ईरान ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी को फिर किया गिरफ्तार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-12-2025
Iran has arrested Nobel Peace Prize winner Narges Mohammadi again.
Iran has arrested Nobel Peace Prize winner Narges Mohammadi again.

 

आवाज़ द वॉयस | तेहरान

ईरान की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को ईरानी सुरक्षा बलों ने एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी शुक्रवार, 12 दिसंबर को उस समय की गई, जब वह एक प्रसिद्ध वकील के लिए आयोजित शोक सभा में शामिल होने पहुँची थीं, जिनका इस महीने की शुरुआत में निधन हो गया था।

नरगिस मोहम्मदी को वर्ष 2023 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय वह ईरान की जेल में बंद थीं। बाद में उन्हें दिसंबर 2024 में जेल से रिहा किया गया था। रिहाई के एक साल के भीतर ही उनकी यह नई गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, नरगिस मोहम्मदी समेत कई अन्य लोगों को उस समय हिरासत में लिया गया, जब वे वकील ख़स्रू अलीकोर्डी की याद में आयोजित शोक सभा में शामिल हुए थे। अलीकोर्डी का शव पिछले सप्ताह उनके कार्यालय में मिला था। यह घटना ईरान के पूर्वी शहर मशहद में हुई।

पेरिस में रह रहे नरगिस मोहम्मदी के पति ताघी रहमानी ने बताया कि उनकी पत्नी और अन्य प्रतिभागियों को शोक सभा के दौरान ही सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद से उनके स्वास्थ्य और कानूनी स्थिति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार क्यों मिला?

नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं पर हो रहे दमन, मानवाधिकार उल्लंघनों और स्वतंत्रता के हनन के खिलाफ लंबे और साहसिक संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्होंने वर्षों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मृत्युदंड के उन्मूलन और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद की है।

इसी मुखर और बेबाक भूमिका के कारण ईरानी शासन ने उन्हें कई बार गिरफ्तार किया। विभिन्न मामलों में उन पर कुल मिलाकर 31 साल की जेल और कई कोड़ों की सज़ा सुनाई जा चुकी है। नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा था कि नरगिस मोहम्मदी को दिया गया यह पुरस्कार ईरानी जनता, खासकर महिलाओं के मुक्ति आंदोलन का प्रतीक है।

नरगिस मोहम्मदी की ताज़ा गिरफ्तारी ने एक बार फिर ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति और असहमति की आवाज़ों के दमन पर अंतरराष्ट्रीय बहस को तेज़ कर दिया है।

स्रोत: एएफपी