पेरिस
फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्तियन लेकोर्नू ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने महज एक दिन पहले ही अपना मंत्रिमंडल गठित किया था और एक महीने से भी कम समय तक इस पद पर बने रहे।
उनके इस्तीफे से फ्रांस में पहले से जारी राजनीतिक अस्थिरता और गहरा गई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पास अब बहुत सीमित विकल्प बचे हैं, क्योंकि उनकी लोकप्रियता लगातार गिरती जा रही है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
लेकॉर्नू ने सितंबर में फ्रांस्वा बायरू की जगह प्रधानमंत्री का पद संभाला था। लेकिन पिछले साल मैक्रों द्वारा अचानक संसदीय चुनावों की घोषणा के बाद से ही फ्रांसीसी राजनीति में गतिरोध बना हुआ है। नेशनल असेंबली में धुर-दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों के पास कुल मिलाकर 320 से अधिक सीटें हैं, जबकि मध्यमार्गी और उनके सहयोगी रूढ़िवादियों के पास केवल 210 सीटें हैं। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं है।
लेकॉर्नू, जो राष्ट्रपति मैक्रों के भरोसेमंद सहयोगी माने जाते हैं, ने इस्तीफे में लिखा, "जब आम सहमति बनाना संभव न हो, तब पद पर बने रहना व्यर्थ है। किसी को भी अपनी पार्टी से पहले देश के हित को प्राथमिकता देनी चाहिए।"
लेकॉर्नू के इस अप्रत्याशित कदम से विपक्ष को सरकार पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है। धुर-दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने राष्ट्रपति मैक्रों से तत्काल नये संसदीय चुनाव कराने या स्वयं इस्तीफा देने की मांग की है।
पार्टी नेता मरीन ले पेन ने कहा, "अब कोई और रास्ता नहीं बचा है। समझदारी इसी में है कि देश को फिर से चुनाव की ओर ले जाया जाए।"
गौर करने वाली बात यह है कि कई मंत्री जिन्होंने पिछली रात ही शपथ ली थी, अब कार्यवाहक मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। कुछ ने तो औपचारिक रूप से अपना कार्यभार भी नहीं संभाला था।
लेकॉर्नू द्वारा मंत्रिमंडल में किए गए कुछ नामों की राजनीतिक हलकों में आलोचना भी हुई है। विशेष रूप से पूर्व वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर को रक्षा मंत्रालय सौंपे जाने के फैसले पर सवाल उठे।
अन्य महत्वपूर्ण पदों पर हालांकि बदलाव नहीं किए गए। ब्रूनो रिताइलो आंतरिक मंत्री बने रहे, जो पुलिस और सुरक्षा से जुड़े मामलों के प्रभारी हैं। जीन-नोएल बारोत को विदेश मंत्रालय, जबकि गेराल्ड डर्मैनिन को न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी।
अपने अल्पकालिक कार्यकाल के दौरान लेकोर्नू ने विभिन्न राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियनों से बातचीत कर एक सहमति आधारित मंत्रिमंडल बनाने का प्रयास किया था, जो अंततः विफल रहा।