तहरीके-तालिबान की हिट लिस्ट में नेताओं के नाम, पाकिस्तान दहशत में

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 13-08-2021
तालिबान
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इस्लामाबाद. पाकिस्तान में एक संसदीय समिति ने उन रिपोटरें पर चिंता व्यक्त की है कि पिछले सप्ताह प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के एक पूर्व प्रवक्ता और द गार्जियन द्वारा संदर्भित ‘हत्या सूची’ में कई सार्वजनिक हस्तियों के नाम सामने आए हैं. कमेटी ने इमरान खान सरकार से इस मामले की जांच कराने की मांग की है.

समिति की अध्यक्ष शाजिया मारी ने मामले को आगे बढ़ाने के लिए आंतरिक सचिव को पूर्व सीनेटरों फरहतुल्ला बाबर और अफरासियाब खट्टक के साथ जल्द बैठक करने का निर्देश दिया है.

डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों सीनेटरों के नाम हिट लिस्ट में हैं.

संयुक्त राष्ट्र के पांच निकायों ने 29मई, 2019को सरकार को एक संयुक्त पत्र में ‘हत्या सूची’ का उल्लेख किया था.

सीनेटर बाबर ने कहा, “यही कारण है कि इसे हल्के में लेना बहुत गंभीर है.”

द गार्जियन अखबार ने कुछ दिनों पहले विदेश में रह रहे कुछ पाकिस्तानी असंतुष्टों द्वारा किए गए खात्मे की धमकियों के बारे में एक रिपोर्ट छापी थी.

बाबर ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने तुरंत ऐसी किसी सूची के अस्तित्व से इनकार किया, लेकिन केवल इनकार करने से संदेह दूर नहीं हो सकता.

खट्टक ने कहा कि स्थिति इतनी भयावह है कि कोई भी हिट लिस्ट में हो सकता है.

मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने कहा कि मामले की गहन जांच की जरूरत है.

डॉन ने बताया कि समिति को टीटीपी के पूर्व प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान का एक फेसबुक पोस्ट भेजा गया था, जिसमें उन्होंने पिछले महीने दावा किया था कि उन्हें कुछ व्यक्तियों को खत्म करने के लिए श्मृत्यु दस्तेश् का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था.

एहसान की पोस्ट के मुताबिक, ‘हत्या की लिस्ट’ में पूर्व सीनेटर बाबर, खट्टक, सैयद आलम महसूद और मुफ्ती किफायतुल्लाह के नाम शामिल हैं.

बाबर ने आगे कहा, “एहसानुल्लाह एहसान कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है. वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पूर्व प्रवक्ता हैं, जिन्होंने बाद में एक अलग समूह, जमात-उल-अहरार का गठन किया, दोनों को आतंकवादी संगठन के रूप में चिन्हित किया गया. उन्होंने पाकिस्तान में कई घातक हमले की जिम्मेदारी ली है.”

मानवाधिकार समिति को सूचित किया गया था कि अप्रैल 2017में एहसान ने खुद को सुरक्षा एजेंसियों में बदल लिया था और खुद को ‘आतंकवादी से एजेंसियों के विश्वासपात्र’ में बदल लिया था. उन्हें मीडिया को इंटरव्यू देने की आजादी थी और उन्होंने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए थे.

भागने के बाद अल जजीरा को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि उनकी रिहाई एक समझौते का परिणाम थी, जिसने उन्हें पूर्ण कानूनी प्रतिरक्षा, एक व्यक्तिगत मौद्रिक वजीफा और एक गारंटी दी थी कि उन्हें शांतिपूर्ण नागरिक के रूप में रहने की अनुमति दी जाएगी.

एहसान ने कहा कि अल जजीरा ने पाकिस्तान में सैन्य और नागरिक अधिकारियों को अपने आरोपों की एक सूची प्रदान की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

क्वेटा में पूर्व सीनेटर उस्मान कक्कड़ की रहस्यमय मौत के बाद, एहसान ने कहा कि उनका नाम उनके पूर्व आकाओं द्वारा बनाए गए हिट लिस्ट में शामिल था.

कुछ दिनों बाद उन्होंने एक और ट्वीट के जरिए सूची में अन्य लोगों के नाम दिए थे.