वाशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को सात छोटे व्यापारिक साझेदार देशों को आयात शुल्क से संबंधित पत्र भेजे, जबकि अमेरिका के प्रमुख औद्योगिक प्रतिद्वंद्वी देशों को इससे फिलहाल बाहर रखा गया है।
जिन देशों को ये शुल्क पत्र भेजे गए हैं, उनमें शामिल हैं — फिलीपीन, ब्रुनेई, मोल्दोवा, अल्जीरिया, लीबिया, इराक और श्रीलंका। इनमें से कोई भी अमेरिका का बड़ा आर्थिक या औद्योगिक प्रतिद्वंद्वी नहीं माना जाता।
यह कदम एक बार फिर यह दर्शाता है कि ट्रंप अब भी "शुल्क (टैरिफ)" नीति के समर्थक बने हुए हैं और उनका मानना है कि व्यापार पर कर लगाने से अमेरिका को आर्थिक लाभ होगा।
हालाँकि, अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के शुल्क उपायों से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और आर्थिक विकास की गति धीमी हो सकती है, लेकिन ट्रंप प्रशासन का रुख इससे अलग है।
ट्रंप और उनके अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि आयात शुल्क लगाने से न सिर्फ व्यापार घाटा कम होगा, बल्कि इससे टैक्स कटौती से होने वाले राजस्व नुकसान की भी भरपाई की जा सकेगी। साथ ही, उनका दावा है कि इस नीति से अमेरिका में बंद हुए कारखाने फिर से चालू होंगे और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।