लंदन
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि जॉर्डन नदी के पश्चिम में फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना किसी भी परिस्थिति में संभव नहीं है। उनकी यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और इजराइल के विरोध को दरकिनार करते हुए फलस्तीन को आधिकारिक रूप से एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है।
नेतन्याहू ने पश्चिमी देशों के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि विदेशी नेता फलस्तीन को मान्यता देकर हमास जैसे संगठनों को "इनाम" दे रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा, “ऐसा नहीं होगा। फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना इजराइल किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगा।”
इस घटनाक्रम ने मध्यपूर्व में तनाव को और गहरा कर दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि फलस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या बढ़ने से इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और अधिक बढ़ सकता है, लेकिन नेतन्याहू का सख्त रुख यह संकेत देता है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं।
नेतन्याहू ने यह भी कहा कि वह अगले हफ्ते अमेरिका की यात्रा के बाद इजराइल के जवाबी कदमों की घोषणा करेंगे। इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होनी है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में फलस्तीन, गाजा और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर अहम चर्चा होगी।