घुंघरू बनाने वाले का हाफिज बेटा ताइक्वांडो में गाड़ना चाहता है भारत का झंडा

Story by  फैजान खान | Published by  [email protected] | Date 13-10-2022
घुंघरू बनाने वाले का हाफिज बेटा ( बीच में) ताइक्वांडो में गाड़ना चाहता है भारत का झंडा
घुंघरू बनाने वाले का हाफिज बेटा ( बीच में) ताइक्वांडो में गाड़ना चाहता है भारत का झंडा

 

फैजान खान/ आगरा

मदरसे में तालीम लेने वाले 13 साल के हाफिज अजहर ताइक्वांडो में विश्व पटल पर भारत का परचम लहराना चाहते हैं. हाल में दिल्ली में आयोजित 10 वीं इंटर स्टेट कराटे चैंपियनशिप में अजहर ने पिंक बेल्ट हासिल करने के साथ गोल्ड मेडल जीता है. तब से उनके हौसले बुलंद हैं.

चूंकि अभी अजहर कमसिन है, इसलिए  भरपूर मेहनत कर एक न एक दिन भारत के लिए विश्व स्तर पर खिताब जीतकर अपना सपना पूरा करना चाहता है.इसके अलावा अहजर अपने जैसे मदरसे में पढ़ने वाले दूसरे बच्चों को भी खेल मंे बढ़ता देखना चाहता है. वह कहता है, अपने मदरसे के बच्चों को इसके लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है.
 
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हाफिज अजहर का मानना है कि दीनी तालीम के साथ दुनियावी शिक्षा में भी महारत जरूरी है, अन्यथा हमेशा पिछड़ने का खतरा रहता है. वो कहता है कि शुरुआत के दिनों में उसे मदरसे में तालीम हांसिल करने के साथ ताइक्वांडो प्रैक्टिस में दिक्कत आई, पर अब सब कुछ सामान्य हो गया है.फिलहाल अहजर का अगला टारगेट ब्लैक बेल्ट हासिल करना है.
 
अजहर आगरा के कैलाश पुरी के रहने वाला है,पर हिफ्ज करने और ताइक्वांडो सीखने की गर्ज से अपने नाना के घर ताजमहल के नजदीक स्थित अमरलोक कॉलोनी में रहता है.वह शुरू से ही आलिम बनना चाहता है. मगर दीनी तालीम के साथ उसे खेल में भी भरपूर रूचि है. इस क्षेत्र में भी बहुत आगे जाना चाहता है. 
 
अजहर की उम्र महज 13 साल की है, पर बातें वो बड़ी-बड़ी करता है. कहता है, बिहार के एक मदरसे से पढ़कर शाहिद रजा खान आईएएस बन कसते हैं तो मैं विश्व में क्यों में नहीं चमक सकता. यही नहीं टोक्यो पैरालिंपिक में ताइक्वांडो खिलाड़ी अरुणा तंवर हिस्सा ले सकती हैं तो मैं क्यों नहीं ?
 
पायलों के घुंघरू बनाने वाले अजहर के वालिद रईस खान कहते हैं कि हमने कभी अजहर को रोका नहीं. वो जो करना चाहता है करे. वह दीनी तालीम हासिल करने का ख्वाहिशमंद है.कुरान पढ़ चका है. अब हिफ्ज के अंतिम दौर में हैं. अल्लाह का शुक्र है कि कम उम्र में ही 20 पारे हिफ्ज कर लिए. वो अच्छा आलिम बनने के साथ स्पोर्ट्समैन बनना चाहता है.
 
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यही वजह है कि हमने उसकी खुशी के लिए उसे नाना-मामू के घर भेज दिया. मामू उसे ताइक्वांडो की कोचिंग के लिए रोजाना ले जाते हैं. हमें बहुत अच्छा लगता है जब हमारा बेटा शानदार खेल खेलता है.
 
दिल्ली में हुई प्रतियोगिता में पिंक बेल्ट हासिल की तो सुकून मिला. हमारी कोशिश है कि उसे एक अच्छा स्पोर्ट्समैन के साथ आला अफसर बनाऊं. बाकी उसकी मर्जी.