क्वेटा. चीन अब पाकिस्तान के लिए नासूर बनता जा रहा है. सी-पैक के सेल्फ मेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ने अब लोगों को पाकिस्तान की सड़कों पर ला खड़ा किया है. चीन की कार्यशैली और जनहित के प्रति सरकार की उपेक्षा के कारण ग्वादर में लावा बहने लगा है. लोग इस परियोजना से निजात मांग रहे हैं, क्योंकि इस परियोजना के नाम पर ग्वादर के लोगों को बिजली और पानी से वंचित कर दिया गया है.
इसलिए ग्वादर में सी-पैक परियोजनाओं के खिलाफ भारी विरोध शुरू हो गया है. ग्वादर के लगभग सभी इलाके 21घंटे बिजली कटौती और पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं, क्योंकि बिजली और पानी को चीनी कंपनियों के लिए डायवर्ट कर दिया गया है. कल ग्वादर में हजारों लोग सड़कों पर उतरे. उन्होंने सी-पैक परियोजना के खिलाफ नारेबाजी की और अपने अधिकारों की मांग की. सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रहे हैं, जो चीन की सेवा में मशगूल है.
जिले के इतिहास में गुरुवार को ‘ग्वादर का हक दो’ थीम के तहत एक बड़ी गैर राजनीतिक बैठक हुई, जिसमें ग्वादर, ओरमारा और जिवानी समेत विभिन्न जगहों से लोगों ने हिस्सा लिया. बैठक में बड़ी संख्या में आम नागरिक, दुकानदार और मछुआरे शामिल हुए. मौलाना हिदायत-उर-रहमान, एक सामाजिक हस्ती, ने ‘ग्वादर का हक दो’ नामक एक बैठक बुलाई थी.
सभा को संबोधित करते हुए प्रतिनिधियों ने ग्वादर को पानी, बिजली और रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार को 30अक्टूबर तक का समय दिया. उन्होंने कहा, “समुद्र तट को ट्रॉलरों से साफ किया जाना चाहिए. सभी संबंधित व्यक्तियों और विभागों को एक महीने की मोहलत देते हैं. ओरमारा से जिवानी तक मछुआरों को स्वतंत्र रूप से मछली पकड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए.”
बलूचिस्तान के ग्वादर को सैन्य छावनी में बदल दिया गया है और स्थानीय आबादी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है.
बैठक के बाद इस्लामाबाद के घरों में बलूचों की आवाज चीख-चीख कर गूंज उठी है. बलूचिस्तान को व्यापारियों के बलूच राष्ट्रीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा.
گوادر بلوچستان جسے ریاست نے فوجی چھاؤنی بنا کر مقامی آبادی کو یکسر نظر انداز کر دیا۔ آج بلوچ کی آواز ایک چیخ بن کر اسلام آباد کے ایوانوں میں گونج اٹھی ہے ۔بلوچستان کے وسائل کے سوداگروں کو ہمیشہ بلوچ قومی مزاحمت کا سامنہ کرنا پڑے گا۔
— Mahrang Baloch (@MahrangBaloch_) September 30, 2021
مزاحمت زندگ بات
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