व्यांग नहीं, दिव्य-योग्य: दुनिया भर के संस्थान बना रहे नई राह

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 24-11-2025
Not satire, divinely worthy: Institutions around the world are paving new paths.
Not satire, divinely worthy: Institutions around the world are paving new paths."

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

भारत में दिव्यांग बच्चों के भविष्य को लेकर अक्सर परिवारों के मन में सवाल और चिंताएँ होती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सही सहयोग, प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये बच्चे किसी भी क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं। दुनिया के अनेक उदाहरण यह साबित करते हैं कि शारीरिक चुनौतियाँ किसी की उड़ान को रोक नहीं सकतीं। इन्हीं प्रेरक उदाहरणों में भारतीय पैरा तैराक मोहम्मद शम्स आलम शेख और दुनिया के तमाम दिव्यांग खिलाड़ी आज सभी लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं, जिन्होंने पोलियो जैसी चुनौती को मात देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया। उनका सफर यह संदेश देता है कि हर दिव्यांग बच्चा एक अनोखी क्षमता के साथ जन्म लेता है और जरूरत होती है केवल सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की।
 
आज जब देश में दिव्यांग बच्चों के लिए संस्थागत सुविधाएँ और सहायक संसाधनों का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, तब यह ज़रूरी हो जाता है कि माता-पिता और समाज यह समझें कि ऐसे बच्चे किसी बोझ नहीं, बल्कि अपार प्रतिभा और संभावनाओं से भरे होते हैं। 'बात पते की' यह है कि आज हम ऐसे ही बच्चों के लिए एक ऐसे महत्वपूर्ण संस्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उन्हें न सिर्फ सहारा देता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और काबिल बनाकर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका प्रदान करता है।
 
दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने वाले प्रमुख वैश्विक संस्थान

1. International Paralympic Committee (IPC)

पता: Adenauerallee 212-214, 53113 Bonn, Germany 
फ़ोन: +49-228-2097-200 
ई-मेल: [email protected]
 
 
 
2. Paralympic Committee of India (राज्य स्तरीय संस्थान)

पंजीकृत कार्यालय: Sports Authority of Karnataka Building, Gate No. 2, Sree Kanteerava Stadium, Kasturba Road, Bengaluru – 560001, 
न्यू दिल्ली कार्यालय: Jaisalmer House, 26 Mansingh Road, New Delhi – 110011
फ़ोन: 011-23075126, Telefax: 011-23075226 
ई-मेल: [email protected]
 
 
 
 
3. WHO Disability and Rehabilitation Program (DAR)
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह प्रोग्राम दिव्यांगजनों के लिए पुनर्वास, काउंसलिंग, हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट उपलब्ध कराता है। दुनिया भर के देशों को यह संस्था तकनीकी मार्गदर्शन भी देती है।
 
 
 
 
4. UNICEF – Inclusive Education Program
 
यूनिसेफ दुनिया भर में दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देता है। विशेष प्रशिक्षण, सीखने के उपकरण और नीति-निर्माण में इसका अहम योगदान है।
 
 
 
 
 
5. Leonard Cheshire Disability (UK)
 
यह विश्व का सबसे बड़ा दिव्यांग सेवा संगठन है जो शिक्षा, रोजगार, तकनीकी प्रशिक्षण और स्वतंत्र जीवन जीने की सुविधाएं प्रदान करता है। लाखों लोगों ने यहां से प्रशिक्षण लेकर जीवन बदला है।
 
 
 
 
6. AbleGamers (USA)

यह संस्था तकनीक और गेमिंग के माध्यम से दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और कौशल विकसित करती है। गेमिंग-ऐक्सेसिबिलिटी को दुनिया में नया आयाम दिया है।
 
 
 
 
7. Shriners Hospitals for Children (USA & Canada)
 
ये अस्पताल हजारों दिव्यांग बच्चों को मुफ्त चिकित्सा, सर्जरी और पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करते हैं। बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
 
 
 
 
8. National Centre for Promotion of Employment for Disabled People (NCPEDP), India
 
भारत का अग्रणी संगठन जो दिव्यांगजनों को रोजगार, ट्रेनिंग और नीति-निर्माण में सहायता करता है। कॉर्पोरेट क्षेत्रों में भी जागरूकता बढ़ाता है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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दिव्यांगजनों को काबिल बनाने की दिशा में बदलती दुनिया

आज दुनिया में दिव्यांगजनों के प्रति सोच बदली है। पहले जो लोग ‘सहारे’ के रूप में देखे जाते थे, आज वे अपने कौशल से समाज का नेतृत्व कर रहे हैं। खेल, तकनीक, शिक्षा, बिज़नेस—हर क्षेत्र में दिव्यांग लोग नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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मोहम्मद शम्स आलम शेख की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में पदक जीतने वाले शम्स आलम ने साबित किया है कि चुनौतियाँ शरीर की नहीं, सोच की दीवारों में होती हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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दिव्यांगजनों को काबिल बनाना सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक मानवीय कर्तव्य है। दुनिया भर के संस्थान, सरकारें और समाज मिलकर जब सकारात्मक माहौल तैयार करते हैं, तब हजारों शम्स आलम पैदा होते हैं, जो न सिर्फ खुद आगे बढ़ते हैं, बल्कि दुनिया को राह दिखाते हैं।
 
 
मोहम्मद शम्स आलम शेख की कहानी और विश्वस्तरीय संस्थानों की पहल एक ही संदेश देती है:
"दिव्यांग नहीं, सक्षम बनो—क्योंकि क्षमता शरीर में नहीं, इच्छाशक्ति में होती है।"
 
इस सभी Instagram Handles की मदद से आप आज ही इन संस्थानों में अपना नाम शामिल कर सकते हैं....