मां हैं आंगनवाड़ी सेविका, बेटी बनेगी अधिकारी

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 17-08-2022
मां हैं आंगनवाड़ी सेविका, बेटी बनेगी अधिकारी
मां हैं आंगनवाड़ी सेविका, बेटी बनेगी अधिकारी

 

मोहम्मद अकरम/  सिवान(बिहार)

उनकी मां आंगनवाड़ी में सेविका हैं. मगर वह अधिकारी बन गई हैं. जब वह तीन साल की थीं, पिता का देहांत हो गया. बाद में नाना सहारा बने. हर मोड़ पर इनका साथ दिया. एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने शादी से मना कर दिया. इससे रिश्तेदार इनसे सालों दूरी बनाए रहे. इसके बावजूद मां और नाना इनके संबल बने रहे. अब वह बिहार सरकार में अधिकारी बनेंगी.

यह कहानी है बिहार के सिवान जिले के धनौती थाना क्षेत्र के चनऊड़ पंचायत की शमा परवीन की. उनके पिता मुश्ताक खान का स्वर्गवास हो चुका है. शमा प्रवीण ने बिहार लोक सेवा आयोग के सप्लाई इंस्पेक्टर वर्ग के परीक्षा में 568वां रैंक हासिल किया है.

खास बात यह है उन्हांेने यह कामयाबी किसी कोचिंग में पढ़ कर नहीं, घर पर तैयारी कर हासिल की है. उनका कहना है कि आगे वह यूपीएससी और एसडीएम के लिए कोशिश जारी रखेंगी.शमा परवीन की कामयाबी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं. उनकी पैदाइश शहर से दूर गांव में हुई, जहां आज भी बच्ची को उच्च शिक्षा देने से घर वाले कतराते हैं. जल्द शादी कर दी जाती है.

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बच्चपन में उठा पिता का साया

शमा बताती हैं कि जब वह तीन साल थीं, पिता का देहांत हो गया. इसके बाद नाना शेख मोहम्मद खुर्शीद आलम, जो सरकारी मास्टर थे, हम भाई बहनों की देखभाल की. हर मोड़ पर साथ दिया. नाना कहते- तुमको जहां तक पढ़ना है पढ़ो. उनके उत्साह बढ़ाने से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. बाद में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए इलाहाबाद चली गई .

मंजिल पाने के लिए शादी से इंकार

शमा परवीण ने जब ग्रेजुएशन पूरी की तो घर वालों ने उनकी शादी नजदीक के रिश्तेदार से तय कर दी. घर वालों के इस फैसले से नाराज शमा ने शादी से इंकार कर दिया. वह कहती हैं, साल 2014में मेरी शादी नजदीक के रिश्तेदार से तय दी, जो उन्हें मंजूर नहीं था.

इसके बाद नाना ने मुझे हिम्मद दी और कहा कि तुम्हें किसी चीज की फिक्र नहीं करनी. मैं तुम्हारे लिए हर जगह हाजिर हंू. ख्वाब मेरा था लेकिन नाना ने उसे साकार किया . शादी से मना करने की तल्खियां उनके बीपीएससी में कामयाब होने के बाद) खत्म हो गईं .

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मां आंगनवाड़ी सेविका

शमा परवीन की मां परवीन खातून आंगनवाड़ी में सेविका हैं. इससे घर का खर्च चलाता है. मां उन्हें पढ़ाने कराने में कभी पीछे नहीं रही. छोटी बहन सबा परवीन पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद दिल्ली में काम कर रही है.मैं इस परीक्षा की तैयारी के लिए किसी कोचिंग में नहीं गई. घर पर ही अध्ययन किया. सिवान के एम एम तिवारी सर ने हमें बच्चे की तरह सिखाया.

नाना बने आइडियल

हमारे लिए नाना आइडियल हैं. पिता की कमी का एहसास कभी नहीं होने दिया. हर मोड़ पर, कदम कदम पर साथ दिया. उन्हें कभी भुला नहीं सकती.जब मैं बड़ी हो रही थी, आम बच्चों की तरह हमने भी बीपीएससी और यूपीएससी के बारे में सुना. जब में मैट्रिक में थी उस समय से पत्रिका पढ़नी शुरु कर दी थी.

उन खबरों को अधिक पढ़ती थी जो किसी कि जीवनी पर आधारित होती थी. कामयाब होने वालों का इंटरव्यू पढ़ती थी. यही से से प्रेरणा मिली. मालूम हो कि बिहार लोक सेवा आयोग ने 66 वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम पिछले सप्ताह जारी किया है जिसमें 685 उम्मीदवार कामयाब हुए.