नई दिल्ली. मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त) ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान में बलूच विद्रोहियों द्वारा हाल ही में किए गए हमलों ने देश के भीतर आतंकवाद को उजागर किया है और इसकी सेना की ‘तैयारी की कमी’ को उजागर किया है. उन्होंने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में लंबे समय से इस्तेमाल किए जाने की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘आतंकवाद को राज्य नीति का साधन बनाकर पाकिस्तान ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है.’’
जाफर एक्सप्रेस अपहरण के ठीक एक सप्ताह बाद बलूचिस्तान में फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) के काफिले पर हाल ही में हुए हमले के बारे में एएनआई से बात करते हुए मेजर जनरल बख्शी ने कहा, ‘‘अब तक, वे आतंक का निर्यात कर रहे थे. आतंक के गिद्ध जिन्हें उन्होंने बाहरी लोगों के लिए पाला था, अब पाकिस्तान को ही नष्ट कर रहे हैं.’’
उन्होंने आगे कहा कि यह संकट पाकिस्तान की अपनी करतूत है और भारत समेत विदेशी देश उसके आंतरिक संघर्षों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘‘यह पाकिस्तान की गलती है और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे. विदेशी देश इस बारे में कुछ नहीं कर सकते. भारत क्या कर सकता है?’’
मेजर जनरल ध्रुव सी कटोच (सेवानिवृत्त) ने बढ़ते विद्रोह से निपटने में पाकिस्तानी सेना की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सेना में अपने पूरे क्षेत्र की रक्षा करने की क्षमता का अभाव है. उन्होंने कहा, ‘‘यह पाकिस्तानी ट्रेन के अपहरण के तुरंत बाद बीएलए द्वारा इस हमले को अंजाम देने की बात है और पाकिस्तानी सेना अभी भी यह पता लगा रही है कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए... मुझे लगता है कि उनके पास अपने क्षेत्र के हर हिस्से की रक्षा करने की क्षमता का अभाव है और भविष्य में ऐसे कई हमले होने जा रहे हैं जिनका वे मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’’
उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को बलूच लोगों के साथ राजनीतिक समझौता करना चाहिए ताकि बढ़ते संघर्ष को रोका जा सके जो पाकिस्तानी सेना को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘उनका समाधान बलूच लोगों के साथ राजनीतिक समझौता करने में निहित है, जिसके विफल होने पर, लड़ाई एक गंभीर टकराव में बदल सकती है, जिसमें पाकिस्तानी सेना को हार का सामना करना पड़ सकता है.’’
बलूच विद्रोहियों द्वारा पाकिस्तानी सेना के कर्मियों की हत्या की रिपोर्ट पर, विदेशी मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेवा ने पाकिस्तान पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने और क्षेत्र के विकास की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह संघर्ष भविष्य में और भी बदतर हो सकता है. सचदेवा ने कहा, ‘‘यह अपेक्षित था और भविष्य में और भी बदतर होगा, क्योंकि पाकिस्तान ने कभी बलूचिस्तान पर ध्यान नहीं दिया और इसके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया, इसके खनिज संसाधनों और परिसंपत्तियों को गर्म पानी के बंदरगाहों के लिए चीन को आउटसोर्स किया, इसे एक बंजर भूमि के रूप में देखा... पाकिस्तानी सेना ने वहां के लोगों को दबाना शुरू कर दिया और उन्हें सताया, जबकि वहां पहले से ही पानी और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं की कमी थी.’’
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को बलूचिस्तान के नोशकी जिले में फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में पांच लोग मारे गए, जिनमें तीन एफसी कर्मी और दो नागरिक शामिल थे. प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें एक विस्फोट के बाद आत्मघाती बम विस्फोट हुआ. सुरक्षा बलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की, जिसमें आत्मघाती हमलावर सहित चार आतंकवादी मारे गए. यह हमला बीएलए द्वारा जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने के कुछ ही दिनों बाद हुआ है, जो रणनीतिक बोलन घाटी से क्वेटा से पेशावर जाने वाली ट्रेन थी. 200 सुरक्षाकर्मियों सहित 450 से अधिक यात्रियों को ले जा रही यह ट्रेन बलूच विद्रोहियों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के बीच एक उच्च-दांव गतिरोध का केंद्र बन गई.
बीएलए ने 214 बंधकों को मारने का दावा किया और 48 घंटे की अल्टीमेटम के बावजूद पाकिस्तान की ‘जिद’ और ‘बातचीत से बचने’ को दोषी ठहराया.