बिहारः 17 हाफिज ए कुरान बनेंगे डॉक्टर ! नीट की तैयारी के लिए चयन

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 24-09-2022
बिहारः 17 हाफिज ए कुरान  करेंगे डॉक्टर, नीट की तैयारी के लिए चयन
बिहारः 17 हाफिज ए कुरान करेंगे डॉक्टर, नीट की तैयारी के लिए चयन

 

सेराज अनवर /पटना
 
पहले यह सोच से परे था कि कुरान का हिफ्ज करने वाला डॉक्टर,इंजीनियर भी बन सकता है ?हाफिज ए कुरान का मतलब इमामत से था.रमजान के महीने में तरावीह पढ़ाना. हाल के वर्षों में सोच बदली है. मुस्लिम समाज भी बदल के दौर से गुजर रहा है.

दीन के साथ दुनिया संवारने की पहल तेज हो गई है. इस कड़ी में बिहार के रहनुमा फाउंडेशन ने 17  हाफिज ए कुरान बच्चों को इंजीनियर,डॉक्टर बनाने का बीड़ा उठाया है.उन्हें तैयारी कराने केलिए शाहीन एकेडमी बीदर कर्नाटक भेजा जाएगा.
 
प्रकिया पूरी करने में फाउंडेशन के एक्टिविस्ट को कठिनाई से गुजरना पड़ा है.मदरसा -मदरसा जा कर बच्चों को तलाश करना,प्रबंधन के साथ बच्चों के माता-पिता को समझाना आसान काम नहीं था.
 
लेकिन इन प्रयासों का असर है कि 17 ऐसे बच्चों को ढूंढ लिया गया जिसके सीने में कुरान के साथ आधुनिक शिक्षा की बुलंदियां छूने और देश-समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है.बहरहाल,रहनुमा फाउंडेशन की रहनुमाई से हाफिज ए कुरान को भी समकालीन शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलने जा रहा है.
 
इसके लिए बजाब्ता पहले प्रायोजक तैयार किए गए,ज्यूरी टीम बनी,चार फेज में  इंटरव्यू चला तब जा कर 90 हाफिज ए कुरान में 17  लायक बच्चों का चयन किया गया.
 
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जानें रहनुमा फाउंडेशन के बारे में

रहनुमा फाउंडेशन एक स्वयंसेवी संस्था है.इसकी स्थापना 2014 में हुई.संस्था का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में काम करना है.विशेष कर दबे कुचले,झुग्गी-झोंपड़ियों के बीच संस्था कार्यरत है.
 
बिहार में गया,दरभंगा,मुजफ्फरपुर अररिया,पटना में संस्था सक्रीय है.दिल्ली और यूपी के अलीगढ़ में भी काम चल रहा है.संस्था की बड़ी उपलब्धि सीमांचल के अररिया जिले के फारबिसगंज में रही.वहां संस्था के लोग रेडलाइट एरिया की पांच मुस्लिम लड़कियों को मुक्त कराने में सफल रहे.
 
यह घटना 2019 की है.मुक्त कराई गई लड़कियों में कुछ ने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त कर ली है.उसमें एक आज कोलकाता में जॉब कर रही है.कुछ लड़कियों की शादी  हो गई.
 
सभी नट जाति से थीं.संस्था के अध्यक्ष सैयद तहसीन अहमद बिजनेसमैन हैं.सोशल एक्टिविस्ट रहे हैं.उनका कहना है कि कौम सिर्फ जज्बाती मुद्दों में उलझी हुई है.उलेमा ने उन्हें उलझा रखा है.सामाजिक समस्याओं को लेकर काम करना मुश्किल है.लोग साथ देने को तैयार नहीं होते.
 
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कैसे हुआ हाफिज ए कुरान का चयन?

तहसीन अहमद बताते हैं कि तालीम की अहमियत को समझते हुए दीनी मदारिस की तरफ रुख किया.मदरसा के बच्चे समकालीन शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.
 
हमने सोचा,आलिम ए दीन डॉक्टर,इंजीनियर क्यों नहीं बन सकते? उन्हें मदद करने की जरूरत है.प्लान तैयार किया.लोगों को जोड़ा.पहले कुछ लोगों को इन्हें गोद लेने को राजी किया.
 
बीस लोग बच्चों का शाहीन एकेडमी में नीट की तैयारी के लिए दो साल का खर्च सहन करने को तैयार हुए.इसके बाद योग्य हाफिज ए कुरान बच्चों की तलाश शुरू हुई जो नीट के योग्य हों.संस्था के बिहार को’ऑडिनेटर और एड्मिनिस्‍ट्रेटर हसीन रजा खान ने मदरसों की खाक
 
छाननी.बेतिया,सुपौल,पटना,दरभंगा,गया,सीवान स्थित मदरसों का दौरा किया.हसीन रजा ने आवाज द वायस को बताया कि रमजान से पहले अप्रैल में यह प्रक्रिया प्रारम्भ हुई.पहले तो कोई इस पर बात करने को रजामंद नहीं था.
 
बहुत समझाने के बाद लोग तैयार हुए.कुल 90 बच्चे प्रतियोगिता में बैठे.चार चरण में उनका इंटरव्यू लिया गया.पहला दरभंगा,दूसरा पटना,तीसरा ऑनलाइन और चौथा पटना में इंटरव्यू का आयोजन किया गया.
 
मापदंड रखा गया कि हाफिज ए कुरान होना जरूरी और सत्रह साल से कम उम्र हो.कुरान से संबंधित तीन सवाल पूछे गए और हाफजा चेक किया गया.दिल्ली से मौलाना इस्लाम सरवर,मौलाना अरशद कासमी,अलीगढ़ से कमर नदवी और मौलाना वदुद कासमी इंटरव्यू बोर्ड में बैठे.
 
मेरिट के आधार पर 17 बच्चों की शाहीन एकेडमी के लायक समझा गया.बच्चे बोर्ड का इम्तिहान के साथ नीट की तैयारी भी करेंगे.चार साल का कोर्स है.छह बच्चे पर एक शिक्षक नियुक्त रहते हैं.इसलिए ज्यादातर बच्चे कामयाब हो कर ही निकलते हैं.
 
इस महीने नीट के आए परिणाम में शाहीन से 10 हाफिज ए कुरान ने मेरिट में जगह बनाई थी.शाहीन के लिए सलेक्ट हुए बच्चों की हौसलाअफ्जाई के लिए पटना के हज भवन में एक समारोह का आयोजित किया गया.उन्हें बताया गया कि क्या दिक्कतें आ सकती हैं और उसका कैसे मुकाबला करना है.
 
ये हैं चयनित हाफिज ए कुरान

2 जुलाई को डीपीएम कैंपस-दरभंगा 21 जुलाई को हारून नगर-पटना और 16 अगस्त को सेक्रेड व्यू सेंट्रल स्कूल कैंपस-दरियापुर-पटना में तीन चरणों में आयोजित साक्षात्कार(एक ऑनलाइन)में चयनित बच्चों के नाम है-मो.सदान वाजदी पिता लाइक मंजर वाजदी(दरभंगा),
मो. अलकमा पिता मो. नूर आलम(दरभंगा),हम्माद सादिक पिता रहमतुल्ला(पश्चिमी चंपारन),अलकमा गाजी पिता आफताब आलम(पूर्णिया),ओबैदुल्लाह शकील पिता मो. शकील(नवादा),कमर फलक पिता मो. इजहार हुसैन(औरंगबाद),आसिफ शकील पिता शकील अहमद (सीवान),मो. शाहिदुल्लाह पिता हिदायतुल्लाह (सुपौल),मो नेमत अली पिता हाफिज नेयाज उद्दीन कुरैशी(दरभंगा),सलाहुद्दीन पिता इमाम उद्दीन सलफी(दरभंगा),मो.रेहान पिता अब्दुल गनी(सीतामढ़ी),मो.एजाज सुभानी पिता सुभान अंसारी(दरभंगा),मो. अखलाद पिता मो जिलानी(औरंगाबाद),मो. दानिश पिता मो.अली इमान(लहरियासराय),अब्दुल्लाह जफर पिता जफर इमाम(गया),अबू तलहा पिता अली अहमद (नवादा),फैजान अकरम पिता अली हसन(पूर्णिया).