वॉशिंगटन
अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को सभी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को नई गाइडलाइन जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वे विदेशी चुनावों पर टिप्पणी या आलोचना करने से बचें, जब तक कि ऐसा करना अमेरिकी विदेश नीति के लिए स्पष्ट और महत्वपूर्ण हित में न हो।
निर्देश के अनुसार, दूतावासों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जिनमें किसी खास विचारधारा का उल्लेख हो। जो भी बयान जारी किया जाए, वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस नीति के अनुरूप होना चाहिए कि अमेरिका सभी विदेशी देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है।
नई गाइडलाइन में कहा गया है:“प्रशासन की राष्ट्रीय संप्रभुता पर जोर देने की नीति के अनुसार, विभाग केवल तभी विदेशी चुनावों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करेगा जब यह अमेरिकी विदेश नीति के लिए स्पष्ट और महत्वपूर्ण हित का मामला हो।”
दशकों से अमेरिका अधिनायकवादी देशों में चुनावों की वैधता पर सवाल उठाता रहा है। लेकिन ट्रंप प्रशासन के “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण के तहत यह रुख बदल रहा है।
निर्देश में आगे कहा गया है:“यदि किसी विदेशी चुनाव पर टिप्पणी करना आवश्यक हो, तो संदेश संक्षिप्त हो, विजेता उम्मीदवार को बधाई देने तक सीमित हो और जरूरत पड़ने पर साझा विदेश नीति हितों का उल्लेख किया जाए।”
दस्तावेज़ में स्पष्ट किया गया कि संदेशों में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता, वैधता या संबंधित देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर राय व्यक्त करने से बचना चाहिए।
अतीत में अमेरिका अक्सर चुनावों की पारदर्शिता पर टिप्पणी करता था, खासकर उन निष्कर्षों के आधार पर जो ओएससीई (Organisation for Security and Cooperation in Europe), कार्टर सेंटर, नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट और इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट जैसी संस्थाओं द्वारा साझा किए जाते थे।
अब नए नियमों के मुताबिक, ऐसी बाहरी संस्थाओं की रिपोर्ट को उद्धृत करना या चुनावी अनियमितताओं की निंदा करना केवल वॉशिंगटन स्थित वरिष्ठ अधिकारियों की मंजूरी से ही संभव होगा।