इस्लामाबाद
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान से अपील की है कि वे सीमा पर जारी हिंसा को तुरंत और स्थायी रूप से समाप्त करें, ताकि आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई झड़पों में दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं।
यह संघर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अब तक का सबसे गंभीर संकट माना जा रहा है। जब से तालिबान ने अमेरिका समर्थित अफगान सरकार को हटाकर अफगानिस्तान की सत्ता संभाली है, तब से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं।
सीमा पर बढ़ी हिंसा और संघर्षविराम
10 अक्टूबर के बाद सीमा पर हिंसा में तेजी आई और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सशस्त्र उकसावे के आरोप लगाए। हालांकि, बुधवार को संघर्षविराम पर सहमति बनी, जो क्षेत्रीय ताकतों की कूटनीतिक अपील के बाद संभव हुआ। यह संघर्षविराम उस समय आया जब पूरे क्षेत्र की स्थिरता खतरे में दिख रही थी और इस्लामिक स्टेट व अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन फिर से सिर उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि बृहस्पतिवार को किसी नए संघर्ष की सूचना नहीं मिली, लेकिन प्रमुख सीमा चौकियां अभी भी बंद रहीं।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने संघर्षविराम का स्वागत करते हुए कहा कि वह घायलों और मृतकों की संख्या का आकलन कर रहा है। मिशन के अनुसार, बुधवार को दक्षिणी क्षेत्र स्पिन बोल्डक में कम से कम 17 नागरिकों की मौत हुई और 346 लोग घायल हुए।
UNAMA ने यह भी बताया कि इससे पहले हुई झड़पों में अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में कम से कम 16 अन्य नागरिकों की जान जा चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने दोनों देशों से अपील की,"नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और आगे किसी जनहानि से बचने के लिए शत्रुता को स्थायी रूप से समाप्त किया जाए।"
पाकिस्तान का रुख और डूरंड रेखा विवाद
पाकिस्तान ने अभी तक अपनी ओर से हताहतों के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं। हालांकि, वह अफगानिस्तान पर आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाता रहा है — जिसे तालिबान लगातार नकारता रहा है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी हमलों में तेजी आई है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2,611 किलोमीटर लंबी सीमा, जिसे डूरंड रेखा कहा जाता है, दशकों से विवाद का विषय बनी हुई है। अफगानिस्तान ने आज तक इस रेखा को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, जिससे दोनों देशों के बीच बार-बार तनाव पैदा होता है।
संयुक्त राष्ट्र ने दोहराया है कि किसी भी संघर्ष का खामियाजा आम जनता को नहीं भुगतना चाहिए, और संवाद तथा संयम ही एकमात्र रास्ता है।