इनायत खान: एक ऐसी आईएएस अधिकारी जिनके पीएम मोदी भी हैं कायल

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
इनायत खान: एक ऐसी आईएएस अधिकारी जिनके पीएम मोदी भी हैं कायल
इनायत खान: एक ऐसी आईएएस अधिकारी जिनके पीएम मोदी भी हैं कायल

 

सेराज अनवर / पटना

बिहार में एक ऐसी आईएएस अधिकारी हैं, जो देश के अन्य भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों से थोड़ा अलग हैं. अलग इसलिए कि उन्होंने ने न केवल शहीदों के बच्चे गोद ले रखा है. इनके प्रयासों से देश के जिन 113 जिलों में आकांक्षी योजना चल रही है, उनमें बिहार का एक जिला बेहद अच्छा कर रहा है. उनके कारनामे के प्रधानमंत्री भी कायल हैं.

बिहार में देर रात सरकार ने 13जिलों में नए डीएम तैनात किए हैं.इनमें महिला आईएएस इनायत खान भी षामिल हैं. उन्हें मुस्लिम बहुल सीमांचल के अररिया जिला का डीएम बनाया गया है.

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इनायत खान शहीद सैनिकों के बच्चों को गोद लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शेखपुरा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए किए गए जिलाधिकारी इनायत खान के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं. अररिया में तैनाती से पहले वह वहां की डीएम यानी जिलाधिकारी थीं.

मालूम हो कि देश सेवा के लिए इस मुस्लिम महिला ने लाखों की नौकरी छोड़ दी थी. अब उन्होंने अररिया के  विकास को आयाम देने की उम्मीद दी गई है.इनायत खान की पहचान एक कड़क आईएएस ऑफिसर के तौर पर है.

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कौन हैं इनायत खान ?

ऑल इंडिया में 176वां रैंक प्राप्त कर इनायत खान ने साल 2011में सिविल सेवा परीक्षा में परचम लहराया था.जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर मिला.इनायत खान उत्तर प्रदेश की आगरा की रहने वाली हैं.

उन्होंने यूपी के टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक की डिग्री ली है.इसके बाद देश की एक नामी सॉफ्टवेयर कंपनी में एक साल नौकरी की.लेकिन वहां उन्हें मन नहीं लगा.उनका सपना आईएएस बनने का था.

साल 2009 में उन्होंने पहली बार आईएएस का एग्जाम दिया. तीन चरणों वाले इस कठिन परीक्षा में उन्होंने पीटी, मेंस पास किया. फाइनल में उनका रिजल्ट नहीं हुआ.इसके बाद उनका चयन आरआरबी यानी ग्रामीण बैंक में हुआ.लेकिन वो मानने वाली कहां थी.

इनायत ने दिल्ली के मुखर्जी नगर के पास गांधी विहार में एक कमरा लेकर फिर से आईएएस की तैयारी में जुट गईं और सफल हो कर ही मानी.इनायत खान की पहली पोस्टिंग पटना जिले में हुई.

यहां उन्होंने असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर काम किया. इसके बाद इनायत खान की पोस्टिंग राजगीर में हुई. इनायत खान राजगीर की एसडीओ रहीं. वहां से इनायत खान का तबादला भोजपुर कर दिया गया.

जहां उन्हें डीडीसी बनाया गया. इनायत खान की असली पहचान भोजपुर में बनी.जहां उन्हें कड़क अफसर का तमगा मिला.भोजपुर में उन्होंने प्रत्येक प्रखंड में कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरा और बायोमेट्रिक हाजिरी लगवाई.साथ ही सरकारी बाबुओं पर शिकंजा कसा.इसके लिए खुद वो स्टेशन परिसर में कुर्सी लगाकर बैठ जातीं और रोजाना पटना जाने वाले अधिकारियों की क्लास लगातीं.

सरकारी बाबुओं पर शिकंजा कसने के साथ मनमौजी अफसरों की हवा भी इनायत ने टाइट कर दी थी. जिले में चल रहे कामों का औचक निरीक्षण के लिए वो गाड़ी खड़ी कर पैदल ही चल पड़तीं थीं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की तारीफ

बिहार के पिछड़े जिलों में शुमार शेखपुरा की युवा जिलाधिकारी रहीं इनायत खान ने आकांक्षी योजना ( The Aspirational Districts Programme ) के तहत जिले में बदलाव के जो काम किए,उसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की है. महिला स्वास्थ्य,कुपोषण और शिक्षा संबंधी कार्यों के लिए इसी साल 24 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान युवा डीएम की प्रधानमंत्री ने प्रशंसा की.दरअसल,

देश के जिन 113 जिलों में आकांक्षा योजना चल रही है,उसमें बिहार का शेखपुरा भी शामिल है और यहां इस योजना के तहत बेहतर काम हुआ है.प्रधानमंत्री ने माना कि युवा जिलाधिकारी इनायत खान द्वारा बेहतर काम करने से ही बिहार के शेखपुरा जिले में यह बदलाव सामने आया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के आकांक्षी जिलों यानी एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में शामिल बिहार के शेखपुरा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए यहां की जिलाधिकारी इनायत खान द्वारा किए गए प्रयासों की वर्चुअल बातचीत में प्रधानमंत्री ने शेखपुरा में कुपोषण के क्षेत्र में जिला स्तर पर किए गए बेहतर प्रयासों की सराहना की. कहा कि अति पिछड़े जिलों को आकांक्षी जिले के रूप में चिन्हित करने से यह काम बेहतर तरीके से हो रहा है.

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पुलवामा के शहीदों को दिया सम्मान

पुलवामा हमले के दौरान  इनायत खान अपने कर्तव्य को लेकर सुर्खियों में रहीं.इनायत ने पुलवामा हमले में शहीद हुए बिहार के रतन ठाकुर और संजय कुमार की बेटियों को गोद लेना का ऐलान ही नहीं किया.  

उन्होंने अपना दो दिन का वेतन शहीदों परिवार के सहयोग में दिया. उन्होंने अपने शेखपुरा जिले में तैनात सभी अफसरों से भी पुलवामा में शहीद जवानों के परिवारों को एक दिन का वेतन दान दिलवाया था.इनायत खान सादगी भरी जिंदगी जीती हैं.

उनके उपर बड़ा कर्ज है.बता दें कि बिहार सरकार ने पारदर्शी व्यवस्था के तहत अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक से हर वित्तीय वर्ष के अंत में चल-अचल संपत्ति की घोषणा कराती है. इसे अफसरों को वेबसाइट पर सार्वजनिक करना होता है.

राज्य के बड़ी संख्या में अधिकारियों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की है. डीएम इनायत खान ने भी अपनी संपत्ति की घोषणा वेबसाइट पर की है.अररिया की जिलाधिकारी इनायत खान पर 17 लाख रुपये का कर्ज है.

यह कर्ज एलआईसी का हाउसिंग लोन का है. समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए घोषित संपत्ति के ब्योरा में डीएम ने सभी तरह का उल्लेख किया है. वेबसाइट पर दर्ज ब्योरे के मुताबिक डीएम के पास लगभग एक किलो सोना है तथा बैंक में 3.50 लाख रुपये जमा हैं.