सऊदी अरब ने चीन से 35 समझौते कर ‘शेख अपना-अपना देख’ कहावत चरितार्थ किया

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
सऊदी अरब ने चीन से 35 समझौते कर ‘शेख अपना-अपना देख’ कहावत किया चरितार्थ
सऊदी अरब ने चीन से 35 समझौते कर ‘शेख अपना-अपना देख’ कहावत किया चरितार्थ

 

मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली

दुनिया मतलबी है. धर्म-इस्लाम के नाम पर लड़ने वाले केवल दिखावा करते हैं. इसे सऊदी अरब ने चीन से 35 समझौते करयह साबित कर दिया. चीन के राष्ट्रपति अभी सऊदी अरब दौरे पर हैं. इस दौरान चीन और सऊदी अरब की कई स्तरों पर वार्ता हुई, पर इस दौरान एक बार भी शी जिनपिंग सरकार से उइगर मुसलमानों पर ढाए जा रहे जुल्म पर चर्चा नहीं हुई.

इस्लामी देशों में घनिष्ठता बढ़ाने और दुनिया भर के मुसमलानों को संरक्षण देने के लिए 1969 में गठित इस्लामी देशों के संगठन आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन संक्षेप में ओआईसी के 1972 के चार्टर में स्पष्ट रूप से ‘इस्लामी एकजुटता’ का जिक्र है. ओआईसी के 57 देश सदस्य हैं, उनमें सऊदी अरब भी है.
 
मगर इसने कभी भी चीन के उइगर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों पर एक शब्द भी नहीं कहा है. अभी जब चीन के राष्ट्रपति शी इस देश के दौरे पर हैं तब भी इस के होंठ सिले हुए हैं. सऊदी अरब एक नेता ने भी इस मुददे पर जुबान नहीं हिलाया है. 
 
4 जनवरी 22 को हुसैन इब्राहिम ताहा आईओसी के नए महासचिव बनाए गए हैं. शी जिनपिंग के दौरे से पहले उनकी ओर से भी ऐसा कोई बयान नहीं आया जिससे सऊदी अरब पर दबाव बने और वह उइगर मुसलमानों के मुददे पर चीन से सवाल कर सके. 
 
दरअसल, मुस्लिम वर्ल्ड के इस अहमद मुददे से सऊदी अरब के आंखें चुराने के पीछे हकीकत यह है कि वह विजन 30 को परवान चढ़ाने में लगा हुआ है. इसके लिए कौम के उन तमाम मुद्दों को दरकिनार कर उन देशों से हाथ मिलाने में लगा हुआ है जिससे दुनिया के मुसलमान पसंद नहीं करते. 
 
सऊदी अरब पेट्रोलियम पदार्थ से आत्मनिर्भरता कम कर अपने देश को आईटी, आवास, पर्यटन, खेल, फिल्म आदि के क्षेत्र में बढ़ाने में लगा है, जिसे उसने नाम दिया है विजन 2030. सऊदी अरब नेताओं और शी जिनपिंग की मुलाकात भी उइगर मुसलमानांे केे मुददे को पीछे रखकर इसी विजन को आगे बढ़ाने पर हुई है.
 
ओआईसी के महासचिव की इस मामले में इसलिए अप्रत्यक्ष सहमति है, क्यों कि अरब देश की भलाई में ही संगठन की भलाई है.
 
शी जिनपिंग का सऊदी अरब में समझौता
   
सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को दोनों देशों के बीच पूर्ण रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.समाचार एजेंसी एसपीए के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति ने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की उपस्थिति में रियाद के कस्र यामामा में दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक से मुलाकात की.
 
किंग सलमान ने सऊदी अरब में चीनी राष्ट्रपति और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया, जबकि चीनी राष्ट्रपति ने किंगडम की यात्रा पर प्रसन्नता व्यक्त की.
 
चीन और सऊदी अरब ने दिखाई दोस्ती

दोनों नेताओं ने सऊदी अरब और चीन के बीच ऐतिहासिक मित्रता की समीक्षा की और दोनों देशों और मैत्रीपूर्ण लोगों के व्यापक लाभ के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की.इस अवसर पर सऊदी राज्य मंत्री और कैबिनेट सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. मुसाद अल-ऐबन भी उपस्थित थे.
 
चीन की ओर से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी भी उपस्थित थे.चीनी राष्ट्रपति के रियाद दौरे के मौके पर राजधानी में दोनों देशों की संस्थाओं के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 35 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. पार्टियों ने समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए.
 
पक्षकारों के सूत्रों का कहना है कि ये समझौते सऊदी विजन 2030 के लक्ष्यों को हासिल करते हुए दोनों देशों के आर्थिक और निवेश संबंधों की स्थिरता में मदद करेंगे. ऊर्जा, परिवहन, खनन, रसद सेवाओं, ऑटो उद्योग, चिकित्सा देखभाल, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने समझौतों पर हस्ताक्षर किए.सऊदी निवेश मंत्रालय ने तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं,
 
एक एल्यूमीनियम औद्योगिक परिसर स्थापित करेगा, दूसरा समझौता ज्ञापन पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में सहायक उद्योगों के स्थिरीकरण के लिए है, जबकि तीसरा समझौता ज्ञापन चिकित्सा उपकरणों के प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और निर्माण के विकास के लिए है.किंगडम ने आवास मामलों में तीन चीनी कंपनियों के साथ तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से प्रत्येक के तहत चीन की भागीदारी से एक लाख घरों का निर्माण किया जाएगा.
 
कौन हैं उइगर मुसलमान?

अब बात उइगर की, जिनकेे लिए दुनियाभर के मुसलमानआवाज उठाते रहते हैं.चीन में जो उइगर मुसलमान रह रहे हैं वो वास्तव में अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से संबंधित हैं. माना जाता है कि ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया के रहने वाले हैं.
 
तुर्क मूल के उइगर मुस्लिमों की चीन के शिनजियांग प्रांत में कई लाख की आबादी है. ये तुर्की भाषा बोलने में सहज हैं. चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक मान्यता मिली है, उइगर उनमें ही शामिल हैं.
 
डिटेंशन सेंटर में कैद उइगर मुस्लिम

मानवाधिकार समूहों के एक अनुमान के मुताबिक अकेले उत्तर पूर्व के चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में कैद करके रखा गया है, जहां उनसे अमानवीय तरीके से पेश आते हैं. कई यातनाएं दी जाती हैं.
 
बताया जाता है कि उन पर परिवार नियोजन और जन्म दर पर नियंत्रण को लेकर भेदभाव किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने उइगर मुस्लिमों के साथ भेदभाव को लेकर इस पर लगाम लगाए जाने की अपील की है.
 
चीन क्यों करता है नफरत ?

चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों की सबसे बड़ी आबादी रहती है. कथित तौर पर ऐसा कहा जाता है कि ये चीन से अलग होना चाहते हैं. वहीं, चीन कभी नहीं चाहेगा कि ऐसा हो. उइगर मुस्लिम जब कभी भी चीनी कानून का विरोध करता है तो उसे कुचलने की कोशिश की जाती है.
 
चीन में उन्हें काफी अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं. नमाज और रोजे रखने पर भी काफी हद तक पाबंदी है. इन्हें दाढ़ी रखने के लिए मना किया जाता है. महिलाओं को पर्दा करके बैंक और अस्पताल जाने की अनुमति नहीं है. उइगर मुस्लिमों से जबरन मजदूरी और नसबंदी के भी मामले सामने आए हैं. 
 
चीन ने आरोपों को नकारा

उइगर मुसलमानों के साथ भेदभाव और हिंसा की घटनाओं पर रिपोर्ट को चीन अक्सर नकारता रहा है. इस बार भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का विरोध किया है. चीन के राजदूत का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसा कोई जुल्म हो रहा है.
 
चीन का मानना है कि उनके देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करने को लेकर जारी ये रिपोर्ट पश्चिमी देशों के अभियान का एक हिस्सा है. बता दें कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट से इस रिपोर्ट को वापस लेने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था.