सियोल
उत्तर कोरिया ने मंगलवार को घोषणा की कि उसके शीर्ष नेता किम जोंग उन ने एक नए रॉकेट इंजन का परीक्षण स्वयं देखा। यह इंजन विशेष रूप से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) के लिए तैयार किया गया है। माना जा रहा है कि यह अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने वाली मिसाइल क्षमता को और अधिक मज़बूत बना सकता है।
उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (KCNA) ने बताया कि सोमवार को किया गया यह परीक्षण इंजन का नौवां और अंतिम ग्राउंड टेस्ट था। कार्बन फाइबर से बने इस ठोस-ईंधन वाले इंजन की क्षमता 1,971 किलो न्यूटन थ्रस्ट पैदा करने की है, जो पहले के मॉडलों से कहीं अधिक शक्तिशाली है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब एक सप्ताह पहले किम ने उस अनुसंधान संस्थान का दौरा किया था, जहां यह इंजन विकसित किया गया है। तब उत्तर कोरिया ने कहा था कि यह इंजन भविष्य के आईसीबीएम, खासतौर पर ह्वासोंग-20 प्रणाली में इस्तेमाल होगा।
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर कोरिया कई तरह की आईसीबीएम का परीक्षण कर चुका है। इनमें ठोस ईंधन वाले मॉडल भी शामिल हैं, जिन्हें छिपाना आसान होता है और इन्हें तरल ईंधन वाली मिसाइलों की तुलना में बहुत तेजी से दागा जा सकता है।
किम जोंग उन ने लंबे समय से अपने हथियार कार्यक्रम में सुधार पर जोर दिया है। उनका लक्ष्य मल्टी-वारहेड सिस्टम विकसित करना है, ताकि अमेरिका और उसके सहयोगियों की मिसाइल रक्षा प्रणालियों को मात दी जा सके। हालांकि अब तक उत्तर कोरिया ने सभी आईसीबीएम परीक्षण अत्यधिक ढलान वाले मार्ग पर किए हैं ताकि पड़ोसी देशों को खतरा न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अभी तक अपने वारहेड्स को वायुमंडल में दोबारा प्रवेश (री-एंट्री) की कठिन परिस्थितियों से सुरक्षित रखने की तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं कर पाया है।
KCNA के अनुसार, सोमवार के परीक्षण के बाद किम ने इसे “आंखें खोल देने वाली प्रगति” बताया और कहा कि यह उनके परमाणु शस्त्रागार के विस्तार में एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
2019 में अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता विफल होने के बाद से किम लगातार हथियार परीक्षण बढ़ा रहे हैं। उनका उद्देश्य एशिया में अमेरिका के सहयोगियों और अमेरिका की मुख्य भूमि—दोनों को निशाना बनाने की क्षमता दिखाना है। विश्लेषकों का मानना है कि किम की रणनीति अमेरिका को यह स्वीकार करने के लिए दबाव बनाना है कि उत्तर कोरिया एक परमाणु शक्ति है और फिर इस स्थिति से आर्थिक व सुरक्षा लाभ हासिल करना है।
इसके अलावा, किम अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रूस और चीन के साथ भी करीबी सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद के लिए हज़ारों सैनिक और बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण भेजे हैं। हाल ही में किम बीजिंग भी गए, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशाल सैन्य परेड में भाग लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दुर्लभ विदेशी यात्रा अमेरिका के साथ संभावित वार्ता से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने की कवायद है।