भारत विरोध के कारण गंवाया प्रधानमंत्री पद: नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली का आरोप

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-09-2025
Nepal lost its prime minister post because of opposition to India: former Nepal PM KP Sharma Oli's allegation
Nepal lost its prime minister post because of opposition to India: former Nepal PM KP Sharma Oli's allegation

 

नई दिल्ली।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और हाल ही में पद से हटाए गए केपी शर्मा ओली ने भारत पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भारत के प्रति उनके सख्त रुख और संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बोलने की वजह से उन्हें सत्ता से हटना पड़ा।

ओली ने अपनी पार्टी के महासचिव को भेजे एक पत्र में कहा, “अगर मैंने लिपुलेख क्षेत्र को लेकर भारत को चुनौती नहीं दी होती और अयोध्या-भगवान राम के मुद्दे पर सवाल नहीं उठाए होते, तो शायद मैं आज भी सत्ता में होता।”

इस्तीफे की पृष्ठभूमि

9 सितंबर को सेना प्रमुख जनरल जी के विरोध के चलते ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस दौरान यह अफवाह भी फैली कि वह नेपाल छोड़कर भाग गए हैं, हालांकि वे अब भी नेपाल में ही मौजूद हैं और शिवपुरी बैरक में रह रहे हैं।

लिपुलेख विवाद पर नेपाल का दावा

भारत और नेपाल के बीच लिपुलेख दर्रे और कालापानी क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है। 1816 की सुगौली संधि के आधार पर सीमा निर्धारण होना था, लेकिन काली नदी का उद्गम स्थल कौन-सा है, इस पर मतभेद बना हुआ है।

नेपाल का कहना है कि नदी का स्रोत लिंपियाधुरा है, जो लिपुलेख के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इस आधार पर नेपाल कालापानी और लिपुलेख दोनों को अपना क्षेत्र बताता है। दूसरी ओर, भारत का दावा है कि नदी कालापानी गाँव के पास से निकलती है, इसलिए यह पूरा इलाका उत्तराखंड का हिस्सा है।

ओली सरकार ने अपने कार्यकाल में इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने संसद में घोषणा की थी कि “महाकाली नदी के पूर्व का पूरा इलाका—लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी—नेपाल का अभिन्न हिस्सा है।”

इसके बाद नेपाल ने भारत से वहाँ सड़क निर्माण और व्यावसायिक गतिविधियाँ रोकने की मांग की थी और चीन को भी इस बारे में सूचित किया था। भारत ने इस मांग को खारिज कर दिया और कहा कि 1954 से इस मार्ग से चीन के साथ उसका व्यापार हो रहा है।

अयोध्या और भगवान राम की जन्मभूमि पर विवादित बयान

जुलाई 2020 में केपी शर्मा ओली ने एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने दावा किया था कि भगवान राम का जन्म भारत में नहीं, बल्कि नेपाल में हुआ था।

ओली ने कहा था, “राम की अयोध्या भारत में नहीं, बल्कि नेपाल के बीरगंज क्षेत्र में थी। भारत ने एक नकली अयोध्या बना दी है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राम भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पैदा हुए होते, तो नेपाल के जनकपुर की सीता से विवाह कैसे कर सकते थे? ओली ने तर्क दिया कि प्राचीन समय में लंबी दूरी की शादियाँ आम नहीं थीं और संवाद के साधन भी उपलब्ध नहीं थे।

ओली के इस बयान के बाद भारत में तीखी आलोचना हुई थी और उनके खिलाफ व्यापक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था।

भारत को ठहराया जिम्मेदार

अब पद गंवाने के बाद ओली ने साफ शब्दों में कहा है कि सत्ता से हटने की सबसे बड़ी वजह उनका भारत के प्रति विरोधी रुख रहा। उनका दावा है कि यदि वे लिपुलेख मुद्दे पर और भगवान राम की जन्मभूमि पर भारत का विरोध न करते, तो आज भी प्रधानमंत्री पद पर बने रहते।