अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में आयोजित पांच दिवसीय ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (GIAN) कोर्स “भारतीय प्रवासी महिलाएं: भाषायी और सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण” का समापन समारोह एमएमटीटीसी ऑडिटोरियम में भव्यता के साथ आयोजित हुआ। इस कोर्स का आयोजन संयुक्त रूप से विमेंस कॉलेज और अंग्रेज़ी विभाग द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य प्रवासी भारतीय महिलाओं के अनुभवों को समझना और उनके द्वारा भाषा व सांस्कृतिक जड़ों को बनाए रखने के प्रयासों का अध्ययन करना था।
समारोह के मुख्य अतिथि श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस), रजिस्ट्रार, एएमयू रहे। कार्यक्रम में जामिया मिलिया इस्लामिया के पश्चिम एशियाई अध्ययन केंद्र से जुड़े प्रख्यात विद्वान प्रो. अनीसुर रहमान, प्रो. एम. रिज़वान खान (डीन, कला संकाय) तथा प्रो. मोहम्मद जाहंगीर वारसी (स्थानीय समन्वयक, GIAN कोर्स) विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर प्रो. मसूद अनवर आलवी (प्राचार्य, विमेंस कॉलेज) और प्रो. समीना खान (अध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग) भी मंचासीन रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री मोहम्मद इमरान ने अपने शैक्षणिक जीवन का अनुभव साझा करते हुए प्रवासन, पहचान और सांस्कृतिक संबंधों को समझने में साहित्य की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने प्रवासी कवयित्री मीना अलेक्जेंडर को उद्धृत करते हुए विस्थापन की भावनात्मक जटिलताओं को रेखांकित किया।
प्रो. अनीसुर रहमान ने आयोजकों की पहल की सराहना की और प्रवासी बदलावों के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। प्रो. जाहंगीर वारसी ने एएमयू की समावेशी शैक्षणिक परंपरा की चर्चा करते हुए प्रतिभागियों और सहयोगियों का धन्यवाद किया।
प्रो. एम. रिज़वान खान ने अपने विशेष संबोधन में प्रवासियों की पहचान को लेकर होने वाले द्वंद्व पर चर्चा की और डॉ. सदफ़ फरीद द्वारा कोर्स के सफल संचालन की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रवासी महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक संरक्षण को लिखित साहित्य में पर्याप्त स्थान नहीं मिला है, इसलिए मौखिक साहित्य के रूप में उनके योगदान को समझना आवश्यक है।
प्रो. समीना खान ने उद्घाटन वक्तव्य में कोर्स के विषय की प्रासंगिकता और विभाग की अंतरविषयी शिक्षा की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में प्रवासी पहचान को लैंगिक दृष्टिकोण से पुनः समझने की आवश्यकता है।
कोर्स समन्वयक डॉ. सदफ़ फरीद ने कोर्स की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें विषयगत विविधता, अकादमिक गंभीरता और विचारोत्तेजक चर्चाओं की झलक दी गई। उन्होंने बताया कि कोर्स में भारत और विदेश से कुल 83 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 60 ऑफलाइन और 12 ऑनलाइन शामिल थे।
प्रो. मसूद अनवर आलवी ने समापन टिप्पणी में विमेंस कॉलेज की ओर से ऐसे प्रभावशाली शैक्षणिक आयोजनों के प्रति पूर्ण समर्थन जताया और आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना की।
पांच दिनों के इस शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान प्रो. पूर्णिमा मेहता भट्ट, प्रो. निशी पांडे, डॉ. सदफ़ फरीद, प्रो. नाज़िया हसन, और प्रो. अनीसुर रहमान जैसी जानी-मानी हस्तियों ने प्रवासी जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे: द्वंद्वात्मक पहचान, सांस्कृतिक विचलन, लैंगिक विस्थापन और पीढ़ियों के अनुभवों पर व्याख्यान दिए। भोजन, फैशन, भाषा संरक्षण और साहित्य को सांस्कृतिक अभिलेख के रूप में देखने की दृष्टि से भी विषयों की गहन पड़ताल की गई।
समापन समारोह प्रमाण पत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ। इसके पश्चात बी.ए. इंग्लिश लिटरेचर की छात्रा बसरा हसन रिज़वी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन एम.ए. और बी.ए. इंग्लिश लिटरेचर की छात्राओं ऐमन फातिमा और मैशा मनाल ताज ने किया।