सैंटियागो
चिली में रविवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में अल्ट्रा- कंजरवेटिव (अत्यंत दक्षिणपंथी) पूर्व सांसद जोस एंटोनियो कास्ट ने चौंकाने वाली जीत दर्ज की। उन्होंने सत्तारूढ़ केंद्र-वामपंथी गठबंधन की उम्मीदवार जीनत जारा को हराते हुए 35 वर्षों में चिली को उसका सबसे दक्षिणपंथी राष्ट्रपति दिया है।
कास्ट ने 58.2% वोट हासिल किए, जबकि जारा को 41.8% वोट मिले। कास्ट की जीत मुख्य रूप से अपराध पर सख्त कार्रवाई, अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर निष्कासन और सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उनके वादों के चलते संभव हुई—एक ऐसे समय में जब चिली को लैटिन अमेरिका के सबसे स्थिर और समृद्ध देशों में गिना जाता है।
मतगणना शुरू होने के दो घंटे के भीतर कास्ट की जीत घोषित कर दी गई। जारा ने उन्हें फोन कर बधाई दी और अपनी हार स्वीकार की। राजधानी सैंटियागो सहित कई शहरों में कास्ट समर्थकों ने सड़कों पर जश्न मनाया, कारों के हॉर्न बजाए और उनके नाम के नारे लगाए।
जारा ने सोशल मीडिया पर लिखा,“लोकतंत्र ने स्पष्ट निर्णय सुना दिया है।”उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे निराश न हों—“हार हमें सबसे अधिक सिखाती है।”कास्ट के अभियान प्रवक्ता आर्तुरो स्क्वेला ने कहा कि उनकी पार्टी को यह एहसास है कि देश जिन गहरी चुनौतियों से गुजर रहा है, उन्हें संभालने की “बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी” अब उनके कंधों पर आ गई है।
लैटिन अमेरिका में दक्षिणपंथी लहर को नई गति
कास्ट की जीत सिर्फ चिली का राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि पूरे लैटिन अमेरिका में दक्षिणपंथ के उभार की एक और कड़ी है। अर्जेंटीना से लेकर बोलीविया तक कई देशों में मौजूदा सरकारों को हटाकर दक्षिणपंथी नेतृत्व सत्ता में आया है—ऐसे समय में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पश्चिमी गोलार्ध में अमेरिकी प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका इस चुनाव परिणाम का स्वागत करने वाला पहला देश बन गया।अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा,“हमें विश्वास है कि कास्ट के नेतृत्व में चिली सार्वजनिक सुरक्षा मजबूत करेगा, अवैध प्रवासन पर रोक लगाएगा और अमेरिका-चिली व्यापारिक संबंधों को और गहरा करेगा।”
अत्यधिक ध्रुवीकृत चुनाव
कास्ट की जीत चिली की राजनीति में नाटकीय बदलाव का संकेत है—1990 में जनरल ऑगस्टो पिनोशे की तानाशाही समाप्त होने के बाद पहली बार देश को इतना कट्टर-दक्षिणपंथी नेता मिला है।पिछले तीन दशकों में सत्ता मुख्य रूप से केंद्र-दक्षिण और केंद्र-वाम दलों के बीच घूमती रही थी।इस चुनाव में दोनों उम्मीदवार अपने विचारों में एक-दूसरे के बिलकुल उलट थे।
चिली की कम्युनिस्ट पार्टी की आजीवन सदस्य,
श्रमिक अधिकारों और सामाजिक कल्याण योजनाओं को मजबूत करने वाली नेता,
पिनोशे की तानाशाही (1973–1990) के खिलाफ आवाज उठाने वाले श्रमिक परिवार से ताल्लुक।
नौ बच्चों के पिता,
कड़े कैथोलिक मूल्य,
गर्भपात और समलैंगिक विवाह का सख्त विरोध,
जर्मनी में जन्मे पिता नाजी पार्टी के सदस्य थे,
उनका एक भाई पिनोशे शासन में मंत्री था।
पहले दो चुनावों में कास्ट की इन्हीं रूढ़िवादी सामाजिक नीतियों को जनता ने अस्वीकार कर दिया था।
लेकिन गेब्रियल बोरिक के शासनकाल में बढ़ते अपराध, अवैध प्रवासन और संगठित अपराध के भय ने उन्हें इस बार जीत दिलाई।
कास्ट के समर्थक अब समाज के हर वर्ग से हैं—
व्यवसायी जो मुक्त बाज़ार नीतियों के चलते आश्वस्त हैं,
मध्यम वर्ग जो रात में बाहर निकलने से डरता है,
और कट्टर दक्षिणपंथी समर्थक, जो पिनोशे की तानाशाही को गौरव के रूप में देखते हैं।
जीत के बाद उनके समर्थकों में कई युवा ऐसे भी थे जो पिनोशे की तस्वीरें फ्रेम में लेकर जश्न मना रहे थे।