न्यूयॉर्क
रसायन विज्ञान में इस वर्ष तीन वैज्ञानिकों सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. यागी को उनके विशेष योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्वीडिश अकादमी ने बताया कि यह पुरस्कार उन्हें ‘धातु-कार्बनिक ढाँचे’ (Metal-Organic Frameworks - MOF) के आविष्कार के लिए दिया गया है।
सुसुमु कितागावा जापान के क्यूशू विश्वविद्यालय में, रिचर्ड रॉबसन ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय में, और उमर एम. यागी अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्यरत हैं।
नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि इन वैज्ञानिकों ने ऐसी आणविक संरचनाएं विकसित की हैं जिनमें बड़े छिद्र होते हैं, जिससे विभिन्न गैसें और रसायन आसानी से गुजर सकते हैं। इस प्रकार की संरचना को ‘धातु-कार्बनिक ढाँचा’ कहा जाता है। इसका उपयोग रेगिस्तानी हवा से पानी इकट्ठा करने, कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित करने, विषैली गैसों को संग्रहित करने और कई रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज़ करने में किया जाता है।
इन संरचनाओं में धातु आयन कोने के स्तंभों की तरह होते हैं, जो लंबे कार्बनिक अणुओं से जुड़े होते हैं। ये धातु आयन और कार्बनिक अणु मिलकर एक क्रिस्टल जैसा जाल बनाते हैं, जिसके अंदर कई बड़े छिद्र होते हैं। इस छिद्रयुक्त पदार्थ को MOF कहा जाता है।
MOF की सामग्री को आसानी से संशोधित किया जा सकता है, जिससे वैज्ञानिक अपनी जरूरत के अनुसार इसे तैयार कर सकते हैं। ये विशिष्ट पदार्थों को फंसाने, रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज़ करने और विद्युत प्रवाह के लिए भी उपयोगी हैं।
अब तक रसायन विज्ञान में कुल 116 बार नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है। इस श्रेणी में सबसे उम्रदराज़ विजेता जॉन बी. गुडइनफ़ थे, जिन्होंने 2018 में 97 वर्ष की आयु में यह पुरस्कार जीता था। वहीं, फ्रेडरिक जोलियट ने 1935 में मात्र 35 वर्ष की आयु में यह सम्मान प्राप्त किया था।
नोबेल पुरस्कार, जो दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, 1901 से दिया जा रहा है। इसका नाम स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर रखा गया है। उन्होंने डायनामाइट के आविष्कार से अपार धन अर्जित किया था और वसीयत में अपनी धनराशि पाँच क्षेत्रों — भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, शांति और साहित्य — में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार देने के लिए निधि की थी। 1969 से अर्थशास्त्र को भी इन क्षेत्रों में शामिल किया गया है।