तिब्बत में 4.5 तीव्रता का भूकंप, नेपाल में बाढ़ का खतरा बढ़ा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 03-08-2025
4.5 magnitude earthquake in Tibet, threat of flood increases in Nepal
4.5 magnitude earthquake in Tibet, threat of flood increases in Nepal

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

तिब्बत में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंपीय केंद्र (NCS) के अनुसार, रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 4.5 मापी गई, जो कि सतह से मात्र 10 किलोमीटर की गहराई पर हुआ. भूगर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की सतही गहराई वाले भूकंप अक्सर आफ्टरशॉक्स (झटकों की पुनरावृत्ति) की आशंका को बढ़ा देते हैं.
 
तिब्बत में बीते कुछ दिनों में यह तीसरा भूकंप है. इससे पहले 30 जुलाई को दो भूकंप आए थे—एक 4.0 और दूसरा 4.3 तीव्रता का. दोनों ही झटके करीब 10 किमी की गहराई पर दर्ज किए गए थे. लगातार हो रही इस भूकंपीय हलचल ने पूरे इलाके में चिंता की लहर पैदा कर दी है.
 
भूकंप के पीछे का भूगर्भीय कारण

तिब्बती पठार दुनिया के सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है. यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव पर स्थित है. जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर धकेलती है, तो वह यूरेशियन प्लेट के नीचे घुसती जाती है, जिससे हिमालय की ऊंचाई भी धीरे-धीरे बढ़ती है और जमीन के भीतर तनाव बनता रहता है। यह तनाव जब असहनीय हो जाता है, तो वह ऊर्जा भूकंप के रूप में बाहर निकलती है.
 
कम गहराई पर आने वाले भूकंप ज़्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि उनकी तरंगें ज़मीन की सतह तक जल्दी पहुंचती हैं, जिससे इमारतों को ज़्यादा नुकसान और जनहानि की आशंका रहती है.
 
नेपाल में बाढ़ की चेतावनी, तिब्बत में बारिश बनी मुसीबत

भूकंप के साथ ही तिब्बत में भारी बारिश ने स्थिति और भी गंभीर बना दी है. बुधवार सुबह हुई मूसलाधार बारिश के कारण कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिसका असर नेपाल में देखा जा रहा है.
 
रासुवा, उत्तर गया और किस्पांग इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. विशेष रूप से तिब्बत की ओर से बहने वाली त्रिशूली नदी में जलस्तर बढ़ने से नेपाल के कई जिलों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। त्रिशूली 3बी हब और रसुवागढ़ी इलाके में पानी का बहाव खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
 
यही नहीं, 8 जुलाई को इसी क्षेत्र में आई अचानक बाढ़ ने नेपाल-चीन सीमा के पास भारी तबाही मचाई थी, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से अधिक लोग लापता हो गए थे.
 
लगातार आपदाएं: खतरे की घंटी

तिब्बत और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में जिस तरह भूकंप और बाढ़ की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, वह न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए भी एक चेतावनी है. विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, भूगर्भीय गतिविधियां और अनियंत्रित निर्माण इन आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता दोनों को बढ़ा रहे हैं.
 
जलवायु विशेषज्ञ प्रो. सौरभ भटनागर के अनुसार, “हिमालयी क्षेत्र में जिस गति से टेक्टोनिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और मानसून असंतुलित हो रहा है, उससे भविष्य में और बड़ी आपदाएं देखने को मिल सकती हैं. इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सतर्कता जरूरी है.”
 
तिब्बत में आए ताज़ा भूकंप और उसके साथ हो रही भारी बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हिमालय क्षेत्र एक बार फिर सक्रिय हो चुका है. इस क्षेत्र के देशों को न सिर्फ अलर्ट रहने की ज़रूरत है, बल्कि आपदा पूर्व तैयारी और समय पर राहत प्रणाली को भी सशक्त बनाना होगा.
 
लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें, आधिकारिक सूचनाओं पर विश्वास करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें. सरकारें और प्रशासनिक एजेंसियां लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और जरूरत पड़ने पर राहत कार्यों के लिए पूरी तरह तैयार हैं.