आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
चीन ने इस महीने के अंत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तियानजिन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संभावित यात्रा का शुक्रवार को स्वागत किया। उसने उम्मीद जताई कि यह आयोजन ‘‘एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का समागम’’ होगा.
दिल्ली में मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने इस सप्ताह बताया कि सात साल के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, “चीन एससीओ के तियानजिन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करता है.”
उनसे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी की चीन यात्रा की खबरों के बारे में पूछा गया था। चीन 31 अगस्त से एक सितंबर तक तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयास से तियानजिन शिखर सम्मेलन एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का एक संगम होगा, तथा एससीओ अधिक एकजुटता, समन्वय, गतिशीलता और उत्पादकता के साथ उच्च गुणवत्ता वाले विकास के एक नए चरण में प्रवेश करेगा.’’
गुओ ने कहा कि एससीओ के सभी सदस्य देशों और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों सहित 20 से अधिक देशों के नेता संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेंगे.
प्रवक्ता ने कहा, “एससीओ तियानजिन शिखर सम्मेलन, एससीओ की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन होगा.
मोदी के 29 अगस्त के आसपास जापान की यात्रा पर जाने की उम्मीद है। इसके बाद वह एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीनी शहर तियानजिन जा सकते हैं.
मोदी की जापान और चीन की दो देशों की यात्रा की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
प्रधानमंत्री मोदी पिछली बार जून 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन आए थे. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 में दूसरे ‘‘अनौपचारिक शिखर सम्मेलन’’ के लिए भारत गए थे। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों तल्खी आ गई थी.
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़पों के परिणामस्वरूप संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया.