सीरिया में हमले का दर्द झेलने वाले गिरजाघर में श्रद्धालुओं ने प्रियजनों को दी श्रद्धांजलि

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-12-2025
In Syria, worshippers paid tribute to loved ones at the church that bore the brunt of the attack.
In Syria, worshippers paid tribute to loved ones at the church that bore the brunt of the attack.

 

द्वेइला (सीरिया)

सीरिया के द्वेइला में उस गिरजाघर में मंगलवार को सैकड़ों श्रद्धालु एकत्रित हुए, जहाँ जून महीने में हुए एक आत्मघाती हमले में 25 लोगों की जानें गई थीं। ये श्रद्धालु अपने प्रियजनों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गिरजाघर में आए।

इस अवसर पर गिरजाघर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। ‘मार एलियास चर्च’ के सदस्यों ने प्रार्थना सभा का आयोजन किया और गिरजाघर के आंगन की दीवार पर ‘नीयॉन लाइट्स’ से बने क्रिसमस ट्री की आकृति को रोशन किया। इस ट्री पर उस हमले में मारे गए लोगों की तस्वीरें लगाई गईं, जिनमें तीन ऐसे नायक भी शामिल थे जिन्होंने हमलावर को पकड़कर बड़े नुकसान को रोकने का साहसिक काम किया।

द्वेइला स्थित ग्रीक ऑर्थोडॉक्स गिरजाघर में 22 जून को रविवार की प्रार्थना के दौरान एक व्यक्ति ने गोलीबारी की और विस्फोटक जैकेट के साथ हमला कर दिया। उस समय बाउत्रोस और गेर्गिस बेचारा नामक दो भाइयों और मिलाद हद्दाद ने हमलावर को पकड़कर गिरजाघर से बाहर निकाल दिया। मिलाद के भाई इमाद हद्दाद ने कहा, “अगर वे तीनों न होते तो शायद 400 श्रद्धालुओं में से कोई भी जीवित न बचता। गिरजाघर में एकत्र होना शांति, प्रेम और दृढ़ विश्वास का संदेश देता है।”

इस हमले ने सीरिया में ईसाइयों के बीच डर बढ़ा दिया। यह वर्षों में गिरजाघर पर पहला गंभीर हमला था। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब नई सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही थी। हालांकि सरकार ने हमले की निंदा की, लेकिन कई लोगों ने सशस्त्र गुटों पर नियंत्रण न रख पाने की भी आलोचना की।

क्रिसमस के करीब आते ही पादरी योहन्ना शेहादेह ने कहा कि भय स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग डर कर पीछे हट जाएं। उन्होंने सभी से शांति और सामुदायिक एकता के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।

श्रद्धालुओं का यह सभा न केवल प्रियजनों को याद करने का अवसर थी, बल्कि यह उस साहस और मानवता की कहानी को भी उजागर करती है, जिसने हमले के दौरान बड़ी त्रासदी को टालने में भूमिका निभाई। इस तरह गिरजाघर का माहौल, शांति, श्रद्धा और धैर्य का प्रतीक बन गया।