वॉशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने संबंधी 28 सूत्रीय प्रारूप योजना को कीव में प्रस्तुत किया गया है। इस मसौदे को वॉशिंगटन और मॉस्को ने मिलकर तैयार किया है, और इसमें ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो रूस के लिए अपेक्षाकृत अधिक अनुकूल माने जा रहे हैं—जैसे कि यूक्रेन द्वारा कुछ क्षेत्रों को छोड़ना, नाटो में शामिल न होना आदि। एसोसिएटेड प्रेस को गुरुवार को इस प्रस्ताव की प्रति प्राप्त हुई।
ट्रंप के मसौदे के अनुसार, यूक्रेन की संप्रभुता की पुष्टि की जाएगी और रूस, यूक्रेन तथा यूरोप के बीच एक व्यापक अनाक्रमण समझौता होगा, जिससे पिछले 30 वर्षों की सभी अस्पष्टताओं को समाप्त माना जाएगा। रूस से अपेक्षा की जाएगी कि वह पड़ोसी देशों पर आक्रमण नहीं करेगा और नाटो आगे विस्तार नहीं करेगा। अमेरिका की मध्यस्थता में रूस व नाटो के बीच सुरक्षा मुद्दों पर संवाद स्थापित किया जाएगा ताकि तनाव कम करने और वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में पहल हो सके। यूक्रेन को विश्वसनीय सुरक्षा गारंटी दी जाएंगी और उसकी सशस्त्र सेनाओं की अधिकतम संख्या 6 लाख तक सीमित होगी। यूक्रेन अपने संविधान में नाटो में शामिल न होने का प्रावधान जोड़ेगा तथा नाटो भी अपने क़ानूनों में यह प्रावधान दर्ज करेगा कि यूक्रेन को भविष्य में सदस्यता नहीं दी जाएगी।
नाटो यूक्रेन में सैनिक नहीं तैनात करेगा, जबकि यूरोपीय लड़ाकू विमान पोलैंड में तैनात होंगे। अमेरिका की सुरक्षा गारंटी के तहत अमेरिका को इसके बदले क्षतिपूर्ति मिलेगी; यदि यूक्रेन रूस पर हमला करता है तो यह गारंटी समाप्त हो जाएगी, और यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो कठोर सैन्य प्रतिक्रिया और सभी वैश्विक प्रतिबंध पुनः लागू हो जाएंगे। यूक्रेन को यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए पात्र माना जाएगा और इस पर विचार होते समय उसे यूरोपीय बाजार तक विशेष पहुँच मिलेगी। यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए एक बड़े वैश्विक पैकेज का प्रस्ताव है, जिसमें “यूक्रेन डेवलपमेंट फंड” का गठन, गैस अवसंरचना के आधुनिकीकरण में सहयोग, युद्धग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्वास, खनिज व प्राकृतिक संसाधनों के दोहन तथा विश्व बैंक द्वारा विशेष वित्तीय सहायता शामिल होगी।
रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था में पुनः जोड़े जाने की रूपरेखा भी तय की गई है, जिसके अनुसार प्रतिबंधों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और अमेरिका-रूस के बीच ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा आर्कटिक में रेयर अर्थ प्रोजेक्ट्स जैसे क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग समझौते किए जाएंगे। रूस को जी8 में लौटने का निमंत्रण भी शामिल है। जमे हुए रूसी फंडों में से 100 अरब डॉलर यूक्रेन के पुनर्निर्माण में लगाए जाएंगे, जिनसे होने वाले लाभ का 50 प्रतिशत अमेरिका को मिलेगा, जबकि यूरोप अतिरिक्त 100 अरब डॉलर जोड़ेगा। शेष रूसी फंडों से अमेरिका-रूस का एक संयुक्त निवेश कोष बनाया जाएगा, जिसका उद्देश्य परस्पर हितों को बढ़ाकर संघर्ष की वापसी को असंभव बनाना होगा।
दोनों देशों के बीच सुरक्षा मुद्दों पर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त कार्यदल बनाया जाएगा। रूस अपने कानूनों में यूरोप और यूक्रेन के प्रति अनाक्रमण की नीति दर्ज करेगा। परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों, विशेष रूप से START I की अवधि बढ़ाई जाएगी, जबकि यूक्रेन गैर-परमाणु राष्ट्र बने रहने की पुष्टि करेगा। ज़ापोरिझ्ज़िया परमाणु संयंत्र को आईएईए की देखरेख में चालू किया जाएगा और वहाँ से मिलने वाली बिजली रूस और यूक्रेन को समान रूप से दी जाएगी।
दोनों देश स्कूलों व समाज में सांस्कृतिक समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाएंगे; यूक्रेन यूरोपीय संघ के धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा संबंधी नियमों को अपनाएगा। भेदभाव समाप्त करने, मीडिया और शिक्षा की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने तथा नाजी विचारधारा पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प भी शामिल है। क्षेत्रीय प्रावधानों के तहत क्रीमिया, लुहान्स्क और दोनेत्स्क को अमेरिका सहित रूस का हिस्सा माना जाएगा। खेरसोन और ज़ापोरिझ्ज़िया को मौजूदा नियंत्रण रेखा के आधार पर ‘जमे हुए’ क्षेत्रों के रूप में रखा जाएगा। रूस अन्य सहमत क्षेत्रों से हटेगा और यूक्रेन अपनी वर्तमान नियंत्रण वाली डोनेत्स्क की हिस्सेदारी से पीछे हटकर उसे एक निषैन्य बफर ज़ोन बनाएगा।
दोनों पक्ष इन सीमा व्यवस्थाओं को बल प्रयोग से नहीं बदलने का वचन देंगे। रूस यूक्रेन को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए ड्नीपर नदी के उपयोग की अनुमति देगा और काला सागर में अनाज परिवहन के लिए समझौते किए जाएंगे। एक मानवीय समिति बनाई जाएगी, जो सभी कैदियों, नागरिक बंदियों और बच्चों को ‘सभी के बदले सभी’ के आधार पर वापस करेगी और परिवार पुनर्मिलन कार्यक्रम चलाएगी। यूक्रेन में 100 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाएंगे। युद्ध के दौरान सभी पक्षों की क्रियाओं को पूर्ण क्षमादान दिया जाएगा और भविष्य में कोई दावा या शिकायत नहीं की जाएगी। यह पूरा समझौता कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा और इसकी निगरानी “पीस काउंसिल” करेगी, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप करेंगे। सभी पक्षों द्वारा समझौते को स्वीकार करते ही, दोनों सेनाओं के तय बिंदुओं तक पीछे हटने के बाद तत्काल युद्धविराम लागू हो जाएगा।