नई दिल्ली
भारत यात्रा पर आईं श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या ने गुरुवार को युवाओं और आम लोगों से अपील की कि वे घर, कार्यस्थल और देशों के बीच पुल बनाएं, न कि दीवारें खड़ी करें। उन्होंने इस विचार को भाईचारे, सहयोग और सकारात्मक संवाद का प्रतीक बताया।
अमरसूर्या ने भारत द्वारा आर्थिक संकट के समय श्रीलंका को दी गई मदद का उल्लेख करते हुए कहा,"यह सहायता हमारे सबसे कठिन समय में एक सच्चे मित्र का बढ़ाया हुआ हाथ थी।"
नई दिल्ली स्थित हिंदू कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और श्रीलंका सिर्फ पड़ोसी देश नहीं, बल्कि गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने भारत को श्रीलंका की विकास यात्रा में एक भरोसेमंद और स्थायी साझेदार बताया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में 1991 से 1994 तक स्नातक की पढ़ाई कर चुकीं अमरसूर्या के लिए यह दौरा बेहद भावनात्मक रहा। उन्होंने अपने छात्र जीवन की यादें साझा कीं और कहा कि शिक्षा ने उनके दृष्टिकोण को आकार दिया।
प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है, जो 16 से 18 अक्टूबर तक चलेगी। कॉलेज परिसर में उनके आगमन को लेकर जबरदस्त उत्साह था। छात्रों और संकाय सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। पूरे परिसर में पोस्टर और स्वागत बैनर लगाए गए थे। जैसे ही वह कार से उतरीं, उन्होंने मुख्य भवन की बालकनी में खड़े छात्रों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया।
समारोह सांगानेरिया सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें भाग लेने से पहले उन्होंने समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसरों, कुछ छात्रों और कॉलेज संसद के सदस्यों से बातचीत की।
छात्रों को संबोधित करते हुए अमरसूर्या ने कहा,"कठिन प्रश्न पूछने से न डरें, सोच की सीमाओं को चुनौती दें।"उन्होंने जोर देकर कहा कि बुद्धिमत्ता के साथ करुणा भी जरूरी है, क्योंकि बिना सहानुभूति के शिक्षा अधूरी होती है।अंत में उन्होंने लोकतंत्र के महत्व पर बल देते हुए छात्रों से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और उनके लिए खड़े होने का आह्वान किया।