मॉस्को (रूस)
रूस की विदेशी खुफिया सेवा (SVR) के अनुसार, ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां NATO सहयोगियों के साथ मिलकर 'शैडो फ्लीट' को निशाना बनाने के लिए एक बड़े पैमाने पर अभियान की योजना बना रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में पर्यावरणीय आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह जानकारी TASS द्वारा प्राप्त एक आधिकारिक बयान में दी गई है।
रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य एक बड़े स्तर की तोड़फोड़ करना है, ताकि वाशिंगटन को रूसी ऊर्जा खरीददारों पर कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया जा सके।
रूसी विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:"रूस की विदेशी खुफिया सेवा: ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां NATO सहयोगियों के साथ मिलकर 'शैडो फ्लीट' पर बड़ा छापा मारने की योजना बना रही हैं। इस योजना का उद्देश्य एक बड़ा पर्यावरणीय हादसा कराना है, जिससे वाशिंगटन पर दबाव डाला जा सके कि वह रूसी ऊर्जा के खरीदारों पर प्रतिबंध लगाए।"
बयान में कहा गया है:"ब्रिटिश गुप्त सेवाएं अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों में पारिस्थितिक आपदा की योजना बना रही हैं। SVR को मिली जानकारी के अनुसार, वे NATO सहयोगियों को शामिल कर 'शैडो फ्लीट' पर छापे की योजना बना रही हैं।"
यूके की योजना के तहत, इस अभियान को शुरू करने के लिए "एक या अधिक टैंकरों से जुड़ी एक बड़ी और सनसनीखेज घटना" को अंजाम देना प्रस्तावित है।
SVR के अनुसार:"योजना में एक ऐसी sabotage (तोड़फोड़) शामिल है, जिसकी क्षति इतनी व्यापक हो कि रूसी तेल परिवहन को अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन के लिए खतरा घोषित किया जा सके। इससे पश्चिमी देशों को जवाबी कार्रवाई के लिए 'मुक्त हाथ' मिल जाएंगे।"
SVR ने आगे कहा कि ब्रिटिश एजेंसियां दो संभावित casus belli (युद्ध का बहाना) पर काम कर रही हैं।
पहली योजना: किसी "अवांछित" टैंकर को समुद्री संचार के संकरे रास्ते (जैसे कि जलडमरूमध्य) में दुर्घटना का शिकार बनाना। लंदन को लगता है कि ऐसे में तेल रिसाव और रास्ता बाधित होने से NATO को समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण नियमों की आड़ में 'असाधारण' जहाज जांच का अधिकार मिल जाएगा।
TASS के अनुसार, SVR ने यह भी कहा:"इस हमले का समय रणनीतिक रूप से इस तरह चुना जाएगा कि मीडिया में इसकी गूंज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार पर दबाव बनाने में मदद करे।"
बयान में यह भी कहा गया है:"इसका उद्देश्य अमेरिका को अपने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ जाकर, रूसी ऊर्जा खरीदारों पर सबसे सख्त द्वितीयक प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर करना है। जिससे इन खरीदारों को इस 'त्रासदी' का परोक्ष दोषी ठहराया जा सके।"