मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / इस्लामाबाद
पड़ोसी पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने भारत से सूत, कपास और चीनी खरीदने को लेकर गुरूवार को कड़ा रूख दिखाया था. उसके बाद लगने लगा कि भारत से रिश्ता सुधारने की उसकी पहल मात्र दिखावा थी. मगर कुछ घंटे बाद ही सरहद पार से सकरात्मक संकेत आए हैं.
भारत से कैसे व्यापारिक रिश्ते रखे जाएं ? इस महत्वपूर्ण मुददे पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री इमरान खान सरकार की अध्यक्षता में बैठक होने वाली है. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शुक्रवार को बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
इसमें कई कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे,जो भारत से संबंधों को लेकर रणनीति तय करेंगे. पाकिस्तान के एक पत्रकार का कहना है- ‘‘इमरान खान पाक-भारत संबंधों पर एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करेंगे.बैठक में आंतरिक, विदेश, योजना और मानवाधिकार मामलों के मंत्री भाग लेंगे.
पाकिस्तानी के एक अन्य पत्रकार ने ट्वीट किया, ‘‘उच्च स्तरीय बैठक में एक उपसमिति के गठन पर चर्चा होगी. इसमंे यह तय होगा कि भारत से व्यापार शुरू किया जाए अथवा नहीं.‘‘ इससे संबंधित एक बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का भी आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत से व्यापार करने का मुद्दा गुरूवार को कैबिनेट की मिटिंग में आगे के लिए चर्चा की खातिर पोस्टपौंड किया गया है.
उल्लेखनीय है कि भारत से चीनी, सूत और कपास लेने के पाकिस्तान की आर्थिक मामले की समन्वय समिति की सिफारिश को गुरूवार को इमरान खान की कैबिनेट ने खारिज कर दिया था. हालाकि, कैबिनेट की बैठक की सरकार की ओर से विधिवत ब्रिफिंग नहीं आई है. मगर पाकिस्तान मीडिया द्वारा जो बताया जा रहा है,
उसके मुताबिक, इमरान सरकार के इस निर्णय से दोनों देशों के उन लोगों को निराशा हुई, जो पड़ोसी देशों में बेहतर रिश्ता के पक्षधर हैं. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट पर यकीन करें तो इमरान खान मंत्रिमंडल ने भारत से चीनी, कपास और सूत आयात करने के लिए आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारत से तब तक व्यापार संबंध नहीं हो सकते जब तक कि जम्मू कश्मीर की पूर्व की
स्थिति बहाल नहीं की जाती.
बता दें कि दो साल पहले केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला हुआ विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया थी. उसके बाद से जम्म,कश्मीर और लद्दाख को केंद्रीय शासित प्रदेश होने का दर्जा प्राप्त है. तभी से पाकिस्तान ने भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म कर लिए हैं. जबकि पुलवामा में आतंकवादियों द्वारा अर्धसैनिक बलों के 42 जवानों को शहीद करने के बाद से भारत ने पाकिस्तान से किनारा कर रखा है.
दो वर्ष बाद,अब दोनों देशों के बीच की दूरी कम होती दिखने लगी है. इमरान खान और पाकिस्तान सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा के भारत से संबंध सुधारने के प्रति दिलचस्पी दिखाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नरम रूख दिखाया. यहां तक कि इमरान खान के कोरोना की चपेट में आने पर उन्हें पत्र लिखकर न केवल जल्द स्वस्थ्य होने की कामना की.
उन्हें पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद भी दी. इस बीच दोनों देशों में सैनिक समझौते के बाद सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन का मामला भी थम सा गया है. ऐसे में जब पाकिस्तान के आर्थिक मामले की समन्वय समिति ने भारत से चीनी, सूत, कपास खरीदने की अच्छा जताई तो लगा कि दोनों देशों के बीच बंद व्यापारिक रास्ते फिर से खुलने वाले हैंे. इस समिति के अध्यक्ष इमरान खान हैं.
अब इमरान खान मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य शाह महमूद कुरैशी, असद उमर , शेख राशिद और शिरीन मजारी का इस मुददे पर कड़ा रूख अपनाने पाकिस्तान-हिंदुस्तान के पटरी पर आते संबंध फिर बेपटरी होते से दिखने लगे हैं. पाकिस्तान के ‘जिओ’ टीवी के अनुसार, इन मंत्रियों का कहना है कि भारत जब तक जम्मू कश्मीर की 5 अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल नहीं करता, उससे कोई व्यापार नहीं किया जाएगा.
इस मामले में फवाद चैधरी का कहना है कि भारत में मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है. उनका वहां नरसंहार हो रहा है. कश्मीर के लोगों केे अधिकार छीन लिए गए हैं. इस दिशा में हम आगे नहीं बढ़ सकेंगे.
भारत के साथ व्यापार कश्मीर की कीमत पर नहीं होगा. हालांकि, पाकिस्तानी मंत्रियों के इस बेतुके बयान पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं समझा है. मगर कड़े रूख के कुछ घंटे बाद ही इमरान खान ने भारत से व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने को लेकर कमेटी बनाने और इस मुददे पर चर्चा करने को शुक्रवार को बैठक बुलाकर संकेत दिए हैं कि उन्होंने पड़ोसी देश से रिश्ता बनाने की इच्छा अब तक नहीं छोड़ी है.
एएनआई के इनपुट के साथ