बोगोटा
संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने मंगलवार को कहा कि गाजा में हो रहे कथित "नरसंहार" को रोकने के लिए अब दुनिया भर के देशों को ठोस और निर्णायक कदम उठाने होंगे।
कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए अल्बानीज़ ने कहा,"हर देश को तुरंत इज़राइल के साथ अपने सभी संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें निलंबित करना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निजी क्षेत्र भी ऐसा ही करे। इज़रायली अर्थव्यवस्था उस कब्जे को बनाए रखने के लिए तैयार की गई है, जो अब एक नरसंहार में तब्दील हो चुका है।"
इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों ने किया है, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इन देशों में से कई ने गाजा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई को फलस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार बताया है। सम्मेलन में स्पेन, आयरलैंड और चीन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं।
गौरतलब है कि इज़राइल — जो स्वयं होलोकॉस्ट की त्रासदी के बाद अस्तित्व में आया — ने इन नरसंहार के आरोपों को "यहूदी-विरोधी और झूठा प्रचार" करार देते हुए सख़्ती से खारिज किया है।
गाजा में 58,000 से अधिक लोगों की मौत
गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़राइली सैन्य अभियानों में अब तक 58,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। ये आंकड़े हमास द्वारा संचालित मंत्रालय से आए हैं, जो नागरिकों और लड़ाकों के बीच अंतर नहीं करता, लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इन्हें सबसे भरोसेमंद आंकड़े मानती हैं।
हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन विकासशील देशों के इस सम्मेलन से इज़राइल की नीतियों में बदलाव लाना मुश्किल है।
बोगोटा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सैंड्रा बोर्डा ने कहा,"जब अमेरिका तक इज़राइल के व्यवहार को नहीं बदल सका है, तो यह सोचना कि यह समूह ऐसा कर सकेगा, शायद भोला होगा।"
हालांकि उन्होंने माना कि यह सम्मेलन वैश्विक दक्षिण के देशों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने और अपनी आवाज़ उठाने का अवसर देता है।
दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया की अगुवाई
यह सम्मेलन द हेग ग्रुप से जुड़े आठ देशों की भागीदारी में हो रहा है, जो पहले ही इज़राइल के साथ सैन्य संबंध तोड़ने और आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय) द्वारा प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट का समर्थन कर चुके हैं।
सम्मेलन में भाग ले रहे देशों का कहना है कि वे संयुक्त राष्ट्र की उस महासभा प्रस्ताव का पालन कर रहे हैं, जो सितंबर 2024 में पारित हुआ था। इस प्रस्ताव में इज़राइल से फलस्तीन क्षेत्रों से सैन्य वापसी और सदस्य देशों से इज़राइल को हथियारों की बिक्री रोकने की मांग की गई थी।
'यह केवल फलस्तीन का मामला नहीं है'
दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्पिन फिरी ने कहा,"यह केवल फलस्तीन की बात नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून की रक्षा करने की बात है। यह धारणा कि अंतरराष्ट्रीय कानून सिर्फ वैश्विक दक्षिण पर लागू होता है, अब असहनीय हो गई है।"
दक्षिण अफ्रीका की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी पहले से ही गाजा और वेस्ट बैंक में इज़राइल की नीतियों की तुलना अपने देश की अपार्थाइड शासन से करती रही है, जिसने अश्वेत आबादी को 'होमलैंड्स' में सीमित कर रखा था।
फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने भी इस तुलना को दोहराते हुए कहा,"अगर हम 1990 के दशक में दक्षिण अफ्रीका के अपार्थाइड पर चर्चा कर रहे होते, तो क्या आप केवल कुछ क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाने की बात करते, या पूरे शासन तंत्र को ही अपराधी मानते?"
उन्होंने सम्मेलन में इज़राइल पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने और उसे गाजा और वेस्ट बैंक से पूरी तरह हटने के लिए मजबूर करने की अपील की।
यूरोपीय संघ भी विचार कर रहा सख़्त कदमों पर
सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब यूरोपीय संघ इज़राइल के खिलाफ हथियार प्रतिबंध, बस्तियों से आयात पर रोक और अधिकारियों पर व्यक्तिगत प्रतिबंध जैसे कदमों पर विचार कर रहा है।
कोलंबिया के उप विदेश मंत्री मॉरिसियो जरामिलो ने सोमवार को कहा कि सम्मेलन में भाग लेने वाले देश डिप्लोमैटिक और कानूनी उपायों पर चर्चा करेंगे जिससे इज़राइल पर दबाव बढ़ाया जा सके।
जरामिलो ने कहा,"यह सिर्फ फलस्तीन की बात नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा की लड़ाई है … और आत्मनिर्णय के अधिकार की भी।"