षा में वह सबसे बहुत आगे थे.  इस 23 नंबर ने ही उन्हें टॉपर बनाया. इस सफलता का सबसे बड़ा राज अच्छा लिखना है.
 
विद्या विहार स्कूल के रसायन शास्त्र के शिक्षक निखिल रंजन कहते हैं कि 2008 में जब शुभम कुमार स्कूल आए तो उस वक्त वो छठी कक्षा में पढते थे. उस वक्त वह एक साधारण छात्र थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने खुद में बदलाव किए .
 
खुद को हर मोर्चे पर साबित किया. शुरू के दिनों में अपनी कक्षा में पढ़ने वाले 110 बच्चों में कभी 30वें स्थान पर रहते तो भी 40वें स्थान पर. मगर समय के साथ बेहतर होते गए. जब आठवीं में थे तो नौवीं की चीजें पढ़ना चाहते थे.
 
जब नौवीं में गए तो 11वीं की चीजें पढ़ते. जब 2012 में मैट्रिक पास कर प्लस टू करने के लिए बोकारो के चिन्मया स्कूल गए तो पहले की पढ़ाई बहुत काम आई. 2014 में प्लस टू करते ही  सलेक्शन सिविल इंजीनियरिंग में आईटी मुबई में हो गया.
 
कॉरपोरेट सेक्टर में इंटर्नशिप किया, जहां पर उसका मन नहीं लगता था. तभी अधिकारी बनने की ठानी और 2018 में सिविल इंजीनयरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए. संजीव रंजन कहते हैं कि 2018 यूपीएससी परीक्षा में वह सफल नहीं हो सके.
 
लेकिन 2019 में 290 वां रैंक हासिल किया. नौकरी के दौरान लगा कि कुछ और करना चाहिए. फिर वो लीव विदाउट पे लेकर परीक्षा की तैयारी में जुट गए. कोरोना काल में खूब तैयारी. पढ़ाई के सिवा कुछ और नजर ही नहीं आता था. अब जो रिजल्ट है वो दुनिया के सामने है. अपने लक्ष्य के प्रति लगन ही यहां तक लेकर आई है.
 
पढाई के समय हम बात नहीं करते थे: कुमार निशांत विवेक

कुमार निशांत विवेक आईएएस अधिकारी हैं और पूर्णिया में प्रशिक्षु आईएएस के रूप में काम कर रहे हैं. निशांत विवेक और शुभम कुमार बचपन के दोस्त हैं. दोनों ने एक साथ 2008 में पूर्णिया के विद्या विहार स्कूल में दाखिला लिया था.
 
उसके बाद पांच साल तक दोनों ने साथ पढ़ाई की. दोनों दोस्त न सिर्फ एक ही कक्षा में थे, एक ही सेक्शन में भी थे. दोनों स्कूल से निकलने के बाद दिल्ली में मिले और एक ही साथ एक ही कमरे में रह कर यूपीएससी की तैयारी की.
 
स्कूल के दिनों को याद करते हुए आईएएस निशांत विवेक कहते हैं कि शुभम हमेशा से मेहनती और पढाई के प्रति डेडिकेटेड थे. खेल में भी खूब रूचि लेते थे. दोनों लोग साथ में क्रिकेट, बास्केटबॉल और टेबल टेनिस खेलते थे.
 
निशांत विवेक कहते हैं कि दोनों दोस्तों ने साथ में 2009 में राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में हिस्सा लिया था. इसके प्रारंभिक परीक्षा में दोनों का ही चयन हुआ था. निशांत विवेक और शुभम कुमार स्काउट में एक साथ थे. दोनों दोस्त एक बार स्काउट गाइड के जंबूरी कैंप में हैदराबाद गए थे.
 
वहां उन्होंने दो हफ्ते बिताए थे. निशांत विवेक कहते हैं कि वह दो सप्ताह हमने बेहतरीन तरीके से बिताया. यूपीएससी की तैयारी के बारे में प्रशिक्षु आईएएस कहते हैं कि हम दोनों एक साथ ओल्ड राजेंद्र नगर के एक कमरे रहते थे.
 
हम लोग जब बात करते थे तो बात लंबी हो जाती थी. हम बातों में बह जाते थे. सबसे पुराना दोस्त होने के कारण हमारे पास बातें भी बहुत थीं. फिर हमने तय किया कि कमरे में पढ़ते समय कोई एक दूसरे से बात नहीं करेगा.
 
हम लोग सात से आठ घंटे पढ़ते थे, लेकिन बात कोई नहीं करता था. हम लोग डिस्कसंस भी खाली समय में करते थे. प्रिलिम्स के तीन महीने पहले हम पढ़ाई के घंटे के बढ़ा लेते थे. उस दौरान न फिल्म देखने जाते और न ही कोई दूसरा काम करते थे. हमारी कोशिश होती थी कि हम खुद को मनोरंजन से दूर रखें. जिस मकान में हम रहते थे उसी में आंटी हमें खाना दे देती थीं. हम अपनी तैयारी में लगे रहते थे.
 
शुभम कुमार की सफलता पर पूर्णिया के वरिष्ठ अधिवक्ता और नगर परिषद के पूर्व अध्यख शाहिद रजा कहते हैं कि सीमांचल जैसे पिछड़े इलाके में कमल की तरफ खिलें हैं शुभम कुमार. अब नई पीढ़ी भी उनके रास्ते पर चलेगी और नई ऊंचाईयों को छुएगी. सेवानिवृत जूट विभाग के अधिकारी अब्दुल वाहिद कहते हैं कि सीमांचल का एक गांव राष्ट्रीय पटल पर आ गया है. शुभम कुमार ने हम सब का मान बढ़ाया है.