अनियमित प्रवासन पर यूरोपीय संघ सख्त, कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन में नई रणनीति का ऐलान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-10-2025
EU toughens irregular migration, announces new strategy at Copenhagen summit
EU toughens irregular migration, announces new strategy at Copenhagen summit

 

कोपेनहेगन

कोपेनहेगन में आयोजित एक अहम शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपीय संघ (EU) के नेताओं ने अनियमित प्रवासन से निपटने के लिए एक नई और समग्र रणनीति की घोषणा की है। इस सम्मेलन में अंडोरा, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, जर्मनी, ग्रीस, इटली, माल्टा, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों के नेताओं ने भाग लिया। इनके साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष और यूरोपीय संसद के अध्यक्ष भी उपस्थित थे।

संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया कि प्रवासन जैसी जटिल समस्या का समाधान केवल सीमाओं पर नियंत्रण से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए पूरे प्रवासन मार्ग पर समन्वित उपाय किए जाने की आवश्यकता है। नेताओं ने मानव तस्करी करने वाले गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, बाहरी सीमाओं की बेहतर सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक सहयोग, सूचना और तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराने पर ज़ोर दिया। इसके अलावा, मानव तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए सीमा पार सहयोग को मज़बूत करने की बात भी कही गई।

प्रवासन नीति में मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए नेताओं ने यूरोपीय मानवाधिकार कन्वेंशन और शरणार्थी कन्वेंशन के प्रभावी अनुपालन की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही शरण प्रणाली को मज़बूत करने और उसके दुरुपयोग को रोकने पर भी बल दिया गया। सम्मेलन में इस बात पर विशेष ज़ोर दिया गया कि अनधिकृत प्रवासियों के प्रत्यावर्तन (वापसी) की प्रक्रिया तेज़ की जाएगी। इसके लिए यूरोपीय संघ नए द्विपक्षीय समझौते, वीज़ा नीतियों और राजनयिक प्रयासों का सहारा लेगा।

सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि यूरोपीय संघ IOM (अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन) और UNHCR (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी) जैसे संगठनों के साथ मिलकर विकास, शिक्षा, रोज़गार और स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन के क्षेत्रों में भी काम करेगा। प्रवासन की चुनौतियों से निपटने के लिए नई तकनीकों और नवाचारों का उपयोग करने का आह्वान भी किया गया। नेताओं ने कहा कि पुरानी नीतियों से अब काम नहीं चलेगा और प्रभावी परिणामों के लिए नए ढाँचे, साझेदारियाँ और तकनीकी समाधान अपनाने होंगे।

इस घोषणा के साथ यूरोपीय संघ ने साफ़ कर दिया है कि वह प्रवासन की चुनौतियों से केवल सुरक्षा के नजरिए से नहीं, बल्कि समावेशी और मानवीय दृष्टिकोण के साथ निपटना चाहता है। यह नई रणनीति आने वाले वर्षों में यूरोप की आव्रजन नीति की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।