अहमद शाह मसूद मकबरा में तोड़फोड़ की तालिबान ने

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-09-2021
अफगान नायक अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोड़फोड़
अफगान नायक अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोड़फोड़

 

काबुल. तालिबान के पंजशीर पर कब्जा करने के बाद राजधानी बाजारख में कहर शुरू हो गया. वे घर-घर जाकर अहमद मसूद, अमरुल्ला सालेह समेत राष्ट्रीय प्रतिरोध बल (एनआरएफ) के कमांडरों की तलाश कर रहे हैं. इतना ही नहीं तालिबान ने बाजारख में अपने सबसे बड़े दुश्मन और अफगान नायक अहमद शाह मसूद के मकबरे में भी तोड़फोड़ की है. अहमद शाह मसूद वही शख्स थे, जिन्होंने जीवन भर तालिबान को कड़ी चुनौती दी थी. इतना ही नहीं उसके समय में तालिबान या सोवियत सेना भी पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाई थी.

अहमद शाह मसूद अफगानिस्तान के नायक थे, जिन्हें रूस और तालिबान कभी नहीं हरा पाए थे.

अहमद शाह मसूद ताजिक समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक सुन्नी मुसलमान था. इंजीनियर अहमद शाह मसूद साम्यवाद के कट्टर आलोचक थे.

1979में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, तो उन्होंने विद्रोही ताकतों की कमान संभाली और एक के बाद एक सफलताएं हासिल कीं.

सोवियत सेना ने भी उन्हें पकड़ने के लिए पंजशीर में नौ बार अभियान चलाया, लेकिन एक में भी वे सफल नहीं हुए. सोवियत सैनिक जो भी हथियार और गोला-बारूद लाए थे, उन्हें मसूद के लड़ाकों ने बारूदी सुरंग बिछाकर उड़ा दिया था.

इसके अहमद शाह मसूद को पंजशीर के शेर की उपाधि दी गई. अहमद शाह मसूद को 1992में पेशावर समझौते के तहत सोवियत सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री बनाया गया था.

1995-96में, जब काबुल को तालिबान ने पूरी तरह से घेर लिया था, तब अहमद शाह मसूद ने कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा को खारिज कर खिलाफत की आवाज उठाई थी. वह यूनाइटेड इस्लाम फ्रंट के नेता बने. इसे उत्तरी गठबंधन का नाम दिया गया.

उनके साथ अब्दुल रशीद दोस्तम भी थे, जिन्हें मजार-ए-शरीफ का शेर के नाम से जाना जाता है. तालिबान से चार गुना छोटी सेना होने के बावजूद इन लोगों ने एक ऐसी लड़ाई लड़ी, जिसे आज भी याद किया जाता है. उस समय भी तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त था.