आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
कनाडा के जंगलों में लगी भीषण आग का प्रभाव अब अमेरिका के बड़े हिस्सों पर भी नजर आने लगा है। विनाशकारी जंगल की आग से उठता घना धुआं न्यूयॉर्क शहर सहित आसपास के इलाकों तक पहुँच गया है, जिससे वायु की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। इस स्थिति को देखते हुए न्यूयॉर्क राज्य के पर्यावरण और स्वास्थ्य विभाग ने वायु प्रदूषण को लेकर आधिकारिक चेतावनी जारी की है।
इन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड, मेट्रोपॉलिटन ज़ोन, लोअर हडसन वैली, अपर हडसन वैली और एडिरोंडैक्स क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि इसे "संवेदनशील समूहों के लिए अस्वास्थ्यकर" श्रेणी में रखा गया है। न्यू इंग्लैंड के कुछ हिस्सों के लिए भी यही चेतावनी दी गई है।
AQI 135 तक पहुँचने का अनुमान
विशेषज्ञों का कहना है कि शनिवार को न्यूयॉर्क के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 100 से बढ़कर 135 तक पहुँच सकता है, जो कि सामान्य से काफी अधिक है। AQI जितना अधिक होता है, हवा उतनी ही ज्यादा प्रदूषित मानी जाती है और मानव स्वास्थ्य पर उसका उतना ही ज्यादा बुरा असर पड़ता है। बच्चों, बुज़ुर्गों और श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
धुएं से सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, राजनीतिक बहस भी प्रभावित
धुएं का असर केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहा। जुलाई की शुरुआत में अमेरिकी कांग्रेस के छह सदस्यों ने कनाडा के राजदूत को पत्र लिखकर चिंता जताई थी कि जंगल की आग से उठने वाला धुआं अमेरिका में गर्मियों की छुट्टियों और सामान्य जीवन को प्रभावित कर रहा है।
हजारों लोग बेघर, सैन्य विमानों से रेस्क्यू
कनाडा में जंगल की आग का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में देशभर में 550 से अधिक सक्रिय आग की घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें अधिकांश मैनिटोबा प्रांत में हैं। इस साल अब तक लगभग 61 लाख हेक्टेयर (करीब 1.5 करोड़ एकड़) भूमि आग में जल चुकी है। सस्केचवान और मैनिटोबा जैसे प्रांतों में आपातकाल की घोषणा की जा चुकी है और 30,000 से अधिक लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है। कई इलाकों से लोगों को सैन्य विमानों की मदद से निकाला जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन की भूमिका
वैज्ञानिकों का मानना है कि जंगलों में आग लगने की घटनाएँ अब जलवायु परिवर्तन के असर का सीधा परिणाम हैं। कनाडा में तापमान वैश्विक औसत की तुलना में दोगुनी गति से बढ़ रहा है, जबकि देश का आर्कटिक क्षेत्र तो तीन गुनी तेज़ी से गर्म हो रहा है। यह परिवर्तन जंगलों को बेहद शुष्क और आग के लिए अधिक संवेदनशील बना रहा है।
यूरोप और मध्य-पूर्व भी संकट में
यह संकट केवल उत्तरी अमेरिका तक सीमित नहीं है। यूरोप के कई हिस्से इस समय भीषण गर्मी और सूखे की चपेट में हैं। तुर्की, इज़राइल और ग्रीस में भी जंगलों में आग की घटनाएँ दर्ज की जा रही हैं। इज़राइल ने तो इतिहास की सबसे बड़ी जंगल की आग से जूझते हुए अन्य देशों से मदद की अपील की है।
कनाडा में जंगल की आग से उत्पन्न यह संकट अब महाद्वीपीय स्तर पर वायु प्रदूषण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और राजनैतिक विमर्श को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन पर सख्ती से कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं और भी व्यापक और विनाशकारी होती जाएंगी। अभी के लिए अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को सावधानी बरतने की सख्त आवश्यकता है।