निमिषा प्रिया को बचाने की आखिरी कोशिश: यमन में मलयाली नर्स की फांसी से पहले उम्मीद की किरण

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 15-07-2025
Last ditch effort to save Nimisha Priya: A ray of hope before Malayali nurse is executed in Yemen
Last ditch effort to save Nimisha Priya: A ray of hope before Malayali nurse is executed in Yemen

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी अब बस कुछ घंटों की दूरी पर है। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में राजनयिक, कानूनी और मानवीय स्तर पर उसे बचाने के लिए ज़ोरदार कोशिशें की जा रही हैं।

पलक्कड़, केरल की रहने वाली 37 वर्षीय निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। यमन की शरिया कानून प्रणाली के तहत अब उसकी जान बचाने की एकमात्र उम्मीद पीड़ित के परिवार से क्षमा या 'माफीनामा' है।

बढ़ती उम्मीदें: ग्रैंड मुफ्ती की अपील

भारत के ग्रैंड मुफ्ती और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के महासचिव कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार ने पीड़ित के परिवार से माफी की अपील की है, और वह बिना 'ब्लड मनी' (दिया) की मांग के क्षमा की उम्मीद जता रहे हैं।

उनके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि अब भी समाधान की संभावनाएं हैं और उम्मीदें ज़िंदा हैं।

यमन में गहन बातचीत

उत्तरी यमन में चल रही आपातकालीन बातचीत का नेतृत्व सम्मानित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर कर रहे हैं। उनके प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर, यमनी सरकार के अधिकारियों, जनायत कोर्ट के जज, जनजातीय नेताओं और भारतीय मिशन से जुड़े लोगों के साथ सीधी बातचीत में लगे हैं।

बातचीत निर्णायक मोड़ पर है। सूत्रों के अनुसार, अभी भी सकारात्मक परिणाम की आशा की जा रही है।

भारत सरकार का सीमित हस्तक्षेप

भारतीय केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत ने अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर लिया है। चूंकि भारत यमन की सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देता, इसलिए राजनयिक हस्तक्षेप सीमित है।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटारमणि ने अदालत से कहा, “हमने चीज़ों को सार्वजनिक न करके निजी स्तर पर कोशिशें की हैं।” अदालत में अगली सुनवाई 18 जुलाई को है – दो दिन फांसी के बाद।

'दिया' ही अंतिम उम्मीद

यमन के शरिया कानून के अनुसार, मृत्युदंड को टाला जा सकता है यदि पीड़ित का परिवार मुआवज़ा स्वीकार कर ले।

'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' के प्रमुख बाबू जॉन ने बताया कि 1 मिलियन डॉलर (करीब ₹8.6 करोड़) की पेशकश की गई है, लेकिन अब तक पीड़ित के परिवार की ओर से कोई स्वीकृति नहीं मिली है।

राजनीतिक और सार्वजनिक समर्थन

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है। विजयन ने इसे “सहानुभूति के योग्य मामला” बताया है और कहा कि केरल सरकार इस प्रयास में पूरी तरह साथ है।

कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल और सीपीआई सांसद संतोश कुमार ने भी केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है। कुमार ने इसे “मानवीय संकट” करार देते हुए कहा कि निमिषा घरेलू हिंसा और शोषण का शिकार थी, जिससे यह त्रासदी हुई।

विदेश मंत्रालय की सक्रिय भूमिका

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि सरकार “हरसंभव मदद” दे रही है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने पुष्टि की कि केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

निमिषा के पति टोमी थॉमस ने भी कहा कि वह अब भी आशान्वित हैं।

एक ज़िंदगी दांव पर

2008 में नौकरी के लिए यमन गईं निमिषा ने अपने यमनी साझेदार तलाल के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला था। रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाल के हाथों लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक शोषण के बाद उन्होंने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया।

अब जबकि यमन की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, भारत की कूटनीतिक पहुंच सीमित है—तो आखिरी उम्मीद है कि तलाल का परिवार 'दिया' स्वीकार कर माफी दे दे।

धार्मिक नेता, राजनेता, कार्यकर्ता और जनता की सामूहिक अपीलें इस अंतिम घड़ी में एक ज़िंदगी बचा सकती हैं।