खोजी रिपोर्ट-दो: पाकिस्तान में उच्च स्तर पर बेरोजगारी, मजदूर सब कुछ सहने को मजबूर

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 18-11-2022
खोजी रिपोर्ट-दो: पाकिस्तान में उच्च स्तर पर बेरोजगारी, मजदूर सब कुछ सहने को मजबूर
खोजी रिपोर्ट-दो: पाकिस्तान में उच्च स्तर पर बेरोजगारी, मजदूर सब कुछ सहने को मजबूर

 

मलिक असगर हाशमी

पाकिस्तान के शहर कराची की हलचल, भीड़-भाड़ और लगातार बढ़ती आबादी वाली मेगासिटी में 16 मिलियन लोग रहते हैं. इनमें 1.7 मिलियन से अधिक अवैध प्रवासी हैं.

जब यहां बहु-अरब डॉलर की पावर चाइना परियोजना की  2015 में घोषणा हुई थी, तो शहर के राजनीतिक और अभिजात वर्ग ने इसका खुले दिल से स्वागत किया था. साथ ही उम्मीद जताई थी कि इसके आने से कम आय वालों और बेरोजगारों को नौकरी और कारोबार के अवसर मिलेंगे.

चीनी के स्वामित्व वाले इस उद्यम ने लगभग 500 पाकिस्तानी श्रमिकों को काम दिया है, जिनमें से ज्यादातर कराची और उसके आसपास के कस्बों और गांवों के लोग हैं.

हालांकि, 2020 में शून्य-कोविड नीति लागू होने के बाद से कर्मचारी संयंत्र छोड़ने में असमर्थ हैं. उन्होंने एबीसी की इन्वेस्टिगेशन टीम को बताया कि अगर वे बाहर जाने की बात करते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ती है.

महामारी के बाद से, पाकिस्तान की बेरोजगारी दर 2021 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गई. शोध के अनुसार, पाकिस्तान के 31 प्रतिशत से अधिक युवा वर्तमान में बेरोजगार हैं.

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पाकिस्तान में बेरोजगार सड़कों पर
 
कराची संयंत्र के एक श्रमिक ने प्रतिशोध के डर से नाम न छापने की शर्त पर दावा किया कि उसे फरवरी में अपने परिवार से मिलने की अनुमति मिली थी, लेकिन उसे अगस्त तक काम पर वापस जाने के लिए नहीं बुलाया गया.

उन्होंने दावा किया कि प्रबंधन को डर था कि वह घातक वायरस को संयंत्र में वापस ला सकता है.एबीसी टीम ने कुछ कर्मचारियों की छुट्टी के आवेदन फॉर्म की प्रतियां देखी हैं, जिसमें प्लांट के अंदर बंद रहने के छह महीने बाद घर वापस जाने का अनुरोध भी शामिल है.

यंत्र में बने अपने कमरे की खिड़की से, यूसुफ उस पहाड़ की आकृति देखते रहते हैं जिस पर उसका गृहनगर गुलशेन ए-हदीद स्थित है.यूसुफ ने कहा, मेरा घर यहां से केवल 30 मिनट की ड्राइव पर है, लेकिन मैं उसे सिर्फ याद कर सकता हूं.

मां, भाई को देखने की इजाजत नहीं है. यूसुफ के अनुसार, उसे अपनी मां और घर की बनी बिरयानी याद आती है.उसने बताया कि उसके भाई ने घर से खाना ला कर देने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने उन्हें गेट पर यह कहते हुए रोक दिया कि बाहर के खाने से वायरस अंदर आ सकता है.

बेलाल भी गुलशन ए-हदीद में रहते हैं. उनके दो छोटे बच्चे हैं. बताया कि उनके परिवार से लंबे समय से अलग रहने के कारण वह बहुत पीड़ित है. बीमार होने पर अपने 3 साल के बच्चे को अस्पताल नहीं ले जा सका. अपने चाचा के अंतिम संस्कार में भी शामिल होने से वंचित कर दिया गया.

बेलाल ने कहा, मेरी पत्नी और परिवार की मुश्किलों को देखते हुए मैंने कंपनी छोड़ने का फैसला किया,लेकिन कंपनी ने मुझे कम से कम पांच महीने तक भुगतान नहीं करने की चेतावनी दी है.

अधिकांश श्रमिक साइट पर रहकर, वहां काम करने को मजबूर है. क्षेत्र में भारी बेरोजगारी है, इस लिए भी वे बाहर नहीं निकलना चाहते. पाकिस्तान में इन दिनों आसानी से नौकरी मिलनी मुश्किल है.


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पावर चाइना प्लांट में गंदगी का अंबार

वीडियो दर्शाता है अमानवीय स्थिति

संयंत्र से लौटने वाले कुछ श्रमिक वीडियो बनाकर लाने में सफल हुए हैं. उन्होंने कंपनी पर आरोप लगाया कि उन्हें भुगतान के बिना लंबे समय तक क्वारंटाइन रखा गया था.

क्वारंटाइन रूम साइट के एक संरक्षित प्रवेश द्वार के पास स्थित है. यहां पावर चाइना के दो कूलिंग टावर लगे हैं. एबीसी इन्वेस्टिगेशन टीम को क्वारंटाइन सेंटर और उसके आसपास की तस्वीरें भी मिली हैं.

तस्वीरों में अंदर, आठ श्रमिकों को बिना गद्दे के चारपाई पर सोते देखा जा सकता है. छत से बारिश का रिसाव होता है.बाहर, जमीन पर कचरा और परिसर के चारों ओर गंदा पानी में बिखरा हुआ है.

पहली किस्त पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:चीनी प्लांट में हजारों पाकिस्तानी श्रमिक ‘कैद’

क्वारंटाइन में रहने वाले श्रमिकों का दावा है कि अंदर रहने की स्थिति “अमानवीय” है.एक श्रमिक ने कहा, 48 घंटे तक बिजली नहीं थी. पीने का पानी नहीं था. वॉशरूम में पानी नहीं है. 45 दिन बाहर अपने परिवार के साथ बिताने के बाद 40 दिनों के क्वारंटाइन में रहना पड़ा.

एक वीडियो में बिजली संयंत्र की कैंटीन की रसोई में तिलचट्टे लगे भोजन और खाना पकाने के बर्तन दिखाए गए हैं.

नोटः रिपोर्ट विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं पर आधारित