ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
कश्मीर के पुलवामा जिले के मुर्रन गांव के रहने वाले ओवैस याकूब ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) की दुनिया में एक ऐतिहासिक कदम रखा है. वह ब्रेव कॉम्बैट फेडरेशन (ब्रेव सीएफ) के पिंजरे में लडने वाले पहले कश्मीरी फाइटर बने हैं. उनके करियर का डेब्यू मुकाबला फिलीपींस के इयान पॉल "चोको" लोरा के खिलाफ था, जिसमें ओवैस ने केवल पहले राउंड में शानदार जीत हासिल की.
मैच की शुरुआत के महज 3 मिनट 6 सेकंड में ओवैस ने लोरा को टेकडाउन किया और फिर उसे ग्राउंड पर गिरा कर शक्तिशाली पंचों की बौछार की. लोरा ने हार मानते हुए टैप आउट किया. इस जीत ने ओवैस के लिए सिर्फ एक मैच जीतने से कहीं अधिक साबित किया. यह उनके लिए एक सपने के साकार होने जैसा था, एक ऐसा सपना जो वर्षों की मेहनत, संघर्ष और समर्पण के बाद सच हुआ था.
एक लंबा और संघर्षपूर्ण सफर
ओवैस याकूब ने मार्शल आर्ट्स में अपनी यात्रा 2013 में ताइक्वांडो से शुरू की थी. अगले दस वर्षों में उन्होंने 11 राष्ट्रीय स्वर्ण पदक, 6 रजत पदक और 17 राज्य स्तरीय खिताब जीते. ओवैस के अद्वितीय प्रदर्शन ने उन्हें 2018 में "चैंपियन ऑफ चैंपियंस" और "बेस्ट फाइटर बॉय" के खिताब दिलवाए. उनकी उपलब्धियों का दायरा सिर्फ राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं था, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का नाम रोशन किया.
2022 में, ओवैस ने फिलीपींस में आयोजित WEKAF वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया, जहां उन्होंने कांस्य पदक जीता और फिलिपिनो स्टिक फाइटिंग (एस्क्रिमा) में भारत का प्रतिनिधित्व किया. यह प्रदर्शन उन्हें एक विश्वस्तरीय मार्शल आर्टिस्ट के रूप में स्थापित करता है.
एमएमए की ओर रुख
ओवैस के एमएमए की ओर रुख करने की प्रेरणा 2018 में UFC के सुपरस्टार खबीब नूरमगोमेदोव के एक मैच को देखकर मिली. ओवैस ने ठान लिया कि वह भी इस खेल में अपना करियर बनाएंगे. पेशेवर एमएमए की दुनिया में कदम रखने से पहले, ओवैस ने तीन राष्ट्रीय शौकिया एमएमए खिताब भी जीते थे.
2023 में उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की और मार्च 2024 में मोहम्मद अजीम मोखलिस को सर्वसम्मत निर्णय से हराया. इसके बाद अप्रैल 2024 में उन्होंने शेट्टी प्रतीक सदाशिव को तकनीकी नॉकआउट (टीकेओ) से मात दी. अब उनका पेशेवर रिकॉर्ड 3-1 है.
ब्रेव सीएफ में ऐतिहासिक प्रदर्शन
इन शानदार प्रदर्शनों ने ब्रेव सीएफ का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें इस प्रतिष्ठित मंच पर लड़ने का अवसर मिला. ओवैस याकूब ने अपनी कड़ी मेहनत, उत्कृष्टता और संघर्ष के दम पर कश्मीर के पहले पेशेवर एमएमए फाइटर के रूप में इतिहास रच दिया है. उनका यह सफर न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है.
ओवैस याकूब की कहानी यह बताती है कि अगर व्यक्ति अपने सपनों के पीछे पूरी मेहनत और समर्पण के साथ लगे, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती. उनका संघर्ष और सफलता हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को हासिल करने का हौसला रखता है.