इस्लामाबाद/मुज़फ्फराबाद
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। लगातार दूसरे दिन चल रही हड़ताल ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें अब तक तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इस हड़ताल का आह्वान ‘जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी’ (JKJAC) ने अपनी लंबित मांगों को लेकर किया था। संगठन लंबे समय से बिजली की दरों में कटौती, सब्सिडी बहाल करने और महंगाई पर नियंत्रण जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स, विशेषकर 'जियो न्यूज' के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। मुजफ्फराबाद, कोटली, रावलकोट और बाघ जैसे शहरों में दुकानें, बाजार, होटल और व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे। सड़कों से सार्वजनिक परिवहन भी गायब रहा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि घायल हुए सभी लोग पुलिसकर्मी हैं या उनमें आम नागरिक भी शामिल हैं।
हिंसा के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है। संघीय मंत्री तारिक फजल चौधरी ने बुधवार को मीडिया को बताया कि प्रदर्शनकारियों की अधिकांश मांगें पहले ही स्वीकार की जा चुकी हैं, और अब सरकार उन्हें फिर से बातचीत का प्रस्ताव दे रही है।
वहीं, प्रदर्शनकारी समूहों ने सरकार पर वादाखिलाफी और जबरन दमन का आरोप लगाया है। JKJAC नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर स्पष्ट और लिखित समझौता नहीं होता, विरोध और बंद जारी रहेगा।
पीओके में इस बढ़ते तनाव ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जबकि केंद्र सरकार प्रदर्शनकारियों से संवेदनशीलता और संयम बरतने की अपील कर रही है।