नई दिल्ली. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि सत्ता में आने के समय उन्होंने जिस देश का वादा किया था, उसमें वह बदलाव नहीं ला सके. शीर्ष 10 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्रालयों और संभागों को प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "शुरूआत में हम क्रांतिकारी कदमों के माध्यम से तुरंत बदलाव लाना चाहते थे, लेकिन बाद में महसूस किया कि हमारी प्रणाली सदमे को सहन करने में असमर्थ थी."
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि सरकार और मंत्रालयों ने वांछित परिणाम नहीं दिए हैं.
उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार और देश के हित के बीच कोई संबंध नहीं है."
उन्होंने पूछा, "क्या हमारे मंत्रालय प्रदर्शन कर रहे हैं कि कैसे निर्यात बढ़ाकर देश को स्थिर किया जाए और कैसे लोगों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है, गरीबी को कैसे समाप्त किया जा सकता है?"
खान ने कहा कि निर्यात बढ़ाना, आयात प्रतिस्थापन खोजना और गरीबी कम करना राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं.
उन्होंने इनाम और दंड की व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की शक्तियों के संबंध में सुधार किए गए हैं जिससे नौकरशाहों को पहल करने की अनुमति मिलती है.
उन्होंने कहा कि एनएबी को सुव्यवस्थित करने के बाद, अब नौकरशाहों के पास 'लंबित फाइलों पर हस्ताक्षर' नहीं करने का कोई बहाना नहीं है.