आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने घोषणा की है कि उनकी सरकार अब इज़राइल को हथियारों के निर्यात की मंज़ूरी नहीं देगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू है और तब तक जारी रहेगा जब तक इस पर कोई नया निर्णय नहीं लिया जाता।
इज़राइल के सबसे करीबी अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों में से एक माने जाने वाले जर्मनी का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम गाजा पट्टी में इज़राइली सैन्य अभियानों की तीव्र आलोचना, हमास को पूरी तरह से बेदखल करने में विफलता और इज़राइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू द्वारा हाल ही में घोषित गाज़ा पर पूर्ण नियंत्रण की योजना के मद्देनज़र लिया गया है।
चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने अपने बयान में कहा:
“हम यह समझ नहीं पा रहे कि इज़राइल की वर्तमान सैन्य रणनीति हमास को गाज़ा से बाहर निकालने या बंधकों को मुक्त कराने में कैसे कारगर साबित होगी। इस परिस्थिति में, हमने इज़राइल को हथियारों का निर्यात अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया है।”
गुरुवार को, जैसे ही इज़राइल की सुरक्षा कैबिनेट ने गाज़ा पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की योजना को मंज़ूरी दी, दुनिया भर में तीव्र आलोचना शुरू हो गई।
इज़राइली विपक्ष के नेता याइर लापिड ने भी इस फैसले का विरोध करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा:
"एक आपदा, कई और आपदाओं को जन्म देगी।"
इस बयान के 24 घंटे के भीतर ही जर्मनी ने अपने हथियार निर्यात पर रोक लगाने की आधिकारिक घोषणा कर दी।
जर्मनी के इस फैसले से इज़राइल पर राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव और बढ़ सकता है। साथ ही, यह संकेत भी मिलता है कि अब पश्चिमी देश भी इज़राइल की नीतियों और कार्रवाइयों पर पुनर्विचार करने लगे हैं।
क्या अन्य सहयोगी राष्ट्र भी जर्मनी के नक्शे-कदम पर चलेंगे? आने वाले दिनों में यह वैश्विक राजनीति का एक अहम मुद्दा बन सकता है।